कई बार गर्भाशय अपनी जगह से हट कर नीचे खिसक जाता है. इससे यह योनि अथवा योनिद्वार के बाहर आ सकता है. इस समस्या में अल्सर या घाव होने का खतरा अधिक होता है. अत: इसका उपचार जल्द करा लेना उचित है.
कारण :
– गर्भावस्था और बार-बार प्रसूति से
– उम्र के साथ पेल्विक मशल्स में कमजोरी आना
– मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजेन हॉर्मोन की कमी
– लंबी खांसी
– वजन अधिक होने से त्न भारी वजन उठाने से
लक्षण :
– नीचे के हिस्से में भारीपन महसूस होना
– योनिद्वार से कुछ बाहर आना
– पेशाब या शौच में रुकावट होना
– चलने में दिक्कत होना
– खड़े होते या जोर लगाते समय नीचे कुछ निकलना.
गर्भनिरोधक गोलियों के साइड इफेक्ट
गर्भनिरोधक गोलियों से कुछ महिलाओं में हृदय रोगों का खतरा होता है. खास तौर पर वेन्स में खून के थक्के (डीप वेन थ्रॉम्बोसिस) जमने का, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है. लेकिन यह उन महिलाओं को अधिक होता है जो
– धूम्रपान करती हों
– 35 वर्ष से अधिक उम्र की हो
– वजन अधिक हो
– हाल ही में सजर्री हुई हो त्नपरिवार में पहले कभी हृदय रोग हुआ हो
– डायबिटीज हो
कोलेस्ट्रॉल लेवल अधिक हो. इसलिए जिन महिलाओं को डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल लेवल अधिक हो, उन्हें डॉक्टर की सलाह से ही गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना चाहिए. उल्टी होना, सिर दर्द, वजन बढ़ना आदि इसके अन्य सामान्य साइड इफेक्ट्स हैं. ये साइड इफेक्ट अक्सर इनका सेवन शुरू करते समय होते हैं और कुछ दिनों के बाद ये ठीक हो जाते हैं. यदि ये लक्षण लगातार जारी रहें, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर गोलियां बदलने के लिए जरूर कहना चाहिए.
क्या होता है डीप वेन थ्रॉम्बोसिस
हमारा शरीर कट जाने या छिल जाने पर रक्त के बहाव को रोकने के लिए खून का थक्का जमाता है. यह बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया है. कुछ विशेष परिस्थितियों में या दवाइयों के सेवन से खून का थक्का जमने की क्षमता बढ़ जाती है. कई बार रक्त संचरण धीमा होने या ब्लड वेसेल्स के डैमेज होने से वेन में खून का थक्का जम जाता है. इससे खून और ऑक्सीजन दूसरे अंगों तक नहीं पहुंच पाता है. कई बार ये थक्के टूट कर रक्त प्रवाह द्वारा शरीर के अन्य अंगों तक पहुंच जाते हैं. यह अवस्था अधिक गंभीर हो सकती है. इससे गंभीर श्वसन समस्या या स्ट्रोक का खतरा होता है. कुछ महिलाओं को गर्भ निरोधक गोलियों के सेवन से इसका खतरा हो सकता है.