डिलिवरी के बाद हो सकता है पोस्टपार्टम एनिमिया
प्रसव उपरांत महिलाओं में कई प्रकार की समस्याएं होती हैं. ऐसा इस दौरान शरीर में आनेवाले कई परिवर्तनों के कारण होता है. ऐसी ही स्थिति में ‘पोस्टपार्टम एनिमिया’ की शिकायत होती है. डिलिवरी के एक से डेढ़ माह के बाद यदि हीमोग्लोबिन की मात्र 12 ग्राम प्रति डीएल से कम रहता है, तो इस अवस्था […]
प्रसव उपरांत महिलाओं में कई प्रकार की समस्याएं होती हैं. ऐसा इस दौरान शरीर में आनेवाले कई परिवर्तनों के कारण होता है. ऐसी ही स्थिति में ‘पोस्टपार्टम एनिमिया’ की शिकायत होती है.
डिलिवरी के एक से डेढ़ माह के बाद यदि हीमोग्लोबिन की मात्र 12 ग्राम प्रति डीएल से कम रहता है, तो इस अवस्था को पोस्टपार्टम एनिमिया कहते हैं. महिलाओं के शरीर से लोहे का कुछ अंश बच्चे में जाता है. सामान्यत: यह देखा जाता है कि प्रसव के बाद शरीर में खून की मात्र में वृद्धि होती है. स्तनपान कराने के दौरान पीरियड भी नहीं होता है. इससे शरीर में खून बना रहता है. वैसे भी बच्चे के जन्म होने के बाद मां एवं परिवारजनों का ध्यान बच्चे में लग जाता है. एक अध्ययन में पाया गया है कि डिलिवरी के बाद 30} महिलाओं में पोस्टपार्टम एनिमिया होता है.
क्या हैं प्रमुख लक्षण
आम तौर पर शुरुआत में इसके लक्षण पता नहीं चलते हैं. इस रोग में कमजोरी होना, सिर में दर्द रहना, चक्कर आना, थोड़ा भी चलने पर सांस फूलना, धड़कन बढ़ जाना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा चिड़चिड़ापन भी महसूस होता है. किसी भी काम में मन नहीं लगता है. काम करते समय ध्यान भटकता है. बाल झड़ने लगते हैं. कुछ महिलाओं में दूध न उतरने की भी शिकायत होती है. डिप्रेशन और संक्रमण आदि के लक्षण भी देखने को मिलते हैं.
क्या है इसका उपचार
अधिक-से-अधिक आयरन युक्त फूड लें. इससे प्राकृतिक रूप से आयरन की कमी दूर होती है. इससे साइड इफेक्ट का भी खतरा नहीं होता है. बच्चे को स्तनपान कराएं. आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां तीन महीने तक लें. यदि आयरन की गोली लेने में किसी प्रकार की कोई परेशानी हो, या इससे साइड इफेक्ट होने का खतरा हो, तो आयरन का इन्जेक्शन भी लिया जा सकता है. इस अवस्था में पेट के कीड़े होने की आशंका भी होती है. यदि इसकी शिकायत हो, तो इसकी दवा अवश्य लेनी चाहिए.
किन्हें हो सकता है
गर्भावस्था के बाद एनिमिया होने के कई कारण होते हैं. इनमें कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं –
वैसी महिलाएं, जो प्रेग्नेंसी के दौरान आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां ठीक से नहीं लेती हों.
महिला को पहले से एनिमिया हो और प्रसव के बाद अधिक ब्लीडिंग हुई हो.
बच्चों के बीच अंतर नहीं रखने पर भी यह समस्या हो सकती है.
वजन अधिक रहना भी एक कारण है.
कम उम्र में मां बनने से.
जुड़वा बच्चे होना भी इसका एक कारण है.
यदि आपके साथ ये समस्याएं हों, तो आप को इस प्रकार के एनिमिया का खतरा ज्यादा होता है. इसकी जांच हीमेटोक्रेट के माध्यम से की जाती है. इस समस्या से बचने के लिए डिलिवरी के 6 सप्ताह के भीतर ही हीमोग्लोबिन की जांच करा लें.