ओशो सिद्धार्थ, औलिया योग विशेषज्ञ, ओशोधारा सोनीपत
थायरॉइड ग्रंथि को शरीर का पावर हाउस भी कहा जाता है. यह ग्रंथि रक्त में से कुछ विशेष प्रकार के तत्वों को ग्रहण कर, उन्हें आपस में जोड़कर अत्यंत जटिल हाॅर्मोन का निर्माण करती है. जब थायराॅइड ग्रंथि का स्राव अधिक होता है तथा शरीर में आयोडिन की मात्रा बढ़ जाती है, तो उसे हाइपरथाइरॉयडिज्म कहते हैं. इससे हृदय गति व रक्तचाप बढ़ जाता है. वजन घटना आरंभ हो जाता है. नींद नहीं आती है. पसीना अधिक आता है. भूख बढ़ जाती है. महिलाओं में मासिक स्राव कम हो जाता है.
जब थायरॉइड ग्रंथि का स्राव कम हो जाता है, तो उसे हाइपोथाइरॉइडिज्म कहते हैं. इसमें भूख तो कम लगती है, पर फिर भी वजन बढ़ता है, क्योंकि कोशिकाओं की प्रज्वलन क्रिया कम हो जाती है और इससे मोटापा बढ़ता है.
विधि: अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा और अनामिका ऊंगलियों के अग्रभाग को आपस में मिलाकर छोटी उंगली सीधी रखें. अग्नि, वायु, आकाश और पृथ्वी तत्वों का आपस में मिलना उदान मुद्रा से संभव है. उदान प्राण का संबंध कंठ से मस्तिष्क तक होता है. यह विशुद्धि चक्र को प्रभावित करती है.
लाभ : उदान मुद्रा से थायरॉइड संबंधी सभी रोगों में लाभ पहुंचता है. थायरॉइड ग्रंथि सुचारु रूप से काम करती है. इस मुद्रा से मस्तिष्क और मन दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. बुद्धि का विकास होता है. स्मरण शक्ति बढ़ती है. समझदारी बढ़ती है.