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नयी आशाओं-नये विश्वास के साथ करो नये साल की शुरुआत

हमें पहले से ही नये वर्ष का प्लान तैयार कर लेना चाहिए कि इस वर्ष हमें क्या करना है. किन बातों का ध्यान रखना है. पिछले वर्ष हमने क्या किया? हमारी बातों से किसको दुख पहुंचा? हमारी कमियां क्या थीं? ऐसा कौन-सा काम था, जो हमें नहीं करना चाहिए था मगर हमने किया और जो […]

हमें पहले से ही नये वर्ष का प्लान तैयार कर लेना चाहिए कि इस वर्ष हमें क्या करना है. किन बातों का ध्यान रखना है. पिछले वर्ष हमने क्या किया? हमारी बातों से किसको दुख पहुंचा? हमारी कमियां क्या थीं? ऐसा कौन-सा काम था, जो हमें नहीं करना चाहिए था मगर हमने किया और जो करना चाहिए था, वह नहीं किया?
झरना ने नीला से पूछा कि मम्मा फस्र्ट जनवरी को दादी हम सबको लेकर मंदिर क्यूं गयी थीं? नीला ने कहा- वह इसलिए कि हम सब मानते हैं कि जिस तरह से हम साल का पहला दिन बितायेंगे, हमारा पूरा वर्ष उसी तरह से बीतेगा. मसलन दिन की शुरुआत जल्दी उठ कर, नहा कर मंदिर जाने से करनी चाहिए या घर पर ही प्रार्थना करनी चाहिए. पूरे दिन अपनी दिनचर्या को बहुत अच्छी तरह फॉलो करना चाहिए. अच्छे काम करते हुए खुशी-खुशी दिन बिताना चाहिए जिससे हमारे वर्ष के सभी दिन अच्छे बीतें.
हमें पहले से ही नये वर्ष का प्लान तैयार कर लेना चाहिए कि इस वर्ष हमें क्या करना है. किन बातों का ध्यान रखना है. पिछले वर्ष हमने क्या किया? हमारी बातों से, हमसे किसको दुख पहुंचा? हमारी कमियां क्या थीं? ऐसा कौन-सा काम था, जो हमें नहीं करना चाहिए था मगर हमने किया और जो करना चाहिए था वह हमने नहीं किया? इन सारी बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए, ताकि हम जो गलती कर चुके हैं वह आगे न हों.
इसलिए हम नये साल की शुरुआत मंदिर से करते हैं. हम ऐसा मानते हैं कि कोई भी काम पूजा-पाठ करके, ईश्वर का स्मरण करके किया जाये, तो वह जरूर पूरा होता है, हम सफल होते हैं. इसलिए हम कोई भी शुभ काम करने से पहले पूजा-पाठ करके ईश्वर से उस काम के सफल होने की प्रार्थना करते हैं. तुम्हें पता है जब मम्मा छोटी थी ना, तो तुम्हारी मम्मा यानी मैं, मौसी और छोटे मामा सब बहुत एक्साइटेड रहते थे.
पहली जनवरी को सुबह जल्दी उठने थे, अच्छे बच्चों की तरह बात मानते थे और पूरे दिन पढ़ाई करते थे, जिससे हम पूरे साल ऐसे ही काम करें. झरना ने पूछा- मम्मा जो बच्चा साल के पहले दिन जल्दी उठेगा क्या वह पूरे साल जल्दी ही उठेगा? नीला ने कहा- नहीं बेटा, ऐसा नहीं है. वह इसलिए कहा जाता है कि जिससे बच्चों में अच्छी आदतें पड़े. एक बात बताओ, जो काम हम एक दिन कर सकते हैं, वह रोज क्यों नहीं कर सकते? कहावत है- ‘‘जब जागो तभी सवेरा’’. इसलिए अगर साल का पहला दिन मिस भी हो गया तो कोई बात नहीं. अच्छी शुरुआत कभी भी की जा सकती है. तभी सावनी वहां आ गयी. सावनी को देखते ही झरना ने पूछा- सावनी दीदी, आपने यह क्यों कहा था कि आप मंदिर नहीं जायेंगी. आपके भगवान तो ताऊ जी-ताई जी हैं.
सावनी ने कहा- झरना रानी, सभी बच्चों के भगवान उनके मम्मी-पापा होते हैं. अच्छा यह बताओ कि भगवान क्या करते हैं? झरना ने कहा- भगवान हमारी सारी विश पूरी करते हैं और पूरी दुनिया का ख्याल रखते हैं. सावनी ने पूछा और मम्मा-पापा क्या करते हैं? झरना ने कहा- मम्मा-पापा भी बच्चों की विश पूरी करते हैं और हमारा ख्याल रखते हैं. सावनी ने कहा- तो मम्मा-पापा बच्चों के लिए भगवान हुए न? भगवान को तो किसी ने नहीं देखा, मैंने भी नहीं मगर पापा-मम्मा तो हमेशा हमारे साथ होते हैं. हमारा पूरा ख्याल रखते हैं. हमारी सारी विश पूरी करते हैं. वैसे भी इतनी बड़ी दुनिया में भगवान भला किस-किसके साथ रहेंगे.
इसलिए उसने मां-पापा को भेजा हम बच्चों के लिए. वह हमारा, हमारी खुशियों का कितना ध्यान रखते हैं. इसलिए मेरे लिए तो मेरे भगवान मेरे पापा-मम्मी ही हैं. उनके पैर छू लिये, बस हो गये मंदिर दर्शन. झरना ने कहा- लेकिन मैं तो फस्र्ट जनवरी को जल्दी उठी ही नहीं, तो फिर मेरा क्या होगा दीदी? सावनी ने कहा- कुछ नहीं होगा. कल से जल्दी उठना. छुट्टियों का यह कतई मतलब नहीं कि आराम से 10-11 बजे सोकर उठा जाये. थोड़ी देरी से उठ सकते हैं, लेकिन इतनी देर से नहीं. इससे एक ओर हमारी आदत खराब होगी, वहीं दूसरी ओर स्कूल के लिए जब हमें जल्दी जागना पड़ेगा तो हमें और भी खराब लगेगा. इसलिए अपनी आदत मत बिगड़ने दो.
हम सबको प्लॉनिंग के साथ चलना चाहिए. झरना ने कहा- दीदी, लेकिन मैंने तो कोई प्लान भी नहीं बनाया? सावनी ने कहा- तो क्या हुआ, अभी भी क्या बिगड़ा है. पूरे साल के लिए प्लान बनाओ और फिर उसी पर अमल करो. देखना खुद को ही कितना अच्छा लगता है और फिर दिसंबर में मूल्यांकन करना कि तुमने क्या-क्या सोचा था और उसमें से तुम कितना कर पायी. झरना ने पूछा- दीदी क्या आप हमेशा प्लान बनाकर ही काम करती हैं? सावनी ने कहा- हां, कुछ बड़ी-बड़ी बातें तो सोच कर ही रखती हूं.
अपनी पढ़ाई के लिए समय निर्धारित करती हूं और दादी मां की बात मानकर हमेशा रात में अपनी डायरी लिखती हूं. इससे मुझे खुद को सुधारने का मौका मिलता है और मेरी याद्दाश्त ठीक रहती है. अच्छे और बड़े काम करने का इरादा हो तो मन में रोज यह सोचना चाहिए कि मुझे फलां काम करना ही है और हम अगर कुछ अच्छा करने जा रहे हैं, तो उसके लिए 1 जनवरी या शुभ घड़ी को क्या देखना?
वैसे भी हमारा नया साल होली के बाद जो नवरात्र आते हैं, उससे शुरू होता है, लेकिन पूजा-पाठ छोड़कर हम कुछ भी उसके अनुसार नहीं करते. इसलिए सब जगह इंगलिश कैलेंडर ही मान्य है. नये साल की शुरुआत सारे डिफरेंसेज मिटाकर नयी उमंग, नये उत्साह, नयी आशाओं, नये विश्वास और नये रूप में पूरी प्लानिंग के साथ करनी चाहिए. इससे हमारी सफलता के चासेंज कई गुना बढ़ जायेंगे. वैसे भी अभी चाची ने एक कहावत बतायी न? ‘‘जब जागो तभी सवेरा’’.
(क्रमश:)

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