मुस्कान न चुरा ले सर्दी, जानें बचाव के उपाय

ठंड आ चुकी है. मौसम के बदलाव में कई बीमारियों का खतरा भी है. सर्दी-जुकाम होना तो आम बात है. हृदय रोग, अस्थमा आदि के मरीजों के लिए भी यह खतरनाक है. जरा-सी लापरवाही हाइपोथर्मिया का शिकार बना सकती है. इस मौसम में कैसे रहें स्वस्थ, बता रहे हैं दिल्ली व पटना के विशेषज्ञ. हाइपोथर्मियाबॉडी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2014 11:54 AM
ठंड आ चुकी है. मौसम के बदलाव में कई बीमारियों का खतरा भी है. सर्दी-जुकाम होना तो आम बात है. हृदय रोग, अस्थमा आदि के मरीजों के लिए भी यह खतरनाक है. जरा-सी लापरवाही हाइपोथर्मिया का शिकार बना सकती है. इस मौसम में कैसे रहें स्वस्थ, बता रहे हैं दिल्ली व पटना के विशेषज्ञ.
हाइपोथर्मियाबॉडी का वह स्टेट (अवस्था) है, जिसमें ठंड की वजह से टेंपरेचर नॉर्मल से कम हो जाता है. इसमें टेंपरेचर 35 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है. इस बीमारी को टेंपरेचर के स्तर पर विभाजित किया जा सकता है. यदि बॉडी टेंपरेचर 32-35 डिग्री सेल्सियस है, तो माइल्ड हाइपोथर्मिया है. यदि 28-32 डिग्री सेल्सियस है, तो मॉडरेट और 28 डिग्री सेल्सियस से कम है, तो सीरियस हाइपोथर्मिया कहलाता है.
कैसे करता है प्रभावित
यह बीमारी बुजुर्गो को ज्यादा प्रभावित करती है. इसका कारण उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनके बॉडी सिस्टम का कमजोर हो जाना है. हाइपोथर्मिया के लक्षण इसकी गंभीरता पर निर्भर करते हैं. माइल्ड हाइपोथर्मिया होने पर रोगी के हाथ सही तरीके से काम नहीं करते हैं. इसके अलावा पेट संबंधी समस्या भी देखने को मिलती है.
मॉडरेट हाइपोथर्मिया में पीड़ित व्यक्ति में कंपकंपाहट तेज होती है, ब्लड वेसेल्स सिकुड़ जाती हैं, मरीज का रंग पीला पड़ जाता है और उंगलियां, होठ नीले पड़ जाते हैं. सीरियस हाइपोथर्मिया में कंपकंपाहट नहीं होती. इसमें मरीज को बोलने में दिक्कत, सोचने में परेशानी आदि समस्या देखने को मिलती है. यह सबसे गंभीर अवस्था है, इसमें मरीज के कई अंग काम करना बंद भी कर सकते हैं.
कैसे करें बचाव
सर्दियों में अक्सर छोटी-सी लापरवाही भी परेशानी का कारण बन जाती है. हाइपोथर्मिया से बचने के लिए निम्न सावधानी जरूर बरतें-
– घर से बाहर निकलें तो शरीर का हर अंग ढक कर निकलें.
– सुबह-शाम की सर्द हवाओं से बचें.
– घर से निकलते समय खाना खाकर निकलें.
– नशीले पदार्थों का सेवन न करें.
इन रोगों का भी होता है खतरा
जुकाम और खांसी
यह समस्या बदलते मौसम में किसी को भी हो सकती है. यह समस्या एलर्जी की वजह से होती है. जुकाम-खांसी के साथ सर्दी लगने की वजह भी एलर्जी को ही माना जाता है. चिकित्सक बताते हैं कि यदि आप हेल्दी डायट लेते हैं, तो खुद को एलर्जी से बचा सकते हैं. खाने में विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स की मात्र संतुलित रखें.
फ्लू भी हो सकता है हावी
इस मौसम में वायरल इन्फेक्शन के कारण फ्लू भी आपको अपनी चपेट में ले सकता है. वायरल इन्फेक्शन में बुखार, सिरदर्द, आंखों से पानी बहना आदि लक्षण दिखाई देते हैं. वायरल इन्फेक्शन से बचने के लिए शरीर की साफ-सफाई का ख्याल रखें. इसके अलावा बाहरी खाने से परहेज करें.
क्या है उपचार
यदि व्यक्ति में हाइपोथर्मिया के लक्षण दिखाई दें रहे हैं, तो शुरुआती उपचार के तौर पर मरीज को कंबल से ढक कर रखें. जिस कमरे में मरीज को रख रहे हैं, उसका तापमान 24 डिग्री सेल्सियस हो. हीटर के माध्यम से हाइपोथर्मिया के मरीजों को गरम हवा भी दे सकते हैं. मरीज को ठंड के संपर्क में आने से बचाएं. यदि मरीज को डायबिटीज या अन्य कोई बीमारी है या हाइपोथर्मिया मॉडरेट या सीरियस लेवल का है, तो चिकित्सक से संपर्क कर उचित ट्रीटमेंट कराना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version