जानें एचआईवी पॉजिटिव होने पर भी कैसे जिएं स्वस्थ जिंदगी

क्या आप जानते हैं कि एचआईवी पॉजिटिव होने पर भी आप सामान्य जिंदगी जी सकते हैं. अगर नहीं तो हम आपको बता रहे हैं ये कैसे मुमकिन है. बहुत से लोग इस मामले में गलतफहमी के शिकार होते हैं. वो एचआईवी को ही एड्स मान लेते हैं. लेकिन एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी) इस बीमारी का प्राथमिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2014 12:01 PM

क्या आप जानते हैं कि एचआईवी पॉजिटिव होने पर भी आप सामान्य जिंदगी जी सकते हैं. अगर नहीं तो हम आपको बता रहे हैं ये कैसे मुमकिन है.

बहुत से लोग इस मामले में गलतफहमी के शिकार होते हैं. वो एचआईवी को ही एड्स मान लेते हैं. लेकिन एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी) इस बीमारी का प्राथमिक स्तर है जबकि एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम)इस बीमारी काअंतिम स्तर है.
यह वायरस हेल्थ को धीरे-धीरे संक्रमित करता है. इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है. शरीर का बैक्टीरिया वायरस से मुकाबला करने की क्षमता खोने लगता है. जिससे शरीर बीमारियों की चपेट में आने लगता है. शरीर प्रतिरोधक क्षमता आठ-दस सालों में ही न्यूनतम हो जाती है. इस स्थिति को ही एड्स कहा जाता है. एड्स वायरस को रेट्रोवायरस कहा जाता है.
एक अनुमान के मुताबिक 60% युवाओं को इससे ग्रसित होने की जानकारी ही नहीं होती है.
* एचआईवी पॉजिटिव का ट्रीटमेंट
एचआईवी पॉजिटिव होन पर एआरटी दवाइयों को अगर नियमित तौर पर लिया जाए तो मरीज कई वर्षों तक सामान्य जीवन जी सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि नियमितदवाइयां लेने से 80 से 90 वर्षो तक सुरक्षित जीवन जिया जा सकता है. हालांकि बचाव ही सबसे सुरक्षित कदम है. इसके लिए लोगों में इसकी जागरूकता जरूरी है.
*एड्स के इलाज की जगी उम्मीद
एचआईवी का इलाज दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए चुनौति का विषय बना हुआ है. अब तक इसका कोई इलाज नहीं है. लेकिन हाल ही में साक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिरकों द्वारा की गई खोज से एड्स के इलाज की उम्मीद जगी है. उन्होंने एचआईवी के रिप्लीकेशन में भूमिका निभाने वाले में प्रोटीन की पहचान की है. इस प्रोटीन का ‘नामएसएसयू 72’ रखा गया है. वैज्ञानिक इस प्रोटीन को कंट्रोल करने का प्रयास कर रहे हैं. यदि ऐसा होता है तो एचआईवी का इलाज संभव हो जाएगा.
*कैसे फैलता है एड्स वायरस
-असुरक्षित यौन संबंघ
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एचआईवी के 86 % मामलों असुरक्षित यौन संबंधों से ही फैलते हैं.
-संक्रमित रक्त
संक्रमित रक्त से फैलने वाले मामलों पर बात करें तो इनकी संख्या 2.57 % है.
इसलिए आजकल डोनेशन कैंपों में भी ब्लड डोनेटर का एचआईवी टेस्ट किया जाता है.
-संक्रमित सीरिंज
संक्रमित सीरिंज से फैलने वाले मामले का 1.97 % है. इसलिए आपको हमेशा ये ध्यान रखें कि संक्रमित सीरिंज का ही प्रयोग किया जाए.
-संक्रमित मां से शिशु में
एचआईवी पॉजिटिव मां द्वारा बच्चे को दूध पिलाने से भी वायरस बच्चे को संक्रमित करता है.
-संक्रमित अंगदान से
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति द्वारा दान किए गए अंग से भी संक्रमण हो सकता है.
*जानें एड्स के बाद कौन-कौन सी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं आप
आईजीआईएमएस पटना डॉ डी बराट के का कहना है कि एड्स की अवस्था में आने के बाद मरीज सबसे पहले टीबी के शिकार होते हैं. क्योंकि टीबी होने का कारण भी शरीर में प्रतिरोधक क्षमता की कमी होना है.
इसके अलावा निमोनिया (निमोसिस्टम कारिनी) मेनिंजाइटिस भी सामान्य है. यदि गर्भवति संक्रमित हो जाए तो उसका एबॉर्शन हो जाता है या जन्म लेते ही शिशु की मौत हो जाती है. हालांकि डॉ बराट कहना है कि कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें यह अनहोनी नहीं होती.
*कैसे करें बचाव
-सुरक्षित यौन संबंध बनाएं
-खून लेने से पहले उसकी जांच करा लें
-कोई भी टीका या इंजेक्शन लगाने से पहले ध्यान रखें की सीरिंज नई हो.
-एक से ज्यादा लोगों से संबंध बनाने से बचें
-शेविंग कराते समय भी नई ब्लेड का ही प्रयोग किया जाए
*इलाज के लिए अपनाएं सकारात्मक नजरिया
एड्स के बारे में लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं. जिस कारण समाज का एक बड़ा हिस्सा एड्स पीड़ितों से कटने लगता है. लोगों के भीतर डर बैठ जाता है कि कहीं उन्हें भी एड्स ना हो जाए. इससे पीड़ित भी हीनभावना से ग्रस्त होता है और इलाज करवाने तक से कतराता है. देश में हर साल करोडो़ रूपए खर्च कर राष्ट्रीय स्तर पर लोगों में जागरूकताफैलाने लाने के लिए खर्च किया जा रहा है. मगर अब भी मरीजों के सकारात्मक नजरिए की जरूरत है.
*ऐसे नहीं फैलता एचआईवी वायरस
एचआईवी पॉजिटिव के साथ खाने से या बात करने से
मरीज के साथ सोने से
पीड़ित से हाथ मिलाने से
एक शौचालय के इस्तेमाल से
मच्छर के काटने से
इसके अलावा एचआईवी पॉजि़टिव को छूने से चूमने से भी यह रोग नहीं फैलता है.
इसलिए एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति से अछूतों जैसा व्यवहार ना करें.

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