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ऐसे करें स्ट्रेस को मैनेज

कामकाजी लोगों में स्ट्रेस एक बड़ी समस्या है. यह अेकेले ही कई रोगों का कारण बनता है. यह अन्य रोगों के लिए उत्प्रेरक का काम करता है. यानी हृदय रोग है, तो उसे बढ़ाता है. स्ट्रेस को कम करने और स्वस्थ रहने के लिए प्रस्तुत हैं कुछ प्राकृतिक व आसान उपाय, जिन्हें दिनचर्या में शामिल […]

कामकाजी लोगों में स्ट्रेस एक बड़ी समस्या है. यह अेकेले ही कई रोगों का कारण बनता है. यह अन्य रोगों के लिए उत्प्रेरक का काम करता है. यानी हृदय रोग है, तो उसे बढ़ाता है. स्ट्रेस को कम करने और स्वस्थ रहने के लिए प्रस्तुत हैं कुछ प्राकृतिक व आसान उपाय, जिन्हें दिनचर्या में शामिल करके बिना दवाओं के ही तनाव और रोगों को दूर रखा जा सकता है.

बचपन से हम पढ़ते आये हैं कि हमारा शरीर एक मशीन है. जिस प्रकार मशीन को रख-रखाव की जरूरत होती है, वैसे ही शरीर को भी पड़ती है. हम रोज शरीर से काफी काम लेते हैं, लेकिन अक्सर उसकी मूल जरूरतों को अनदेखा करते हैं. शरीर की मूल जरूरतें हैं-भोजन, पानी और नींद. यानी समय पर भोजन करना, 12-15 गिलास पानी पीना और आठ घंटे की नींद लेना. काम के दबाव में अक्सर लोग इन्हें पूरा नहीं कर पाते. काम-काजी लोगों में मुख्य चार समस्याएं उत्पन्न होती हैं –

स्पॉन्डिलाइटिस

डायबिटीज

एसिडिटी

स्ट्रेस

स्पॉन्डिलाइटिस : इस रोग में रीढ़ की हड्डी में मौजूद वर्टीब्रा (कशेरूक) के बीच में या तो गैप अधिक हो जाता है या फिर कम हो जाता है. इसके कारण जकड़न और तेज दर्द होता है.

यह रोग मुख्यत: दो प्रकार का होता है-

सर्वाइकल (गरदन में दर्द)

लंबर (कमर का दर्द)

सर्वाइकल : अधिक देर तक झुक कर कार्य करने से होता है. कारण है कंप्यूटर पर देर तक कार्य करना. एक ही अवस्था में झुक कर स्क्रीन पर देखते रहना.

लक्षण : गरदन और कंधे में दर्द होना. दर्द एक से दूसरे स्थान पर शिफ्ट होता है. जैसे-दर्द गरदन से कंधे और हाथों से होते हुए कलाई तक जा सकता है. दर्द के असहनीय होने पर जब लोग डॉक्टर के पास जाते हैं, तब रोग का पता चलता है.

उपचार : कम ऊंचाईवाले (तीन इंच के) तकिये का प्रयोग करें. कंप्यूटर पर काम करते समय सीधा बैठें. गरदन नीचे न झुकाएं. थोड़ी-थोड़ी देर में उठ कर घूमें. आंखों के आराम के लिए आंखों को धोएं और मुंह में पानी भर कर पुतलियों को क्लॉकवाइज-एंटी क्लॉकवाइस घुमाएं.

सामान्य व्यायाम : हाथों को आगे की ओर स्ट्रेच करके बांधें और फिर सिर के पीछे ले जाकर आगे की ओर और सिर को पीछे की ओर दबाव दें. ऐसा ही आगे से भी करें. दूसरा व्यायाम : सिर को अगल-बगल धीरे-धीरे घुमाएं. उसके बाद ऊपर की ओर उठाएं, लेकिन नीचे न लाएं.

लंबर : समस्या गलत तरीके से पैरों को मोड़ कर बैठने से होती है, जैसे-पैरों को पीछे करके कैंची की तरह मोड़ कर बैठना आदि. इसी से कमर में दर्द उत्पन्न होता है. ऑफिस वर्कर को यह अधिक होता है.

लक्षण : कमर में दर्द. इसमें भी दर्द शिफ्टिंग होता है, लेकिन इसमें दर्द कमर के निचले हिस्से में ही शिफ्ट होता है.

उपचार : आइजीआइएमएस, पटना के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ विनय पांडे इसके लिए स्पाइनल रोटेशन की सलाह देते हैं. इसमें पीठ के बल लेटें. घुटनों और कूल्हों को मोड़ें. अब दोनों घुटनों को एक साथ बारी-बारी से दोनों दिशाओं में ले जाएं. अब ऐसी कुर्सियां भी मिलने लगी हैं, जो सही पोश्चर में बैठने में मदद करती हैं.

डायबिटीज :

आज कड़वा सच यह है कि बच्चे और नवजात भी इसके शिकार हो रहे हैं.

प्रमुख कारण : इसके होने के कई कारण हैं. लेकिन विशेषज्ञ अप्रत्यक्ष रूप से अत्यधिक दवाइयों के सेवन को भी कारण मानते हैं. बिना सोचे-समङो दवा खाने से साइड इफेक्ट होते हैं और अंग प्रभावित होते हैं. व्यायाम की कमी भी कारण है. लक्षण : अधिक प्यास लगना, घाव का जल्दी न भरना, याद्दाश्त घटना, बालों का झड़ना, रंग न पहचान पाना.

घरेलू उपचार : जामुन की गुठली, नीम के पके फल, पके करेले के बीज, मेथी दाना, तेज पत्ता को छाया में सुखाएं. बराबर मात्र में सभी को मिला कर पीसें. इस पाउडर को एक चम्मच पानी के साथ सुबह बिना ब्रश किये ही पीएं. इसे 4-5 महीने तक पीएं. नियमित सेवन से ब्लड शूगर कंट्रोल में रहता है. इसके साथ-साथ एलोपैथी दवाएं भी चलने देना चाहिए.

उपवास से पाचन तंत्र को मिलता है आराम

पाचन तंत्र को रेस्ट देने के लिए हफ्ते में एक बार उपवास रखना चाहिए. आयुर्वेद में इसे लंघन कहते हैं. कुछ लोग उपवास के समय भी फल वगैरह अधिक खा लेते हैं. इससे उपवास का फायदा नहीं मिल पाता. अत: उपवास के समय भोजन न ही करें तो अच्छा है या फिर सिर्फ एक बार, वह भी हल्का लें. उपवास के दौरान पानी खूब पीएं. इससे शरीर की सफाई होती है. उपवास को तोड़ते समय भी कई लोग भारी और मसालेदार भोजन का प्रयोग करते हैं, जबकि उपवास को हल्के भोजन या लिक्विड डायट से तोड़ना चाहिए.

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