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साइलेंट किलर है ब्रेन ट्यूमर
वैसे तो सिरदर्द आम समस्या है मगर यह ब्रेन ट्यूमर का एक प्रमुख लक्षण भी हो सकता है. पहचान न होने से व्यक्ति अनजान रहता है और अंदर-ही-अंदर यह गंभीर होता जाता है. सजर्री इसका प्रमुख इलाज है. आधुनिक चिकित्सा में पहले के मुकाबले खतरा भी एक फीसदी से कम है. रोग के उपचार पर […]
वैसे तो सिरदर्द आम समस्या है मगर यह ब्रेन ट्यूमर का एक प्रमुख लक्षण भी हो सकता है. पहचान न होने से व्यक्ति अनजान रहता है और अंदर-ही-अंदर यह गंभीर होता जाता है. सजर्री इसका प्रमुख इलाज है. आधुनिक चिकित्सा में पहले के मुकाबले खतरा भी एक फीसदी से कम है. रोग के उपचार पर संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं हमारे एक्सपर्ट.
दिल्ली-एनसीआर के बागपत के गांव किरठल निवासी राजकुमार को काफी समय से चलते समय लड़खड़ाने की समस्या थी व एक कान से कम सुनाई देता था. मरीज के परिजनों ने सजगता दिखाते हुए ट्रीटमेंट कराना जरूरी समझा और दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में दाखिल करा दिया. डॉक्टरों ने जरूरी टेस्ट कराये, जिनमें से एक एमआरआइ भी था. टेस्ट से पता चला कि उनके दिमाग में 5 सेंटीमीटर का ट्यूमर है. इसे आम श्रेणी का ट्यूमर माना जाता है. राजकुमार के मस्तिष्क में यह ट्यूमर ब्रेन स्टेम से चिपका हुआ था, जो सुनने और सांस लेनेवाले क्षेत्र को अवरूद्ध कर रहा था. मरीज को तत्काल सर्जरी कराने की सलाह दी गयी. सर्जरी के बाद अब मरीज स्वस्थ जीवन जी रहा है.
क्या है ब्रेन ट्यूमर
शरीर में बननेवाले सेल्स कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं और उनकी जगह नये सेल्स बन जाते हैं. यह एक साधारण प्रक्रिया है. जब यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, तो ट्यूमर सेल्स बनने लगते हैं. ट्यूमर कई कारणों से बन सकते हैं, जैसे- विशेष प्रकार के विषाणु के संक्रमण से, प्रदूषित पदार्थो का श्वसन के साथ शरीर में प्रवेश कर जाने से आदि. ये सेल्स इकट्ठे होकर टिश्यू बनाते हैं. ये सेल्स मरते नहीं हैं. समय के साथ ट्यूमर भी बढ़ता रहता है. ट्यूमर मस्तिष्क के जिस क्षेत्र में बनता है, उस क्षेत्र के कार्य करने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है. यह किसी भी उम्र में हो सकता है. तीन से 15 वर्ष के बच्चों को हो सकता है. ज्यादातर 50 वर्ष के बाद होता है.
ट्रीटमेंट के हैं कई ऑप्शन
ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए कई ऑप्शन हैं. डॉक्टर यह निर्णय लेते हैं कि मरीज के लिए कौन-सा ट्रीटमेंट बेस्ट है. रोग के आधार पर भी ट्रीटमेंट चुना जाता है, जैसे ट्यूमर बिनाइन है या मेलिगAेंट, बढ़ने के चांस कितने ज्यादा हैं, कितने समय से है, ट्यूमर किस जगह पर है, साइज कितना है, उम्र और सेहत कैसी है आदि. कई बार दो ट्रीटमेंट एक साथ भी किये जाते हैं, ताकि ट्यूमर से जल्द निजात मिल सके. आमतौर पर ट्रीटमेंट सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी से किया जाता है.
सर्जरी है बेस्ट ऑप्शन
सर्जरी के नाम से ही लोगों को डर लगता है, लेकिन ब्रेन ट्यूमर के लिए इंडोस्कोपिक सजर्री बेहतर विकल्प होता है. सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है और सिर के उस हिस्से से बालों को हटाया जाता है, जहां सजर्री की जानी है. सर्जरी के दौरान स्कल (खोपड़ी) को खोला जाता है, इसे ‘क्राइनियोटोमी’ भी कहते हैं. इसके लिए सजर्न खास इंस्ट्रमेंट की मदद से चीरा लगा कर स्कल से हड्डी का छोटा टुकड़ा काट कर हटा देते हैं. इसके बाद सर्जन ट्यूमरवाले हिस्से को बाहर निकालते हैं. कई बार कुछ हिस्सा मस्तिष्क में भी रह जाता है (यह ट्यूमर के साइज पर निर्भर करता है).
इस सर्जरी के कुछ खतरे भी हैं. इससे कई बार नॉर्मल ब्रेन टिश्यू भी नष्ट हो जाते हैं, जिनकी रिकवरी में काफी समय लगता है. इतने समय तक मरीज को सुनने, देखने, सोचने आदि में परेशानी हो सकती है. सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी की भी जरूरत पड़ सकती है. सर्जरी के बाद अस्पताल में एक सप्ताह से ज्यादा रुकना पड़ सकता है.
नजरअंदाज न करें इसके लक्षण
ब्रेन ट्यूमर दिमाग में होनेवाली गांठ है, जो कैंसरस भी हो सकती है और नॉन कैंसरस भी. आज चिकित्सा के क्षेत्र में हुई तकनीकी विकास के कारण विभिन्न जांचों की सहायता से इसकी सही स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है, साथ ही सर्जरी की आधुनिक विधियों से इसका पूरा उपचार भी संभव है.
दो प्रकार के होते हैं ट्यूमर
मेलिग्नेंट ट्यूमर : इनमें कैंसर कोशिकाएं होती हैं. ये काफी संवेदनशील होते हैं. ये मस्तिष्क में काफी तेजी से बढते हैं. ये कोशिकाएं दिमाग के दूसरे हिस्सों और रीढ़ में भी फैल सकती हैं.
बिनाइन ट्यूमर : ये नॉन कैंसरस होते हैं. इन्हें आसानी से निकाला जा सकता है, लेकिन इनके दोबारा होने का खतरा भी बना रहता है. बिनाइन ट्यूमर मस्तिष्क के दूसरे हिस्सों में नही फैलते हैं. कुछ मामले में बाद में यह मेलिग्नेंट ट्यूमर भी बन सकते हैं.
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
हालांकि ब्रेन ट्यूमर के लक्षण ट्यूमर के साइज, प्रकार और मस्तिष्क में लोकेशन के आधार पर अलग-अलग दिखाई देते हैं मगर कुछ आम लक्षण हैं-
– बराबर सिर दर्द, उल्टी होना
– चलते समय लडखड़ाना
– याददाश्त कमजोर होना
– स्वभाव में बदलाव आना
– दौरे पड़ना
– बोलने, सुनने या दिखने में दिक्कत होना
– जी मिचलाना
– डर लगना
– गले में अकड़न होना
– चेहरे के कुछ भागों में कमजोरी महसूस होना त्नमरीज का वजन एकाएक बढ़ जाना
इन जांचों से होती है ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि
आमतौर पर शुरुआती लक्षण आम होने से मरीज लापरवाही बरतता है. लेकिन इसके लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि के लिए एमआरआइ, सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी, स्पाइनल टेप, बायोप्सी आदि प्रमुख हैं. इनके अलावा डॉक्टर मरीज की न्यूरोलॉजिकल टेस्ट भी लेते हैं, जिसमें डॉक्टर मरीज से कुछ सवालों के जवाब पूछता है, जैसे-फैमिली हिस्ट्री, प्रॉब्लम आदि. इन सभी टेस्टों की रिपोर्ट के आधार पर ही ट्यूमर की पुष्टि होती है.
माइग्रेन भी हो सकता है इसका लक्षण
माइग्रेन सबसे सामान्य सिरदर्द माना जाता है मगर यह समस्या भी ब्रेन ट्यूमर के प्रारंभिक लक्षणों में से एक हो सकती है. हालांकि माइग्रेन की समस्या पुरुषों से अधिक महिलाओं में होती है. इसके अटैक के आधार पर ही इसका उपचार संभव है. माइग्रेन अटैक यदि महीने में चार या पांच बार आता है, तो यह काफी खतरनाक माना जाता है और यदि अटैक के पैटर्न में कोई बदलाव नजर आ रहा है, तो यह ब्रेन ट्यूमर का संकेत भी हो सकता है.
ब्रेन ट्यूमर के होते हैं चार ग्रेड
ब्रेन ट्यूमर के सटीक इलाज के लिए इसे विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है. इसे ही ‘ग्रेड’ कहते हैं. ब्रेन ट्यूमर को चार ग्रेडों में बांटा गया है –
ग्रेड-1 : इस अवस्था में मस्तिष्क में ट्यूमर टिश्यू बनने शुरू हो जाते हैं, इसे बिनाइन ट्यूमर भी कहते हैं. आमतौर पर ये सेल्स नॉर्मल ब्रेन
सेल्स जैसे ही दिखते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते हैं.
ग्रेड-2 : इस ग्रेड में टिश्यू मेलिग्नेंट होते हैं. ये सेल्स नॉर्मल सेल्स से छोटे दिखते हैं.
ग्रेड-3 : मेलिग्नेंट टिश्यू के सेल्स नॉर्मल सेल्स से अलग होते हैं और ये धीरे-धीरे ग्रो करते हैं.
ग्रेड-4 : मेलिग्नेंट सेल्स बहुत तेजी से ग्रो करते हैं.
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