दृष्टि केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाती है नासिकाग्र दृष्टि

दृष्टि दोष के कई कारण हो सकते हैं. लेकिन जो लोग आंखों के लिए नियमित योगाभ्यास करते हैं, उनकी दृष्टि मजबूत होती है और रोग भी दूर रहते हैं. प्रारंभिक नासिकाग्र दृष्टि का अभ्यास आंखों के लिए किया जानेवाला छठा और अंतिम अभ्यास है. अभ्यास की विधि : जमीन पर दोनों पैरों को सामने की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2014 2:12 PM
दृष्टि दोष के कई कारण हो सकते हैं. लेकिन जो लोग आंखों के लिए नियमित योगाभ्यास करते हैं, उनकी दृष्टि मजबूत होती है और रोग भी दूर रहते हैं.
प्रारंभिक नासिकाग्र दृष्टि का अभ्यास आंखों के लिए किया जानेवाला छठा और अंतिम अभ्यास है. अभ्यास की विधि : जमीन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ रखते हुए बैठ जाएं. सुखासन में भी सुविधानुसार बैठ सकते हैं. दायें हाथ की भुजा को सीधा और ठीक नाक के सामने रखें. दाहिने हाथ की मुट्ठी बना कर अंगूठे को ऊपर की ओर रखें.
दृष्टि को अंगूठे के ऊपरी भाग पर केंद्रित करें. अब अपनी भुजा को मोड़ कर धीरे-धीरे अंगूठे को नासिकाग्र पर ले आएं. दृष्टि अंगूठे के ऊपरी भाग पर ही केंद्रित रहे. नासिकाग्र पर अंगूठे को रखते हुए कुछ क्षण ठहरें और इस बीच दृष्टि अंगूठे के ऊपरी भाग पर केंद्रित रहे. धीरे-धीरे भुजा सीधी करें. दृष्टि अंगूठे के ऊपरी भाग पर ही बनी रहे. यह अभ्यास का एक चक्र हुआ. इसे पांच चक्र करें.
श्वसन : अंगूठे को नाक की ओर लाते समय श्वास लें. जब अंगूठा नासिकाग्र पर रहे तब श्वास को अंदर रोकें. अब अपनी भुजा को सीधी करते समय श्वास छोड़ें.
लाभ : आंख की पेशियों की विस्तार और दृष्टि केंद्रित करने की क्षमता में सुधार आता है.
अभ्यास का दूसरा चरण व विधि : नजदीक और दूर देखना.
खुली खिड़की के पास खड़े हो जाएं या बैठ जाएं, जहां से क्षितिज स्पष्ट रूप से दिखायी देता हो. भुजाएं बगल में रखें. पांच सेकेंड का नासिकाग्र पर दृष्टि केंद्रित करें. फिर क्षितिज में किसी दूर की वस्तु पर पांच सेकेंड तक दृष्टि केंद्रित करें. प्रक्रिया 10 से 20 बार दुहराएं. आंखों को बंद कर विश्रम दें. इस समय हथेलियों को आंखों पर रखने का अभ्यास कर सकते हैं.
श्वसन : पास देखते समय लंबी श्वांस लें. दूर देखते समय श्वास छोड़ें.
लाभ : इस अभ्यास से भी आंख की पेशियों का विस्तार होता है और दृष्टि केंद्रित करने की क्षमता में सुधार लाता है परंतु इसमें गति का परास बढ़ जाता है.
अभ्यास टिप्पणी : इन सभी छह आसनों को पूरा करने के बाद श्वसन में लेटें या योग निद्रा का अभ्यास करें. इससे आंखों में शिथिलता आयेगी और आनंद का अनुभव किया जा सकता है.
धर्मेद्र सिंह
एमए योग मनोविज्ञान, बिहार योग विद्यालय-मुंगेर
गुरु दर्शन योग केंद्र-रांची योग मित्र मंडल-रांची
आंखों के लिए योगाभ्यास में ‘दृष्टि को ऊपर नीचे करना’ पांचवें नंबर पर करनेवाला अभ्यास है.
अभ्यास की विधि : अभ्यास के लिए जमीन पर पैरों को सामने करते हुए बैठ जाएं. दोनों हाथों की मुट्ठियों को इस प्रकार घुटनों पर रखें कि अंगूठे ऊपर की ओर रहें. अपनी दोनों भुजाओं को सीधा रखते हुए और अंगूठे की गति पर दृष्टि केंद्रित करते हुए धीरे-धीरे दाहिने अंगूठे के ऊपर उठाएं.
अंगूठे को अधिकतम ऊंचाई तक उठाने के बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट जाएं और पूरे समय अपने सिर को बिना हिलाये आंखों को अंगूठे पर केंद्रित रखें. अब बायें अंगूठे से अभ्यास दुहराएं. प्रत्येक अंगूठे से पांच-पांच बार अभ्यास करें. सिर एवं मेरुदंड को अभ्यास के दौरान सीधा रखें. अंत में आंखों को बंद कर विश्रम दें. आंखों पर हथेलियां रखने का अभ्यास दुहराएं.
श्वसन : दृष्टि ऊपर ले जाते समय श्वास लें. दृष्टि को नीचे लाते समय सांस छोड़ें.
लाभ : नियमित रूप से दृष्टि को ऊपर-नीचे करने के इस अभ्यास को करने से यह नेत्र गोलकों के ऊपर-नीचे की पेशियों में संतुलन लाता है.

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