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विकलांगों का जीवन होगा आसान

रोबोटिक अंगों में बायो सेंसर लगे होते हैं. इनकी मदद से ये अंग खुद काम करने में सक्षम होते हैं. इस कारण विकलांगों को अब दूसरे के सहारे रहने की जरूरत नहीं. ये रोबोटिक अंग 40 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक में उपलब्ध हैं. नये एडवांस प्लास्टिक, कार्बन-फाइबर कंपोजिट ये अंग पहले से […]

रोबोटिक अंगों में बायो सेंसर लगे होते हैं. इनकी मदद से ये अंग खुद काम करने में सक्षम होते हैं. इस कारण विकलांगों को अब दूसरे के सहारे रहने की जरूरत नहीं. ये रोबोटिक अंग 40 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक में उपलब्ध हैं. नये एडवांस प्लास्टिक, कार्बन-फाइबर कंपोजिट ये अंग पहले से कहीं ज्यादा सुविधाजनक हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल करीब 20 लाख लोगों को रोबोटिक अंग लगाये जाते हैं. हालांकि अब वैज्ञानिक एक कदम आगे बढ़ कर काम कर रहे हैं. नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ऐसे रोबोटिक अंगों के विकास में लगे हैं, जो सीधे मस्तिष्क से निकलनेवाली तरंगों को पहचान कर उसे मशीनी संकेतों में डीकोड करते हैं और इसके आधार पर काम करते हैं. शुरुआती प्रयोग में सफलता भी मिली है. भारत में भी ऐसे अंग बनाने में सफलता मिली है.
यहां बायोनिक कान डिजाइन किया गया है. यह भी इसी सिद्धांत पर कार्य करता है. इसके काफी कम कीमत में अगले साल से मिलने की उम्मीद है. हाल ही में आर्टिफिसियल लिम्स मेन्यूफैरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर जी नारायण के अनुसार अब भारत सरकार कृत्रिम अंगों पर सब्सिडि देने जा रही है, जिससे काफी कम कीमत में अत्याधुनिक रोबोटिक अंग उपलब्ध कराये जा सकेंगे.

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