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हर किसी को भाती है प्यार की भाषा

जिंदगी को आसान बनाने में घर के कामों में हाथ बंटानेवाले सेवक अहम भूमिका निभाते हैं, मगर कई बार हम इनकी अहमियत और सेवा को अनदेखा कर इनसे कठोर व्यवहार कर बैठते हैं. आपकी देखा-देखी बच्चे भी सेवकों से रूखे अंदाज में पेश आना शुरू कर देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2015 11:52 AM
जिंदगी को आसान बनाने में घर के कामों में हाथ बंटानेवाले सेवक अहम भूमिका निभाते हैं, मगर कई बार हम इनकी अहमियत और सेवा को अनदेखा कर इनसे कठोर व्यवहार कर बैठते हैं. आपकी देखा-देखी बच्चे भी सेवकों से रूखे अंदाज में पेश आना शुरू कर देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चों को ऐसा करने से रोकें.
रिश्ते सिर्फ खून के ही नहीं होते. कई रिश्ते ऐसे होते हैं, जो व्यवहार व स्वभाव से बनाये जाते हैं. ऐसा ही एक रिश्ता है घर के कामों में हाथ बटानेवाले सेवक और आप का. अकसर लोग इस रिश्ते के बारे में सोचना जरूरी नहीं समझते और जाने-अनजाने घर के नौकरों से रूखा व्यवहार कर बैठते हैं.
बड़ों की देखा-देखी बच्चे भी कई बार नौकरों से सही ढंग से बर्ताव नहीं करते. जबकि यह माता-पिता की जिम्मेवारी है कि वे अपने बच्चों को अच्छी आदतें और घर के नौकरों के साथ सही तरीके से पेश आने का सलीका सिखाएं.
प्यार की भाषा
हर व्यक्ति प्यार की भाषा को ही बेहतर तरीके से समझता है. इसलिए अगर आप घर के नौकरों से सही तरीके से पेश आयेंगे और उनसे प्यार से बात करेंगे, तो आपके बच्चे भी उनसे सही तरीके से पेश आयेंगे. यह ध्यान रखना चाहिए कि नौकर भी इंसान हैं और उन्हें भी कड़वी बातें बुरी लग सकती हैं.
जिस तरह आप दफ्तर में काम करते हैं, उसी तरह नौकर भी अपनी नौकरी कर रहे होते हैं. ऐसे में कभी भी उन्हें तुच्छ या छोटा समझने की गलती न करें. खासकर बच्चों को सिखाएं कि वे नौकरों से अच्छे तरीके से बात करें.
बुजुर्गो का सम्मान
जिस तरह आप बच्चों को घर के बड़े-बुजुर्गो का सम्मान करना सिखाते हैं. उसी तरह नौकरों का सम्मान करना भी सिखाएं. उन्हें यह सीख दें कि कोई भी व्यक्ति जो उनसे बड़ा है, उन्हें वे नाम लेकर न बुलाएं. खासतौर से अगर वे बुजुर्ग हैं, तो उन्हें दादा या दादी, ताई या काका कह कर पुकारें. इससे उनके आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुंचेगी.
नौकरों के बच्चे
कई परिवारों में नौकरों के बच्चों के साथ लोग अपने बच्चों को घुलने मिलने नहीं देते. उन्हें लगता है कि नौकर के बच्चे गंदे मोहल्ल में रहते हैं और वे गंदे होते हैं. इससे बच्चों में गंदगी फैलेगी, लेकिन अगर आप अपने नौकर के बच्चों को प्यार की भावना से देखेंगे तो आप उनमें भी सही इंसान को तलाश पायेंगे.
उनकी खूबियां तलाश पायेंगे. आपकी कोशिश यह होनी चाहिए कि अगर आप अच्छी स्थिति में हैं तो नौकर के बच्चे को भी पढ़ने के लिए स्कूल भेजें. अपने बच्चों को कहें कि उनसे अच्छे से बात करें. उनके साथ खेलें. उन्हें भी दोस्त बनाएं. अगर आप बच्चों को अभी से ऐसी आदतें सिखायेंगे तभी वे अमीरी-गरीबी के फर्क को मिटा पायेंगे.
जूठन न दें
अकसर हम बचे हुए खाने को या बच्चों की जूठन को नौकरों को दे देते हैं. इससे भी आपके बच्चों पर गलत असर पड़ता है. वे यह समझने लगते हैं कि नौकर व उनके बच्चे छोटे लोग हैं और वे उनसे उसी अंदाज में बात करने लगते हैं, उनसे कठोर व्यवहार करने लगते हैं.
आपके बच्चों में यह भावना भी आ सकती है कि वे तो नौकरों पर एहसान कर रहे हैं. अगर आपका बच्चा नौकरों से बात करने में अपशब्दों का प्रयोग कर रहा है तो उन्हें उसी वक्त टोकें. ताकि वह इस लगती को दोबारा न दोहराएं.
नौकरों को भी समझायें
कई बार ऐसा भी होता है कि नौकर आपके बच्चे की देखभाल करते-करते उनके लगाव में इस कदर अंधे हो जाते हैं कि आपकी मना की गयी बातों को भी नजरअंदाज कर बच्चे की जिद को पूरा करने लगते हैं.
ऐसे में बच्चे अपनी मनमर्जी के मालिक बनते चले जाते हैं और घर के नौकर बच्चों की शरारतों को आपसे छिपाने लग जाते हैं. इसलिए यह भी जरूरी है कि आप अपने नौकरों पर भी ध्यान दें कि कहीं वे आपके बच्चे की गलतियों को बढ़ावा तो नहीं दे रहें.
या फिर वे आपके बच्चों को कुछ गलत सिखाने की कोशिश तो नहीं कर रहे. यह भी ख्याल रखें कि नौकर कहीं आपके बच्चे के बारे में कुछ गलत जानकारी तो नहीं दे रहा. आपको अपने बच्चे पर भी भरोसा करना होगा और सारी बातें सुनने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचना होगा.
त्योहारों का हिस्सा
त्योहारों के मौकों पर जिस तरह परिवार के सदस्यों के लिए कपड़े खरीदे जाते हैं. आप नौकर व उनके बच्चों के लिए भी कपड़े खरीदें. यह देख कर भी आपके बच्चे उनकी इज्जत करना सीखेंगे और आगे चल कर अपने बच्चों को भी ऐसा करना सिखायेंगे.

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