Valentines Day 2020 : प्रेम सिर्फ एहसास है, रूह से महसूस करो…
II रचना प्रियदर्शिनी II प्रेम एक वृक्ष की तरह है. उसकी खुशबू, उसकी छाया, उसकी शीतलता का आनंद लो. प्रेम को भरपूर जिओ… उसे जानने में समय काहे गवाना. अगर जानने की कोशिश करोगे कि प्रेम कहां से आया, कहां से जन्मा तो इसकी जड़ें उखड़ जायेंगी, प्रेम मर जायेगा. छाया जला बैठेगी और आनंद… […]
II रचना प्रियदर्शिनी II
प्रेम एक वृक्ष की तरह है. उसकी खुशबू, उसकी छाया, उसकी शीतलता का आनंद लो. प्रेम को भरपूर जिओ… उसे जानने में समय काहे गवाना. अगर जानने की कोशिश करोगे कि प्रेम कहां से आया, कहां से जन्मा तो इसकी जड़ें उखड़ जायेंगी, प्रेम मर जायेगा. छाया जला बैठेगी और आनंद… आनंद में उदासियों की कोपलें फूटने लगेंगी…प्रेम सत्य है, सरल या मुश्किल नहीं. – डिंपल मिथिलेश कुमार
– सिर्फ एहसास है ये, रूह से महसूस करो…
अगले सप्ताह नेशनल अवॉर्ड विनर एक्टर आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ रिलीज हो रही है. पिछले महीने इसका ट्रेलर आउट होने के साथ ही यह जबर्दस्त चर्चा में आ गयी है. कारण, इस फिल्म में आयुष्मान खुराना पहली बार एक गे के किरदार में नजर आ रहे हैं, जो अपने पार्टनर जितेंद्र कुमार से प्रेम करते हैं और अपने परिवार व समाज इस प्रेम को समझने और उसे स्वीकार करने के लिए कंविंस करते दिखायी देते हैं.इस फिल्म की हैप्पी एंडिंग होगी या सैड एंडिंग, यह तो इसे देखने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इसके ट्रेलर ने एक बार फिर से समलैंगिक संबंधों को लेकर चर्चाओं का माहौल बना दिया है. हालांकि भारतीय संविधान द्वारा समलैंगिकता को कानूनी मान्यता मिलने के बावजूद अब कई होमोसेक्सुअल्स अब अपनी लैंगिकता को को खुल कर स्वीकार करने लगे हैं. बावजूद इसके हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि इसकी सामाजिक स्वीकार्यता की राह में अभी भी कई रोड़े हैं. ऐसे में हमने कुछ समलैंगिक जोड़ों से बात करके उनके नजरिये से प्रेम को समझने की कोशिश की है.
– हर परिभाषा और दायरे से मुक्त है प्रेम
क्या वाकई प्रेम की परिभाषा एक लड़का और एक लड़की के बीच के आपसी शारीरिक और भावनात्मक आकर्षण तक ही सीमित है? क्या वाकई प्रेम को किसी दायरे में सीमित किया जा सकता है? अगर ऐसा है, तो भी एक पिता का अपने पुत्र के प्रति प्रेम, एक मां का अपनी बेटी के प्रति प्रेम या फिर भक्त का अपने भगवान के प्रति प्रेम को किस रूप में परिभाषित किया जाये…! कोलकाता निवासी अनिकेत रॉय, जो कि खुद को एक गे मॉडल और एक्टर बताते हैं, उनके अनुसार- ”प्यार वह खूबसूरत भावना है, जो आपको जीवन में कुछ बेहतर करने और पाने के लिए प्रेरित करता है. जब हम किसी से प्यार करते हैं, तो हमें उसके साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है और हम उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार होते हैं. इस भावना में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह शख्स लड़का है या लड़की. वह कोई भी हो सकता है. तभी तो कहा गया है कि ‘सिर्फ एहसास है ये, रूह से महसूस करो… प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो.”
यूपी के हाथरस जिले के एक जाट परिवार से ताल्लुक रखनेवाली डिंपल मिथिलेश चौधरी समाज द्वारा समलैंगिक संबंधों को लेकर एक बड़ा ही जायज सवाल करती हैं कि जो लोग LGBTQ+ कम्युनिटी से संबंध रखते हैं, उन्हें लोग अलग कैटेगरी में क्यों रख देते हैं? क्या सारे हेट्रोसेक्सुअल्स एक जैसे होते हैं? नहीं ना, तो फिर उनकी कितनी कैटेगरी बनायी है इस समाज ने? वर्तमान में दिल्ली में रह रहीं डिंपल एक जानी राइटर, बाइकर और फोटोग्राफर हैं. वह अपने रिलेशनशिप को लेकर बड़ी बेबाकी से कहती हैं कि- ”मैं इतनी सक्षम हूं कि अपने रिश्ते या अपनी लाइफ के लिए मुझे किसी से सर्टिफिकेट लेने की ज़रूरत नहीं है, जो मुझे पसंद करते हैं, वे मेरे साथ हैं और नहीं पसंद करते हैं, उन्हें मैं भाव भी नहीं देती.”
– प्रेम इंसान का बेहद व्यक्तिगत मुद्दा है
जमशेदपुर निवासी अमरजीत सिंह, जो कि एक गे एलजीबीटी एक्टिविस्ट हैं, उनका कहना है कि एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों में टैलेंट की कमी नहीं है़ बॉलीवुड, फैशन, मीडिया, सलून सहित कई इंडस्ट्रीज में उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करवायी है़ हमारी कम्युनिटी के लोग सरकार और समाज से ज्यादा कुछ नहीं, बस सपोर्ट चाहते हैं. वे इस बात को समझें कि हम उनकी ही तरह इंसान है़ बस हमारा सेक्सुअल ओरिएंटेशन उनसे मैच नहीं करता, लेकिन यह किसी भी इंसान का बहुत ही व्यक्तिगत मुद्दा है. बस इसे स्वीकारने की जरूरत है़ इसी तरह दानापुर निवासी रजिया पिछले चार वर्षों से अपने पार्टनर महेंद्र के साथ हैं. उनका कहना है कि प्यार के दुश्मन तो हमेशा से ही रहे हैं, लेकिन फिर भी न तो कोई किसी को प्यार करने से रोक पाया और न ही प्यार करनेवालों ने समाज के बंधनों को माना है.
– प्रेम करने और प्रेम को जीने में फर्क है
लखनऊ निवासी वेरानिका एक प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं और पिछले 18 वर्षों से अपने पार्टनर के साथ रिलेशनशिप में हैं. वेरोनिका की मानें, तो प्यार सेम-सेक्स में हो या ऑपोजिट सेक्स में, प्यार तो प्यार होता है. वह कहते हैं कि ”मैं एक होमोसेक्सुअल जरूर हूं, लेकिन उससे पहले मैं एक इंसान हूं. मैं मानता हूं कि प्यार एक एहसास है, जो किसी के लिए भी पैदा हो सकता है. इसमें जेंडर या सेक्स को कोई रोल नहीं है. प्यार दो लोगों को एक-दूसरे को समझने और एक-दूसरे के साथ स्ट्रॉन्ग इमोशनल बॉन्डिंग शेयरिंग करने का मौका देता है. यही नहीं यह आपको समझदार और जिम्मेदार भी बनाता है. ‘मैं किसी से प्यार करता हूं’, यह कहने से ही प्यार नहीं हो जाता. दरअसल प्यार करने और प्यार को जीने में बहुत फर्क होता है.”
शायद तभी कबीर ने कहा है – ‘प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय। राजा परजा जेहि रूचै, सीस देइ ले जाय।।’
यह आलेख NFI फेलोशिप प्रोग्राम (2019-2020) के तहत लिखा गया है.