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विकलांग का सहारा बन सकेगी रोबोटिक आर्म
कई बार विज्ञान फिल्मों में किसी पात्र को सिर्फ सोच कर दिमाग की शक्ति से काम करते दिखाया गया है. अब यह कल्पना हकीकत में बदल गयी है. हाल ही में 55 वर्षीय एक लकवाग्रस्त महिला ने सिर्फ दिमागी क्षमता से एक फ्लाइट सिम्यूलेटर को चलाया. फ्लाइट सिम्यूटर कंप्यूटर आधारित एक विशेष प्रोग्राम होता है, […]
कई बार विज्ञान फिल्मों में किसी पात्र को सिर्फ सोच कर दिमाग की शक्ति से काम करते दिखाया गया है. अब यह कल्पना हकीकत में बदल गयी है. हाल ही में 55 वर्षीय एक लकवाग्रस्त महिला ने सिर्फ दिमागी क्षमता से एक फ्लाइट सिम्यूलेटर को चलाया. फ्लाइट सिम्यूटर कंप्यूटर आधारित एक विशेष प्रोग्राम होता है, जिस पर पायलटों को विमान उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है.
वह महिला अपने हाथों को हिलाने में भी समर्थ नहीं है. डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डीएआरपीए) ने एक रोबोटिक आर्म बनाया है. इसे दिमाग से कंट्रोल किया जा सकता है. इसे डीएआरपीए ने यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के ह्यूमन इंजीनियरिंग रिसर्च लेबोरेट्री की सहायता से बनाया है. इसे प्रोजेक्ट ‘रिवॉल्यूशनाइजिंग प्रोस्थेटिक्स’ के तहत बनाया गया है.
इसे विकलांग या चोटिल बुजुर्गो के लिए बनाया गया है. इसमें दो इलेक्ट्रोड हैं, जिन्हें मरीज के दिमाग में अंगों को संचालित करनेवाले हिस्से में लगाया जाता है. इस महिला के भी दिमाग में इलेक्ट्रोड लगाया गया और दिमाग को फ्लाइट सिम्यूलेटर से जोड़ा गया. पायलट इसे जॉय स्टिक की मदद से चलाते हैं. महिला ने सिर्फ दिमागी क्षमता से इसे सफलतापूर्वक उड़ाया. उसने इसकी मदद से चॉकलेट भी खाया. इस डिवाइस की सफलता से वैज्ञानिक अब इसकी मदद से ड्रोन को उड़ाने का प्रयास करनेवाले हैं.
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