रहा न जाये जब दर्द सताये, व्यायाम ही बेहतर उपाय

ठंड में घर के बड़े-बुजुर्गो को जोड़ों का दर्द अधिक सताता है. यह दर्द कई कारणों से हो सकता है. प्रमुख कारण हैं- आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस. इस दर्द को नजरअंदाज करने के बजाय अगर विशेषज्ञों द्वारा बताये गये उपायों को हम अमल में लाएं, तो जिंदगी आसान हो सकती है. दर्द से लड़ने की खास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2014 11:55 AM
ठंड में घर के बड़े-बुजुर्गो को जोड़ों का दर्द अधिक सताता है. यह दर्द कई कारणों से हो सकता है. प्रमुख कारण हैं- आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस. इस दर्द को नजरअंदाज करने के बजाय अगर विशेषज्ञों द्वारा बताये गये उपायों को हम अमल में लाएं, तो जिंदगी आसान हो सकती है. दर्द से लड़ने की खास जानकारी दे रहे हैं दिल्ली व पटना के एक्सपर्ट.
जोड़ों में दर्द का एक प्रमुख कारण आर्थराइटिस है. इसे ही गठिया भी कहते हैं. विशेष कर 60 उम्र के बाद यह रोग परेशान करता है. इसके रोगी के हड्डियों में सूजन, अकड़न और जोड़ों में दर्द होता है. ऐसा जोड़ों में यूरिक एसिड जम जाने से होता है. यूरिक एसिड के जमने से मरीज के जोड़ों में गाठें भी बन जाती हैं. यह बीमारी किसी को भी हो सकती है. मगर अधिकतर मामलों में यह अधिक उम्र के लोगों में ही होता है. सर्दियों में लोगों की जीवनशैली बदल जाती है. गरमी के मौसम के मुकाबले खान-पान बढ़ जाता है, सुबह की एक्सरसाइज या वाकिंग नहीं हो पाती, सुबह लेट उठना, धूप नहीं होना आदि कारणों से आर्थराइटिस की समस्या बढ़ जाती है.
ऑस्टियोपोरोसिस : 35-40 वर्ष से ऊपर के लोगों को विशेषकर यह परेशान करता है, क्योंकि बढ़ती उम्र में हड्डियों की गुणवत्ता के साथ-साथ घनत्व भी कम होने लगता है. शुरुआत में इसके लक्षणों का पता नहीं चलता. इसमें ज्यादातर कूल्हा, रीढ़ एवं जोड़ों की हड्डियां प्रभावित होती हैं. इनमें फ्रैर होना आम बात है. रोग की शुरुआत में दर्द नहीं होता है. लेकिन जब हड्डियां काफी कमजोर हो जाती हैं, तो हल्के झटके से भी फ्रैर हो जाता है. इस स्थिति में ही भयंकर दर्द होता है. ठंड में यह दर्द और बढ़ जाता है.
सजग रहेंगे तो मिलेगी राहत : यदि ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण दिखें तो लापरवाही न बरतें. डॉक्टरकी सलाह लें. बढ़ती उम्र में हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए डॉक्टर कई तरह के सप्लीमेंट्स व कैल्सियम देते हैं. उनके द्वारा दी गयी दवाइयों का सेवन नियमित रूप से करें. निर्देशानुसार एक्सरसाइज करें. बढ़ती उम्र में होनेवाले रोग को दवाइयों से उसी स्तर पर रोका जा सकता है जहां तक वह पहुंच चुकी है. इससे हड्डियां और अधिक कमजोर नहीं होती हैं और दर्द से भी छुटकारा मिल जाता है.
डॉ एल तोमर
वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ, मैक्स अस्पताल, दिल्ली
आर्थराइटिस के लक्षण
किसी भी जोड़ में अधिक समय तक दर्द या सूजन रहना
जोड़ों से काम करने में तकलीफ होना
मांसपेशियों में जकड़न या दर्द रहना
अधिक समय तक हल्का बुखार रहना (जिसे हड्डियों का बुखार भी कहते हैं)
क्यों होता है आर्थराइटिस
आर्थराइटिस खान-पान में बदलाव से भी हो सकता है. महिलाओं में यह समस्या मेनोपॉज के बाद होती है. पोषण की कमी से भी यह रोग हो सकता है. शराब का सेवन भी इसका खतरा बढ़ाता है. यह रोग आनुवंशिक भी हो सकता है. मोटापा, हाइ बीपी की वजह से भी यह हो सकता है.
इसके प्रमुख प्रकार
आर्थराइटिस के कई प्रकार हैं- ऑस्टियो और रूमेटॉयड आर्थराइटिस आम है.
ऑस्टियो आर्थराइटिस :यह सबसे आम प्रकार है और उम्र बढ़ने के कारण होता है. इस प्रकार के आर्थराइटिस में उंगलियां, कूल्हे और घुटने सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
रूमेटॉयड आर्थराइटिस : यह इम्यूनिटी सिस्टम में समस्या से होता है. इसमें इम्यूनिटी सिस्टम जोड़ों के टिश्यू पर हमला कर देता है. इसका प्रभाव पूरे शरीर के जोड़ों पर पड़ता है.
ठंड में क्या करें
मरीज अधिक-से-अधिक समय धूप में रहने की कोशिश करें. जोड़ों को पूरी तरह ढंक कर रखें. एक बार ठंड लग जाने के बाद काफी परेशानी होती है. यदि दवा लेने के बाद भी परेशानी हो, तो पुरानी दवाई न खाएं और डॉक्टर से सलाह लें. इसके अलावा खान-पान में भी ध्यान रखें. दूध और हरी सब्जियों का सेवन अधिक करें. तली-भुनी चीजों से परहेज ही रखें.
व्यायाम से दर्द को रखें दूर
डॉ रजत चरण
कंसल्टेंट ऑर्थो, आइजीआइएमएस,पटना
ठंड में हड्डियों, खास कर जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ जाती है. इसका प्रमुख कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस या ऑस्टियोपोरोसिस है. इसके अलावा कई अन्य प्रकार के दर्द भी हैं, जो इस मौसम में हावी हो जाते हैं. अपने खान-पान में थोड़ा-सा सुधार और डॉक्टर की सलाह पर दवाइयों व एक्सरसाइज से बचाव संभव है.
ठंड से ब्लड वेसेल्स का सिकुड़ना दर्द की वजह
ठंड में दर्द के क्या कारण हो सकते हैं?
सर्दियों में हड्डियों एवं जोड़ों का दर्द ज्यादा परेशान करता है. इस मौसम में आर्थराइटिस एवं पुराने चोट का दर्द उखड़ जाता है. ठंड के कारण ब्लड वेसेल्स का सिकुड़ना इसका प्रमुख कारण है. इसके कारण दर्द पैदा करनेवाले केमिकल्स जमा हो जाते हैं, जिससे दर्द का एहसास होने लगता है.
दर्द को कम करने के उपाय?
इन दोनों के दर्द को कम करने का सबसे कारगर उपाय उन बीमारियों के उपचार की दवाओं का नियमित सेवन ही है. मगर ये दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के न लें. आमतौर पर सेंकने और गरम पट्टियों अथवा दस्ताने व जुराबों से आराम मिलता है. दर्द कम करने के लिए मलहम लगाया जा सकता है. मगर दर्द की दवा का कम-से-कम सेवन करना ही बेहतर है.
ऑस्टियोपोरोसिस में
क्यों होता है दर्द?
यह उम्र के साथ होनेवाली हड्डियों के क्षय की प्रक्रिया है. इसमें हड्डियां कमजोर होकर टूटने लगती हैं. शुरुआत में पतली दरार आती है, जिसे माइक्रो फ्रैर कहते हैं, जो दर्द का कारण बनता है.
क्या है इस दर्द का इलाज?
दर्द से राहत के लिए दर्द की दवा के अलावा हड्डियों को मजबूत करने की दवा दी जाती है. इसमें प्रमुख तौर पर कैल्शियम दिया जाता है. इसके अलावा कैल्शियम को हड्डियों में बांध कर रखनेवाली दवाएं दी जाती हैं. कुछ दवाएं हड्डियों के घनत्व को बढ़ाने में भी कारगर हैं. मगर ये दवाएं थोड़ी महंगी होती हैं और इनकी सिर्फ सूई ही उपलब्ध है.
परेशान करनेवाले कुछ और दर्द
इस मौसम में क्रॉनिक दर्द ही नहीं, न्यूरोपैथिक दर्द भी बढ़ जाता है. शरीर में खून की आपूर्ति करनेवाली नसों में सिकुड़न बढ़ जाती है. माइग्रेन भी इसी का एक उदाहरण है.
नसों का दर्द : शरीर में नसें विद्युत तार की तरह जुड़ी होती हैं. सर्दी में वातावरण में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण नसों में संकुचन बढ़ जाता है, जिससे खून का बहाव अपेक्षाकृत कम होता है. यह स्थिति माइग्रेन और ट्रीजेमिनल न्यूरोग्लिया का भी कारण बन सकती है. इसमें नर्व पेन अधिक होता है.
चेहरे में दर्द : कुछ लोगों को ठंड में चेहरे के एक हिस्से में दर्द की समस्या होती है, यह ट्रीजेमिनल न्यूरोग्लिया से होती है. इसमें चेहरे और आंखों की मांशपेशियों में खून जमने लगता है, जिससे दर्द होता है. सुबह-शाम यह दर्द ज्यादा परेशान करता है. डॉक्टर दवाइयों या सर्जरी की मदद से इसका इलाज करते हैं.
बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा : सर्दियों में दिल की धमनियों के दर्द की समस्या बढ़ जाती है. इसे पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज (पीवीडी) कहते हैं. यह शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में खून पहुंचानेवाली धमनियों के बाधित होने से होता है. इसे एन्यूरिज्म या एथेलोरोस्केलोसिस कहते हैं.
बातचीत व आलेख : कुलदीप तोमर, दिल्ली
सरसों तेल की मालिश से होता है लाभ
संधिवात (ऑस्टियोपोरोसिस) और आमवात (रूमेटॉयड आर्थराइटिस) दोनों में जोड़ क्षतिग्रस्त होते हैं. सरसों तेल में लहसुन पका के जायफल मिला कर जोड़ों में मालिश करने से मोबिलिटी रहती है और दर्द दूर होता है. मालिश के लिए महानारायण तेल, महामास तेल आदि भी यूज कर सकते हैं. उपचार : संधिवात : सिंहनाद गुगुल, लक्षादि गुगुल दो-दो गोली सुबह-शाम लें. आमवात : महावात विध्वंसक रस एक -एक गोली सुबह-शाम लें. सूई चुभने जैसी समस्या खत्म होगी. अस्थिक्षय (ऑस्टियोपोरोसिस) : बृहतवातचिंतामणी रस की एक गोली मलाई से लें. प्रवाल पिष्टी और मुक्ता पिष्टी 125 मिलीग्राम मधु के साथ लें. त्नडॉ कमलेश प्रसाद, आयुर्वेद विशेषज्ञ
होमियोपैथी में क्या है उपचार
जोड़ों का दर्द : रक्स टक्स: कमर एवं घुटने में जकड़न के साथ दर्द जब सोने या बैठने पर असहनीय लगे और चलने-फिरने में राहत महसूस हो, रात में ठंडी हवा सहन न हो, सेकने से राहत मिले, तो तुरंत 200 शक्ति की दवा सुबह और रात में लें.
ब्राइयोनिया : गरदन में अकड़न, कमर में जकड़न, घुटनों में सूजन, लाल एवं गरम जैसा लगे. हिलना-डुलना बरदाश्त न हो, तब 200 शक्ति की दवा सुबह-रात में लें.
कालमिया लेटीफोलिया : दर्द गरदन से शुरू होकर दोनों बांहों तक होते हुए अंगुलियों तक जाये या कमर से शुरू होकर पैरो में नीचे तक जाये. आगे झुकने पर या ठंडी हवा से दर्द बढ़ जाये, तब 200 शक्ति की दवा सुबह रोजाना एक बार लें.
त्नडॉ एस चंद्रा, होमियोपैथी विशेषज्ञ
व्यायाम ही बेहतर उपाय
मांसपेशियों में दर्द का कोई निश्चित या प्रमाणित कारण नहीं है. माना जाता है कि शरीर पर एटमोस्फेरिक प्रेशर समान रूप से पड़ता है और शरीर को इसकी आदत होती है. मौसम के ठंडे होने पर प्रेशर में परिवर्तन होता है. कोशिकाओं में भी खिंचाव होता है. इसी कारण दर्द की शिकायत बढ़ जाती है. यह थ्योरी सर्वमान्य नहीं है, क्योंकि सभी लोगों को यह समस्या नहीं होती. दूसरी थ्योरी है कि ठंड के दिनों में लोग घर से कम निकलते हैं और फिजिकल एक्टीविटी भी कम हो जाती है. इस कारण कैल्शियम आयन के प्रभाव से दर्द की समस्या होती है. अत: ऐसी स्थिति में नियमित व्यायाम और न्यूट्रिशन काफी महत्वपूर्ण है.
मसल्स में दर्द होने पर : स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज अधिक करनी चाहिए.
ज्वाइंट में दर्द होने पर : इसमें ज्वाइंट प्रोटेक्शन और एनर्जी कंजर्वेशन तकनीक का प्रयोग होता है. इसमें जोड़ों की मोबिलिटी बढ़ायी जाती है. कम-से-कम ऊर्जा खर्च करके और जोड़ों पर कम दबाव डाल कर व्यायाम किया जाता है. आस-पास की मांसपेशियों के कमजोर होने से जोड़ों पर जोर पड़ता है. मांसपेशियां व्यायाम से मजबूत होती हैं और जोड़ों पर पड़ने वाला दबाव मांसपेशियों पर पड़ता है.
ऑस्टियोपोरोसिस : इस रोग में एंटी ग्रेविटी व्यायाम अर्थात सीधा बैठ कर घुटने को उठाना फायदेमंद है. बाद में वजन डाल कर उठाया जाता है.
स्टैंडिंग हैमस्ट्रिंग कल्र्स : कुरसी के सहारे एक पैर पर खड़े हो कर दूसरे पैर को मोड़ना चाहिए.
क्लोज्ड काइनेटिक चेन एक्सरसाइज : खड़े हो कर दोनों पैरों को मोड़ते हुए 60 डिग्री तक बैठने की अवस्था में आना है. इसमें पूरा नहीं बैठा जाता है.
ऑस्टियो आर्थराइटिस : इस रोग के लिए भी कई एक्सरसाइज हैं. पहला है एसएलआर. इस व्यायाम में लेट कर बारी-बारी से पैर को ऊपर उठाना होता है. करवट में लेट कर भी कर सकते हैं. इसे स्ट्रेट लेग रेज कहते हैं.
स्टेटिक क्वाड्रिसेप्स : तकिया को घुटने के नीचे रख कर दबाया जाता है और फिर फ्री छोड़ दिया जाता है.
पैटुलर मोबिलाइजेशन : इसमें पैटेला को इधर-उधर घुमाया जाता है. हाथों के जोड़ों के लिए हैंड-रिस्ट-फिंगर एक्सरसाइज और पैरों के लिए एंकल-फुट-टो किया जाता है.
डॉ विनय पांडे, आइजीआइएमएस, पटना से अजय कुमार की बातचीत

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