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विश्व में महामंदी के संकेत : पीएम

-प्रधानमंत्री की प्रिटोरिया यात्रा से हरिवंश- प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका) : प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने वैश्विक आर्थिक मदी पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था के इंजन माने जानेवाले अमेरिका, यूरोप और जापान में मंदी का अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और पूंजी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ने से महामंदी के संकेत मिल रहे […]

-प्रधानमंत्री की प्रिटोरिया यात्रा से हरिवंश-

प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका) : प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने वैश्विक आर्थिक मदी पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था के इंजन माने जानेवाले अमेरिका, यूरोप और जापान में मंदी का अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और पूंजी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ने से महामंदी के संकेत मिल रहे हैं, जिससे विकास की चुनौतियों से निपटने में विकासशील देशों की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो रही है.
डॉ सिंह ने यहा आयोजित भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका (इब्सा) के पांचवें शिखर सम्मेलन में कहा कि यूरोप में सरकारी ॠण के संकट तथा अमेरिका, यूरोप और जापान की अर्थव्यवस्था में आयी मंदी से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और पूंजी बाजार में महामंदी के संकेत मिल रहे हैं, जो चिंता का विषय है.
डॉ सिंह ने कहा कि विकासशील देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी के रुझान के नकारात्मक प्रभावों से अछूते नहीं रह सकते. वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण विकास की चुनौतियों से निपटने की उनकी क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो रही है.
डॉ सिंह ने अपने साथी शीर्ष नेताओं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जूमा और ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रौसेफ के साथ यूरोपीय संघ के ऋण संकट पर चिंता जताते हुए विकसित देशों से कहा कि वे वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक और मंदी में फंसने से बचाने के लिए शीघ्र कदम उठायें. इसके साथ ही तीनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र और विश्वबैंक – मुद्राकोष जैसी बहुपक्षीय वैश्विक संस्थाओं में व्यवस्थागत सुधार की मांग की है, ताकि ये संस्थाएं मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सकें.
प्रधानमंत्री डॉ सिंह, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा व ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रौसेफ ने विकसित देशों के समक्ष खड़े संकट पर यहां त्रिपक्षीय मंच (इब्सा) के शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में विभिन्न मुद्दों पर विचार- विमर्श किया.
तीनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जतायी कि विश्व अर्थव्यवस्था के हालात को हाथ से नहीं निकलने देना चाहिए. प्रधानमंत्री ने इस मौके पर अपने सारगर्भित भाषण में कहा कि हमारे संगठन (इब्सा) की मजबूती और वैश्विक प्रभाव में दुनिया की बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियों का असर दिखता है, जो तीन अलग-अलग महाद्वीपों में स्थित हैं. हममें से सभी बहुलवाद, लोकतांत्रिक, सहनशीलता और बहुसंस्कृतिवाद को आपस में बांटते हैं.
उन्होंने कहा कि बहुत से मुद्दों पर हम एक राय रखते हैं, जैसे विकास, जलवायु परिवर्तन और संयुक्त राष्ट्र में सुधार. हमारी सहभागिता राजनीतिक विचार-विमर्श, आपसी सहयोग, बहुक्षेत्रीय सहयोग और तीसरी दुनिया की विकास योजनाओं को लागू करने के उद्देश्यों पर आधारित है. भौगोलिक दूरी, अलग बोली-भाषा के बावजूद हमारा सहयोग हर क्षेत्र में देखा जा सकता है. इब्सा के मंच ने हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की राह दिखायी है. इसके बावजूद मेरा मानना है कि इब्सा को लोगों की भलाई के लिए अभी बहुत कुछ और करना है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की खासियत यह है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा के सदस्य हैं. हमने संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में विभिन्न मुद्दों पर एकजुटता और आपसी सहयोग दर्शाया है. विशेषकर पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका के मामले देखा जा सकता है. इसी साल अगस्त में इब्सा का दमिश्क में जाना और सीरिया नेतृत्व के साथ मिल-बैठ कर संवाद करना यह बताता है कि इब्सा काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और हमें इस अनुभव को लेकर आगे बढ़ना है.
डॉ सिंह ने कहा कि हमें अपनी नयी योजनाएं कृषि, एग्रो, प्रसंस्करण, पर्यावरण, ऊर्जा और नये ऊर्जा स्रोतों को ध्यान में रख कर बनानी होंगी. यह हमारे सहयोगी देशों को खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के लिए मददगार होंगी. इब्सा ट्रस्ट फंड शिक्षा और तकनीकी विकास में भी मददगार साबित हो सकती है, जो कि आज सभी विकसित देशों के लिए सफलता की कुंजी हैं.
ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रौसेफ ने कहा कि तीनों नेता इस बात पर सहमत हैं कि यूरोप की स्थिति को हाथ से बाहर निकलने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
शिखर सम्मेलन के बाद जारी बयान में डिलमा रौसेफ ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा तथा वित्तीय संस्थानों एवं संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग की और कहा कि मौजूदा चुनौतियों से निबटने के लिए पुरानी व्यवस्था को नयी व्यवस्था से बदले जाने की जरूरत है. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था असंतुलन को प्रतिबिंबित करती है. वैश्विक संस्थानों का झुकाव विकसित देशों की तरफ है.
उन्होंने कहा कि तीनों नेता संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए साथ मिल कर काम करने को सहमत हुए हैं, ताकि इसे प्रतिनिधिमूलक निकाय बनाया जा सके. शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया है, ‘नेताओं ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की खराब होती स्थिति को लेकर चिंता जतायी. यह आर्थिक नीति तथा विकासशील एवं निम्न आयवाले देशों की वृद्धि संभावना के लिए चुनौती है.’
इसमें कहा गया है कि हाल के सप्ताह में मंदी का जोखिम बढ़ा है. तीनों देशों के नेताओं ने यूरो क्षेत्र के देशों द्वारा वृहत आर्थिक तथा वित्तीय नीतियों एवं ढांचागत सुधार के लिए ठोस योजना के क्रियान्वयन की अहमियत पर बल दिया. नेताओं ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था को और नकारात्मक झटकों से बचाने के लिए ये कदम जरूरी है.
डॉ सिंह, जुमा तथा डिलमा रौसेफ ने नयी मंदी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बचाने तथा मजबूत पुनरुद्धार के लिए जी-20 देशों के बीच नीतिगत समन्वय की जरूरत पर बल दिया. तीनों नेताओं ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूत, टिकाऊ तथा संतुलित वृद्धि के लिए यह जरूरी है.
इससे पूर्व डॉ सिंह ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा, मैं इस महान अवसर पर राष्ट्रपति जैकब जूमा, सरकार और दक्षिण अफ्रीका की जनता का आभार मानता हूं, जिन्होंने पांचवीं इब्सा समिट के लिए इतनी खूबसूरत और भव्य व्यवस्था की है. मैं इस मौके पर अपने मंत्रियों और अधिकारियों को भी धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने दिन-रात मेहनत करके हमारी मुलाकातें और अन्य कार्यक्रम तय किये.
उन्होंने ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रौसेफ का पहली बार इब्सा समिट में शिरकत करने के लिए हार्दिक स्वागत किया और कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि हम लोग उनके विजन और लीडरशिप का लाभ इब्सा को मजबूत करने और विचारों के आदान-प्रदान के मंच पर उठा सकेंगे.
दिनांक : 19.10.2011

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