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माहवारी बंद होना यानी, गर्भधारण नहीं

महिलाओं में माहवारी या पीरियड संबंधी अनियमितता एक आम समस्या है. कई बार माहवारी नहीं आने या बंद होने के कुछ और भी कारण होते हैं, लेकिन महिलाओं को इस बात का डर बैठ जाता है कि कहीं फिर से प्रेग्नेंसी तो नहीं आ गयी. यह डर महिलाओं में स्ट्रेस बढ़ाता है. माहवारी के दौरान […]

महिलाओं में माहवारी या पीरियड संबंधी अनियमितता एक आम समस्या है. कई बार माहवारी नहीं आने या बंद होने के कुछ और भी कारण होते हैं, लेकिन महिलाओं को इस बात का डर बैठ जाता है कि कहीं फिर से प्रेग्नेंसी तो नहीं आ गयी. यह डर महिलाओं में स्ट्रेस बढ़ाता है. माहवारी के दौरान महिलाओं में डिप्रेशन, पेट दर्द होना सामान्य है. इस प्रक्रिया में अच्छा व बुरा संकेत होना भी प्राकृतिक प्रक्रिया है. माहवारी सहसा बंद होने पर महिलाओं को घबराने की जरूरत नहीं है. यह कई अन्य कारणों से भी हो सकता है. यह जानकारी दे रही हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ स्मिता गुटगुटिया. उन्होंने महिलाओं की इस समस्या पर अहम जानकारियां दीं.

डॉ स्मिता गुटगुटिया ने बताया कि कारण जाने बगैर महिलाओं को तनाव नहीं लेना चाहिए. मासिक धर्म या पीरियड्स महिलाओं में सामान्य प्रक्रिया है, इसके बंद होने के अन्य कारणों के बारे में सामान्यत: महिलाओं को जानकारी नहीं होती है. कम समय में वजन बढ़ा या घटा हो. शरीर में मलेरिया, टाइफाईड या जोन्डेस हुआ हों, तब पीरियड्स बंद हो सकते हैं अथवा देरी से हो सकते हैं. इसके अलावा कोई बड़ा ऑपरेशन हुआ हो तो पीरियड्स बंद हो सकते हैं. पिछले दो महीने में अगर वजन कम हो गया हो या 5-6 किलो बढ़ गया हो. कम समय में वजन में ज्यादा उतार-चढ़ाव से भी पीरियड्स बंद हो सकते हैं. मेंटल स्ट्रेस (मानसिक तनाव) या किसी की मृत्यु हो गयी या तलाक या किसी से बिछड़ने का तनाव भी इस समस्या को पैदा करता है. शादी के बाद ससुराल की चिंता या एन्जाइटी होने पर भी पीरियड्स बंद हो सकते हैं.

थाइराइड की समस्या बढ़ जाये या ओबेसिटी जैसी समस्या होने पर भी महिलाओं में पीरियड् बंद हो सकता है. इसके अलावा पोलिस्सिटिक ओवेरियन सिंड्रोम के कारण भी पीरियड्स देरी से आते हैं. यह समस्या महिलाओं में ज्यादा दिखाई देती है. यह समस्या होने पर चेहरे व छाती पर बाल उगने लगते हैं. इसमें वजन बढ़ता जाता है. अगर महिला शादीशुदा है और बच्‍चा चाहती है तो उसे प्रेग्नेंसी में समस्या हो सकती है. कोई भी क्रोनिक समस्या हो जैसे लंबे समय तक लीवर या किडनी की समस्या हो. अपच या लूजमोशन की समस्या हो, तब भी पीरियड्स देरी से आ सकते हैं.

गर्भ निरोधक गोलियों के लगातार सेवन से या एक साल से ज्यादा तक ये गोलियां लेने से दो तीन महीने तक पीरियड्स बंद या एकदम हल्के हो सकते हैं. यह प्रक्रिया धीरे-धीरे सामान्य हो जायेगी. गर्भधारण करने में भी कोई समस्या नहीं आयेगी. प्री-मेच्योर मैनोपोज महिलाओं में कभी-कभी 40 साल की उम्र में भी आ जाता है. ऐसी स्थिति में अंडाकोश में अंडा बनना बंद हो जाता है. तब इसको प्री-मेच्योर ओवेरियन फेलियोर कहते हैं. इसमें पीरियड्स बंद होने के साथ-साथ मैनोपोज के लक्षण भी दिखाई देंगे. जैसे कि बहुत तेज गर्मी लगना. पसीने अआना, वरजाइना में सूखापन लगना. यह संकेत बहुत कॉमन नहीं हैं. सही स्थिति की जानकारी डॉक्टर ही बता सकता है. इसके लिए हारमोन टेस्ट भी कराया जा सकता है. किसी अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही वास्तविक समस्या समझी जा सकती है. महिलाएं सही कारण जानें बगैर स्ट्रेस न लें.

डॉ स्मिता गुटगुटिया

एमबीबीएस, डीजीओ, डीएनबी

गायनेकोलॉजिस्ट एंड ऑब्सटेट्रिशियन

लैप्रोस्कोपिक सजर्न

संपर्क- 99037-95559

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