हमें उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए

‘‘अगर हम बार-बार असफल हो रहे हैं, तो हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, क्योंकि हम कोशिश कर रहे हैं और कोशिश करनेवाले हारते नहीं, उनको सफलता मिलती ही है. जैसे कोई बच्चा एक बार किसी एग्जाम में फेल हो गया तो उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि वह कभी पास ही नहीं हो सकता. गुजरे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 11:14 AM

‘‘अगर हम बार-बार असफल हो रहे हैं, तो हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, क्योंकि हम कोशिश कर रहे हैं और कोशिश करनेवाले हारते नहीं, उनको सफलता मिलती ही है. जैसे कोई बच्चा एक बार किसी एग्जाम में फेल हो गया तो उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि वह कभी पास ही नहीं हो सकता. गुजरे कल में जो भी गलत हुआ, उसे लेकर हमें हमेशा रोना नहीं चाहिए. ‘जो हुआ सो हुआ’, यह मुहावरा यादकर हमें आगे बढ़ना चाहिए.’’

दादी ‘जब जागो तभी सवेरा’ का क्या मतलब होता है? झरना ने पूछा. शारदा देवी ने कहा- इसको ऐसे समझो, जब भी हम उठते हैं, हमारे लिए तभी सवेरा होता है. मतलब उठना, ब्रश करना, नहाना, घर के काम करना या ऑफिस जाना. ऐसा तो नहीं होता कि देर से उठ कर हम यही सोच कर दुखी होते रहें कि हम देर से उठे. अब तो दिन निकल चुका. आफिस जानेवाला यह सोचे कि ऑफिस जाकर क्या होगा, आधा दिन तो गया? उसे यह सोचना चाहिए कि आधा दिन ही निकला है, आधा दिन अभी बाकी है? वह ‘हाफ डे’ कर सकता है. सारे काम न सही, इंपोर्टेंट काम तो पूरे हो सकते हैं.

अगर सोते रह जायेंगे तो क्या होगा झरना? क्या होगा दादी मां? शारदा देवी ने कहा- तब होगा कि हमारा पूरा दिन बरबाद हो जायेगा. सारा समय सोते-सोते निकल जायेगा. हम जो काम कर सकते थे, वह भी नहीं कर पायेंगे. जितना जल्दी जागेंगे, उतने ज्यादा और सही काम कर पायेंगे.

झरना यह तुम्हें समझाने के लिए था. वैसे इसका बहुत विस्तृत अर्थ है. मतलब जितना जल्दी बातों को सही तरीके से समझ सकेंगे, हमारे लिए उतना ही अच्छा होगा. जब भी कोई बात समझ आये, जब भी हमें हमारी कमियों का, गलतियों का एहसास हो, हमें उसे सुधारकर आगे बढ़ना चाहिए. जब भी सही बातें हमारे सामने आयें, चाहे देर से ही सही, हमें स्वीकारनी चाहिए. ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि अब कुछ नहीं हो सकता. समय निकल गया. अब कैसे-क्या करेंगे? देर कभी नहीं होती झरना बेटे, जब तक सब कुछ खत्म न हो गया हो. फिर भी कहीं-न-कहीं उम्मीद की गुंजाइश रहती है. जैसे कहा जाता है- ‘एवरी क्लाउड हैज अ सिल्वर लाइन’. कभी ध्यान से देखना, बादलों की एजेज पर चमकती-सी रेखा होती है. बादल काले-भूरे होते हैं. फिर भी वहां चमकती हुई रेखा दिखती है. मतलब इतने काले बादलों में भी एक चमकीली रेखा दिख रही है, जो जल्दी ही अंधकार खत्म होने की उम्मीद जगाती है. जब बादलों में चमकती हुई रेखा दिख सकती है, तो हमारी जिंदगी में कितना ही अंधेरा क्यूं न हो, उम्मीद की किरण जरूर होगी.

इसलिए हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. झरना ने कहा- दादी मां, ऐसी ही कुछ और कहावतें बताइए प्लीज. मुङो अच्छी लग रही हैं. शारदा देवी ने कहा- ऐसी ही एक और कहावत है- ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’. हमारे साथ पहले कभी कुछ भी गलत हुआ हो, तो उन सारी बातों को भूल कर हमें अपने भविष्य पर ध्यान देना चाहिए. भूत यानी पास्ट में हुई कड़वी बातों को, झगड़ों को, जो बुरा हुआ हो, दुर्घटना हुई हो, कुछ भी ऐसा हो, जिससे मन दुखे, ऐसी तमाम बातें भूल कर हमें आगे बढ़ना चाहिए. उन बातों की वजह से हमें अपना आज यानी वर्तमान और कल यानी भविष्य दांव पर नहीं लगाना चाहिए.

हम इनसान हैं और हमसे गलतियां होना स्वाभाविक है, लेकिन जो इंपोर्टेंट है, वह यह कि हमें उसे सुधारना चाहिए. गलतियां करना आम बात है मगर सुधारना बड़ी बात है और यही बात हमें दूसरों से अलग करती है. उन्होंने पूछा- अच्छा यह बताओ दो व्यक्ति हैं, उन्हें एक किनारे से दूसरे किनारे पर जाना है. उसमें से एक चल रहा है, ठोकर खाकर गिरता है फिर उठकर चलता है. दूसरा सोचता है कहीं गिर गये तो! गिरने से अच्छा है यहीं खड़े रहो. अब बताओ- दोनों में कौन अच्छा है? झरना ने सोचा फिर कहा कि दादी मां, जो गिरने के बाद भी चल रहा है वह तो धीरे-धीरे दूसरे किनारे तक पहुंच जायेगा, लेकिन जो चल नहीं रहा वह तो वहीं रह जायेगा. विनिंग प्वाइंट तक पहुंचना है तो कैसे भी चलना तो पड़ेगा ही.

इसलिए अच्छा वही है, जो ठोकर खाकर भी चल रहा है. शारदा देवी बोली- तुमने ठीक कहा बेटा. वहीं इंसान सफल होगा, जो प्रयास करता रहेगा. कहावत है- ‘गिरते हैं शहसवार मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले’. तिफ्ल यानी बच्चा. बच्चा कैसे गिरेगा, वह तो घुटनों के बल चलता है. इसलिए अगर हम बार-बार असफल हो रहे हैं, तो हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए क्योंकि हम कोशिश कर रहे हैं और कोशिश करनेवाले हारते नहीं, उनको सफलता मिलती ही है.

जैसे कोई बच्चा एक बार किसी एग्जाम में फेल हो गया तो उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि वह कभी पास ही नहीं हो सकता. गुजरे कल में जो भी गलत हुआ, उसे लेकर हमें हमेशा रोना नहीं चाहिए. ‘जो हुआ सो हुआ’, यह मुहावरा यादकर हमें आगे बढ़ना चाहिए जिससे आगे सब ठीक रहे. ऐसी ही एक और कहावत है- ‘मिट्टी डालना’. जैसे पार्थिव शरीर को कब्र में मिट्टी डाल कर दफना देते हैं, उसी तरह जो हुआ उसे खत्म करो. ऐसी कहावतें हमें हिम्मत देती हैं. हमारा हौसला बढ़ाती हैं, सीख देती हैं और रास्ता दिखाती हैं. इन सभी का कमोबेश एक ही मतलब है कि जो हो गया उसको रोते रहने से अच्छा है कि उसे भूल कर आगे बढ़ा जाये. सबसे महत्वपूर्ण कहावत- ‘जहां चाह वहां राह’. यानी अगर हमारी इच्छाशक्ति मजबूत है और हम मन में ठान लें तो रास्ता निकल ही आयेगा. वैसे भी बच्चों को सब कुछ भूल कर सिर्फअपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए. जब भी हमें एहसास हो कि हम ठीक से नहीं पढ़ रहे हैं, पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहे हैं तभी से सारी बातें छोड़ कर केवल और केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. (क्रमश:)

वीना श्रीवास्तव

लेखिका व कवयित्री

इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com

Next Article

Exit mobile version