क्या होता है फोबिया डिसऑर्डर

डॉ बिन्दा सिंह क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, पटना मो : 9835018951 अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोगों को सामान्य बातों से भी भयानक डर लगता है, जैसे बच्चों को स्कूल से या परीक्षा से. बड़ों में किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने से या किसी बीमारी से. इस अवस्था में लोग डर से कांपने तक लगते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2014 1:46 PM
डॉ बिन्दा सिंह
क्लिनिकल
साइकोलॉजिस्ट, पटना
मो : 9835018951
अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोगों को सामान्य बातों से भी भयानक डर लगता है, जैसे बच्चों को स्कूल से या परीक्षा से. बड़ों में किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने से या किसी बीमारी से. इस अवस्था में लोग डर से कांपने तक लगते हैं. इस रोग को फोबिया डिसऑर्डर कहते हैं. कुछ लोगों में यह समस्या जन्म से होती है.
लक्षण : यह रोग होने पर किसी खास चीज या परिस्थिति के प्रति मन में गहरी आशंका घर कर जाती है. इस परिस्थिति का सामना होते ही तेज बेचैनी होती है. दिल जोर से धड़कने लगता है. सांस घुटने लगती है लगता है जैसे जान निकल आ जायेगी. इसे पेनिक अटैक कहते हैं. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह समस्या काफी अधिक होती है.
कितने हैं प्रकार : वैसे फोबिया कई प्रकार का होता है लेकिन मुख्य रूप से सिंपल फोबिया, एग्रोफोबिया और सोशल फोबिया देखा जाता है.
उपचार : फोबिया के मरीज को उसके हाल पर नहीं छोड़ देना चाहिए. इससे समस्या और गंभीर हो जाती है और अन्य मानसिक रोगों के होने का भी खतरा होता है. गंभीर फोबिया होने पर चिंतारोधी दवाएं दी जाती हैं. इसके अलावा व्यवहार चिकित्सा भी इसमें काफी प्रभावी है. डिसेसीटाइजेशन से भी रोगी को फायदा होता है. अत: हर प्रकार के फोबिया का इलाज संभव है. जो लोग डरते हैं, उन्हें समझाने से उनका डर समाप्त हो जाता है. यदि बच्चे पानी से डरते हैं, तो उन्हें पानी से खेलने के लिए प्रेरित करें. इससे भी उनका डर खत्म होगा.

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