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नवजात में सर्दी-खांसी को हल्के में न लें

डॉ वीरेंद्र कुमार वरिष्ठ सलाहकार, शिशु रोग, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, नयी दिल्ली यह रोग फेफड़े में वायरस, बैक्टीरिया या फंगी के संक्रमण के कारण होता है. इससे फेफड़े में सूजन आ जाती है और उसमें पानी भर जाता है. कई बार चोट लगने के कारण भी यह होता है. पहचानें ये लक्षण आम […]

डॉ वीरेंद्र कुमार
वरिष्ठ सलाहकार, शिशु रोग, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, नयी दिल्ली
यह रोग फेफड़े में वायरस, बैक्टीरिया या फंगी के संक्रमण के कारण होता है. इससे फेफड़े में सूजन आ जाती है और उसमें पानी भर जाता है. कई बार चोट लगने के कारण भी यह होता है.
पहचानें ये लक्षण
आम तौर पर बुखार, ठंड लगना, खांसी आना, शिशु की सांस तेज चलना, सांस छोड़ते समय घरघराहट की आवाज आना, उल्टी करना, सीने में दर्द होना, पेट में दर्द होना, भूख न लगना (बड़े बच्चों में) तथा दूध न पीना (नवजात में).
उपचार : निमोनिया का इलाज संक्रमण के प्रकार पर निर्भर करता है. बैक्टीरिया से होने पर उपचार के लिए एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल होता है. यह दो से चार सप्ताह में ठीक हो सकता है. वायरल जनित निमोनिया ठीक होने में अधिक समय लेता है. कुछ प्रकार के निमोनिया का बचाव टीके के माध्यम से किया जा सकता है. इसकी रोकथाम के लिए न्यूमोकोक्कल टीका बेहद कारगर है.
बचाव : नवजात को सर्दी के मौसम गरम कपड़े अच्छे-से पहनाएं, ताकि उन्हें सर्दी न लगे. यदि शिशु को सर्दी-खांसी है और वह दूध नहीं पी रहा है, तो लापरवाही न करें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. परेशानी होने पर बच्चे को अस्पताल में भरती करना पड़ सकता है.
बातचीत : विनीता झा , दिल्ली

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