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डीहाइड्रेशन ना कर दे बेहाल
डॉ अमित कुमार मित्तल सीनियर कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजी एंड पेडिएट्रिक्स, कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल, पटना 15 दिनों से तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी और ऊमस की मार ने अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ा दी है. डॉक्टरों के अनुसार मुख्यत: यह डीहाइड्रेशन है, जो चुभती गरमी और ऊमस की वजह से लोगों को बेहाल कर […]
डॉ अमित कुमार मित्तल
सीनियर कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजी एंड पेडिएट्रिक्स, कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल, पटना
15 दिनों से तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी और ऊमस की मार ने अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ा दी है. डॉक्टरों के अनुसार मुख्यत: यह डीहाइड्रेशन है, जो चुभती गरमी और ऊमस की वजह से लोगों को बेहाल कर रहा है. ऐसे में ज्यादा-से-ज्यादा पानी पीना और तेज धूप से बचाव ही उचित उपाय हैं. आपकी सेहत को सुरक्षित रखने के लिए हमारे विशेषज्ञ दे रहे हैं विशेष जानकारी.
डी हाइड्रेशन तब होता है, जब शरीर पानी कम ग्रहण करता है और बाहर अधिक निकालता है. इससे शरीर को क्रियाकलापों के लिए के लिए जरूरी पानी नहीं मिल पाता. पानी की जरूरत का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि शरीर का 70} हिस्सा पानी से ही बना है.
डीहाइड्रेशन का कारण गरम वातावरण, डायरिया, उल्टी और अधिक पसीना निकलना है. युवा, बुजुर्ग और क्रॉनिक डिजीज से ग्रसित लोग शिकार अधिक होते हैं. यदि डीहाइड्रेशन कम हो, तो अधिक पानी या तरल पदार्थ लेकर बच सकते हैं. यह गंभीर हो जाये, तो तुरंत अस्पताल में ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है. इसलिए बेहतर होगा कि प्रारंभिक अवस्था में ही इससे मुक्ति पा ली जाये.
कैसे पहचानें डीहाइड्रेशन
मुंह का सूखना, अधिक नींद आना, थकान होना, प्यास लगना, पेशाब कम होना, ड्राइ स्किन, सिर में दर्द, कब्ज, चक्कर आना डीहाइड्रेशन के प्रमुख लक्षण हैं. इसके गंभीर हो जाने के बाद अत्यधिक नींद आना, पेशाब का नहीं होना, बीपी लो होना, धड़कन बढ़ जाना, सांसों का तेज चलना आदि शिकायत हो सकती हैं. रोगी कभी-कभी बदहवास हो सकता है. कभी-कभी प्यास से पानी की जरूरत का पता नहीं चलता है. इसके लिए सबसे बेहतर इंडिकेटर पेशाब का रंग है. पेशाब का रंग साफ है, तो आप हाइड्रेटेड हैं. यदि यह गाढ़ा पीला है, तो इसका अर्थ यह है कि शरीर को पानी की जरूरत है अर्थात् यह डीहाइड्रेशन का संकेत है.
अचानक ना पिएं ठंडा पानी
प्राय: लोग धूप से अचानक आकर ठंडा पानी पी लेते हैं, जो बिल्कुल ठीक नहीं. पुष्पांजलि क्रॉसले हॉस्पिटल, दिल्ली के डॉ प्रकाश गिरा बताते हैं कि गरमी में अधिक देर रहने से हमारे शरीर के अंदर का तापमान भी बढ़ जाता है. ऐसे में ठंडा पानी पीने पर तापमान असंतुलित हो जाता है.
चूंकि ऐसे हालात बैक्टीरिया और वायरस की वृद्धि के लिए अनुकूल होते हैं, जिससे गला खराब, जुकाम, नजला आदि की शिकायत हो सकती है. वहीं यदि आप थोड़ा रुक कर शरीर का तापमान नॉर्मल होने के बाद पानी पीते हैं, तो शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है.
हो सकती हैं ये समस्याएं
हीट इंज्यूरी : व्यायाम अधिक करते हैं और पानी कम पीते हैं, तो इससे हीट इंज्यूरी या लू लगने का खतरा होता है. यह कभी-कभी जानलेवा हो सकता है.
दिमाग में सूजन : शरीर को पानी की जरूरत हो और हम पानी नहीं पीते हैं, तो शरीर इसकी पूर्ति कोशिकाओं से करता है. इससे सूजन हो सकती है. यदि सूजन दिमाग में हो जाये, तो यह खतरनाक हो सकता है.
दौरा पड़ना : इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे पोटैशियम और सोडियम की कमी हो जाने पर दिमागी संकेत एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा पाते हैं. इसके कारण व्यक्ति को दौरा पड़ सकता है और मरीज बेहोश भी हो सकता है.
किडनी फेल्योर : यह भी जानलेवा अवस्था है. इसमें शरीर से व्यर्थ पानी और गंदगी बाहर नहीं निकल पाती है.
कोमा में जाना : यदि गंभीर डीहाइड्रेशन का उपचार तुरंत नहीं किया जाये, तो मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है.
खुद करें स्किन पिंच टेस्ट
डीहाइड्रेशन को जानने के लिए आप खुद घर पर स्किन पिंच टेस्ट कर सकते हैं. व्यक्ति के पेट पर हल्की चुटकी काटें और ध्यान दें कि स्किन को सामान्य होने में कितना समय लगता है. यह शरीर में उपस्थित पानी और नमक के ऊपर निर्भर करता है. इसे स्किन टरगर टेस्ट भी कहते हैं. अगर डीहाइड्रेशन अधिक है, तो स्किन को सामान्य होने में दो सेकेंड से अधिक समय लगता है. अगर हल्का डीहाइड्रेशन है, तो स्किन को ठीक होने में एक से दो सेकेंड लग सकता है. डीहाइड्रेशन नहीं हो, तो स्किन तुरंत ठीक हो जाती है.
बच्चों का ऐसे रखें ध्यान
यदि बच्चे को डायरिया, बुखार या उल्टी वगैरह की शिकायत होती है, तो उसे ओआरएस का घोल पिलाते रहें. इस घोल में पानी और नमक की उचित मात्र होती है, साथ ही अन्य खनिज लवणों की भी शरीर में पूर्ति होती है. यह घोल किसी भी दवा की दुकान में आसानी से मिल जाती है. यदि यह न मिले, तो घर में ही साफ पानी में एक चुटकी चीनी और चुटकी भर नमक मिला कर इसे बनाया जा सकता है. इसे बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर पर पिलाना चाहिए.
डीहाइड्रेशन की अवस्था में ब्रेस्ट फीडिंग बंद नहीं करना चाहिए. यदि उल्टी, दस्त अधिक हो, तो डॉक्टर के पास ले जाना ही बेहतर होता है. ऐसे में बच्चे को डॉक्टर के निर्देशानुसार (या पैकेट पर अंकित निर्देश) ओआरएस देना बेहतर होता है. हां, मामला गंभीर हो जाये, तो बच्चे या बड़े को अस्पताल में भरती कर स्लाइन या रिंगर लैक्टेट चढ़ाना पड़ सकता है.
10 उपाय गरमी में रखेंगे कूल
– ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनें.
– हमेशा अपने साथ पानी की बोतल रखें.
– चाय, कॉफी, अल्कोहल लेने से डीहाइड्रेशन होता है.
– ताजे फलों में भी काफी मात्र में पानी होता है. खनिज लवण भी होते हैं. तरबूज, पपीता, गन्नों का जूस लेना बेहतर है.
– धूप में अधिक न आएं. आते भी हैं, तो ग्रीन टी पीएं. इसके एंटीऑक्सीडेंट सेल डैमेज को दूर करते हैं.
– कठिन व्यायाम दिन के सबसे ठंडे समय अर्थात् सुबह या शाम में करें. इससे पसीना कम निकलेगा.
– मांस में प्रोटीन अधिक होता है. इससे पाचन में काफी गरमी उत्पन्न होती है और शरीर गरम हो जाता है. मांस न खाएं.
– आंखों को बचाएं. 100} यूवी प्रोटेक्शनवाले चश्मे का प्रयोग करें. टोपी से भी धूप की सीधी गरमी से बचा जा सकता है.
– दो-तीन बार नहाएं. गरमी के दिनों में दो या तीन बार नहाने से ताजगी तो महसूस होती ही है साथ ही शरीर का तापमान भी सामान्य रहता है.
– छाया में रहने का अधिक प्रयास करें. दोपहर में धूप में निकलने से बचना चाहिए.
इन सबके अलावा कोल्ड ड्रिंक के बजाय आप नारियल पानी या हाफ स्ट्रेंथ ऑरेंज जूस ले सकते हैं. ये डीहाइड्रेशन से बचाव में तो मदद करते ही हैं, साथ ही पोषकतत्वों की भी पूर्ति करते हैं.
मटके का पानी फ्रिज से क्यों है बेहतर
डिवाइन हार्ट सेंटर, लखनऊ के डॉ केपी चंद्रा बताते हैं कि हमारे शरीर में 70} तरल होता है, जिसका तापमान 37 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है. ऐसे में जब हम फ्रिज का पानी पीते हैं, तो उसका टेंप्रेचर करीब 5 डिग्री होता है, जो शरीर को अत्यधिक ठंडा कर देता है. ऐसे में समस्याएं हो सकती हैं. वहीं मटके के पानी का तापमान करीब 25 से 27 डिग्री तक होता है, जो शरीर के तापमान से काफी मिलता-जुलता है. यह उतना ही जरूरी है जितना साफ व स्वच्छ पानी पीना.
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