सावधान विटामिन-डी की कमी से हो सकता है डिप्रेशन
विटामिन डी का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत सूरज की रोशनी है. आधुनिक जीवनशैली में लोग आमतौर पर विटामिन-डी की कमी का शिकार हो रहे हैं. सुबह के समय ही ऑफिस चले जाना और देर शाम लौटना. इस तरह की दिनचर्या में मुमकिन ही नहीं हो पाता कि की लोग सूरज की रोशनी ग्रहण कर सकें. […]
विटामिन डी का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत सूरज की रोशनी है. आधुनिक जीवनशैली में लोग आमतौर पर विटामिन-डी की कमी का शिकार हो रहे हैं. सुबह के समय ही ऑफिस चले जाना और देर शाम लौटना. इस तरह की दिनचर्या में मुमकिन ही नहीं हो पाता कि की लोग सूरज की रोशनी ग्रहण कर सकें.
शोधकर्ताओं के एक दल के मुताबिक विटामिन-डी की कमी से सिर्फ शरीर ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता. जिससे आप ड्रिपेशन के शिकार भी हो सकते हैं. इसकी कमी से सीजनल डिस-ऑर्डर, अवसाद और उत्तेजना का शिकार होने की संभावना रहती है.
जॉर्जिया कॉलेज के एलन स्टीवर्ट के मुताबिक अवसाद को बढाने में कारक कई अन्य कारणों के साथ-साथ विटामिन-डी की कमी भी मुख्य फैक्टर है. यही नहीं विटामिन-डी की कमी अन्य कई कारकों की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
यूजीए पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय और आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने मिलकर शोध किया और मेडिकल हाइपोथीसिस जनरल के नवंबर 2014 के अंक में इसकी सूचना दी है.
प्रोफेसर स्टीवर्ट और माइकल किमलिन ने 100 से अधिक लेखों की समीक्षा की और जिसमें उन्होंने पाया कि विटामिन डी और सीजनल डिस-ऑर्डर के बीच गहरा संबंध है.
मानव विकास सेवा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर स्टीवर्ट के मुताबिक सीजनल डिस-ऑर्डर भौगोलिक स्थिति पर भी निर्भर करता है. इस तरह के मामलों में 10 प्रतिशत लोग सीजनल डिस-ऑर्डर से प्रभावित होते हैं.
प्रोफेसर स्टीवर्ट की टीम द्वारा किए गए परीक्षणों से यह बात सामने आयी है कि सर्दियों के मौसम के शुरू होने के साथ ही लोग अवसाद के शिकार होने लगते हैं. क्योंकि इस मौसम में शरीर में विटामिन-डी की मात्रा कम हो जाती है.
विटामिन-डी के स्तर का सूर्य के प्रकाश से सीधा संबंध है. इस मौसम बदलने के साथ ही शरीर में विटामिन डी की मात्रा भी कम या ज्यादा होती जाती है.
शोधकर्ताओं के अनुसार विटामिन डी मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन रसायनों के संश्लेषण में शामिल है. इन दोनों रसायन का संबंध डिप्रेशन से है.
कैंसर काउंसिल क्वींसलैंड प्रोफेसर Kimlin का कहना है कि साक्ष्यों के मुताबिक डोपामाइन और सेरोटोनिन का स्तर घटने से डिप्रेशन से होता है. इसलिए इसका संबंध विटामन डी मात्रा कम होने से हो सकता है.
इसके अलावा शोध में यह बात भी सामने आई है कि लोगों की त्वचा के रंग के अनुसार भी विटामिन-डी के स्तर में विविधता पाई जाती है. डार्क स्किन वाले लोगों में विटामिन-डी का स्तर कम होता है.
इसलिए डार्क स्किन वाले लोगों में मनौवैज्ञानिक और मानसिक रोग होने की संभावना ज्यादा होती है. वैज्ञानिकों ने इस स्थिति पर चिंता जताई. वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह शोध अंतरराष्ट्रीय महत्व का है।"
* विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए करें ये उपाय
1. विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के लिए आपको कोशिश करनी होगी कि सूरज की को नियमित रूप से ग्रहण किया जाए ताकि आपको विटामिन-डी प्राप्त होता रहे.
2. इसके साथ विटामिन-डी युक्त खाद्य पदार्थों को नियमित रूप से भोजन में शामिल करें. जैसे मछली, मशरूम, फार्टफाइड फूड्स, दूध और दूध से बनी चीजें, अंडा और मीट आदि.