फिर से फैशन में पूरी बांह के ब्लाउज
नयी दिल्ली: कहा जाता है कि फैशन कभी पुराना नहीं होता है, यह कुछ दिनों में वापस लौट कर आता है. इसी को देखकर फैशनेबल और पारंपरिक दोनों तरह के लुक को एकसाथ लाने के लिए ड्रेस डिजाइनर पूरी बांह के ब्लाउज को फिर से फैशन में ला रहे हैं. वे सजे-धजे पूरी बांह के […]
नयी दिल्ली: कहा जाता है कि फैशन कभी पुराना नहीं होता है, यह कुछ दिनों में वापस लौट कर आता है. इसी को देखकर फैशनेबल और पारंपरिक दोनों तरह के लुक को एकसाथ लाने के लिए ड्रेस डिजाइनर पूरी बांह के ब्लाउज को फिर से फैशन में ला रहे हैं. वे सजे-धजे पूरी बांह के ब्लाउज को साडियों, लंबी स्कर्टों और लहंगों के साथ मैच कर नयी प्रयोग कर रहे हैं.
इंडिया कोटोर वीक में अंजू मोदी, सब्यसाची और रीना ढाका जैसे प्रमुख डिजाइनरों ने अलग-अलग तरह के कट और पैटर्न अपनाकर ब्लाउज के साथ विभिन्न प्रयोग किए हैं. इनमें से किसी को एकदम हाईनेक रखा गया तो कोई बैकलेस था. लेकिन इन सभी के ब्लाउज में बाजू लंबी ही रखी गईं.
इनमें से अधिकतर ब्लाउज और टॉप्स पर जरदोजी, क्रिस्टल और बीड्स का भारी काम किया गया था.सब्यसाची के शुरुआती संग्रह ‘फिरोजाबाद’ में डिजाइनर ने जटिल मुगल तकनीक से प्रेरणा ली और इनके परिधान में जरदोजी, पारसी और सोने-चांदी के धागों का काम था.
अंजू के संग्रह ‘मणिकर्णिका’ में देश की प्राचीन कारीगरी की झलक मिलती है और इस संग्रह में चोलियों के पिछले हिस्से यानी बैक के साथ प्रयोग किए गए.उन्होंने आगे से तो अधिकतर ब्लाउज को हाईनेक ही रखा लेकिन बैक के कई पैटर्न लाकर प्रयोग किए.
इनके संग्रह में जो पुरानी तकनीक और कढाई इस्तेमाल की गई, वह अजंता-एलोरा की गुफाओं के चित्रों और वास्तुकला से प्रेरित लगती हैं.
ढाका का चमकदार संग्रह राजस्थान के गोटे के काम की सुंदरता से प्रेरित था.उन्होंने गोटा पट्टी का अपना अलग रुप विकसित करते हुए इसे पारदर्शी कपडे पर लगाया. लेकिन यह संग्रह सिर्फ पूरी बांह के ब्लाउज तक सीमित नहीं था.