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जीवन को शक्ति देनेवाले बिंदु

पिछले अंकों में एक्यूप्रेशर बिंदु छक-4, छ4-7 और एक्यूप्रेशर बिंदु पर दबाव देने से होनेवाले अन्य दो प्रकार के आब्जेक्टिव प्रभावों यथा- होमियोस्टेटिक प्रभाव एवं शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ानेवाले प्रभाव की चर्चा की गयी थी. आज एक्यूबिंदु रस्र-6, वइ-40 के गुणों पर चर्चा की गयी है. एक्यूबिंदुएं रढ-6 और वइ-40 जीवन शक्ति को संतुलित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2014 12:18 PM
पिछले अंकों में एक्यूप्रेशर बिंदु छक-4, छ4-7 और एक्यूप्रेशर बिंदु पर दबाव देने से होनेवाले अन्य दो प्रकार के आब्जेक्टिव प्रभावों यथा- होमियोस्टेटिक प्रभाव एवं शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ानेवाले प्रभाव की चर्चा की गयी थी. आज एक्यूबिंदु रस्र-6, वइ-40 के गुणों पर चर्चा की गयी है.
एक्यूबिंदुएं रढ-6 और वइ-40 जीवन शक्ति को संतुलित करने में महत्वपूर्ण हैं. ये कई अंगों के रोगों को भी दूर करने में लाभकारी हैं.
एक्यूबिंदु रढ-6, वइ-40 के गुण :
– ढ-6 : यह स्प्लीन चैनेल पर छठा एवं डिस्टल एक्यूबिंदु है, जो (चित्र-1) स्प्लीन पर प्रवाहित होनेवाले प्राण उर्जा (जीवनी शक्ति) की कमी को संतुलित कर स्वस्थ बनाने का कार्य करता है. यह आंत, आमाशय एवं मूत्र, निम्न अंगों, मांसपेशियों, त्वचा एवं मुंह संबंधी बीमारियों के निदान एवं सफल चिकित्सा के लिए प्रमाणित है. लिवर, स्प्लीन एवं किडनी चैनल यहीं पर मिलते हैं, इसलिए इन तीनों अंगों से संबंधित रोगों की चिकित्सा के लिए इसका उपयोग किया जाता है.
– वइ-40 : यह मूत्रशय चैनल पर 40वां एवं डिस्टल बिंदु है, जो चित्र-2 में दरसाया गया है. यह बिंदु सायटिका, कमर दर्द, निम्न अंगों में पक्षाघात, जननांग एवं मूत्रंग संबंधी बीमारियों के लिए लाभकारी है. इसके अलावा यह घुटना जोड़ एवं त्वचा संबंधी बीमारियों के उपचार में भी लाभप्रद है.
क्रमश:

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