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इब्सा की बैठक में प्रधानमंत्री

-प्रधानमंत्री की प्रिटोरिया यात्रा से हरिवंश- प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका) : ब्रिक (BRIC) की चर्चा, दुनिया में होती है. ब्रिक यानी ब्राजील, रूस, इंडिया (भारत) और चीन. दुनिया की उभरती महाशक्तियां या देश, फ्यूचरोलॉजी (अर्थशास्त्र, तकनीकी बदलाव या क्रांति, संचार माध्यमों की प्रगति, गांव बनती दुनिया वगैरह विधाओं के फ्यूचर ट्रेंड के आधार पर भविष्य आकलन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 8, 2015 11:36 AM
-प्रधानमंत्री की प्रिटोरिया यात्रा से हरिवंश-
प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका) : ब्रिक (BRIC) की चर्चा, दुनिया में होती है. ब्रिक यानी ब्राजील, रूस, इंडिया (भारत) और चीन. दुनिया की उभरती महाशक्तियां या देश, फ्यूचरोलॉजी (अर्थशास्त्र, तकनीकी बदलाव या क्रांति, संचार माध्यमों की प्रगति, गांव बनती दुनिया वगैरह विधाओं के फ्यूचर ट्रेंड के आधार पर भविष्य आकलन की विधा) के अध्ययनकर्ता मानते हैं कि पश्चिमी देश और यूरोप उतार पर हैं, ब्रिक देश, भविष्य के उभरते मुल्क हैं. आर्थिक ताकत के रूप में.
पर इब्सा (आइबीएसए) की चर्चा कम हुई है. यह अत्यंत महत्वपूर्ण संगठन है. इब्सा यानी इंडिया (भारत), ब्राजील और साउथ अफ्रीका (दक्षिण अफ्रीका). इसी इब्सा की बैठक में भाग लेने के लिए भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, एयर इंडिया के विशेष विमान ‘आगरा’ से 17 अक्तूबर को प्रिटोरिया पहुंचे.
18 अक्तूबर को इन तीनों देशों के या सरकारों के प्रमुखों के बीच बातचीत होगी. इसके बाद इब्सा देशों के बीच हुए समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे. फिर दोपहर बाद दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और भारत के प्रधानमंत्री डॉ सिंह के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी. फिर इस मुलाकात के बाद ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रूसेफ और भारत के प्रधानमंत्री डॉ सिंह के बीच बातचीत होगी.
अगले दिन 19 अक्तूबर को प्रधानमंत्री डॉ सिंह स्वदेश लौटेंगे. इब्सा 2003 में बना. जी-आठ के देशों की बैठक (इवियान, फ्रांस सम्मेलन, 2003) के दौरान भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने सामूहिक रूप से त्रिपक्षीय (ट्राइलेटरल मैकेनिज्म) व्यवस्था की जरूरत महसूस की. साउथ-साउथ (दक्षिण के देश) में आपसी सहयोग के लिए छह जून 2003 को इस बात को आगे बढ़ाने के लिए भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री मिले. बारसिलिया में.
फिर बारसिलिया घोषणापत्र (डिक्लेरेशन) जारी हुआ. इसमें द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय महत्व के अनेक मुद्दों को रेखांकित किया गया, जिनमें दुनिया की तीन बड़ी लोकतांत्रिक (व्यवस्था) ताकतें मिल कर काम कर सकती हैं. तीन महाद्वीपों के तीन बड़े देश, एक फोरम पर, एक साथ.
यह इस संगठन की खासियत है. तीन देशों की चुनौतियों में भी समानता है. तीनों विकासशील मुल्क हैं. बहुसंस्कृति-बहुभाषी और बहुधर्मी भी. इब्सा के देशों में तीन बड़े सवालों पर आपसी सहयोग है. पहला, महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सवालों पर आपसी संपर्क का मंच बनना. मसलन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार, डब्लूटीओ वार्ता, नागरिक न्यूक्लीयर (आणविक सहयोग), जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, निरंतर विकास जैसे मुद्दों पर आपसी चर्चा-सहयोग. दूसरा, ठोस क्षेत्रों में त्रिपक्षीय सहयोग. तीसरा, अन्य विकासशील देशों में विकास से जुड़े प्रोजेक्टों या मानवीय मुद्दों-सवालों पर ठोस योजनाओं में मदद.
अब तक इब्सा की चार बैठकें हो चुकी हैं. पहला, बारसिलिया (2006) में. दूसरा, दक्षिण अफ्रीका (2007) में. तीसरा, नयी दिल्ली (2008) में. चौथा, बारसिलिया (2010) में. इब्सा की पांचवीं शिखर वार्ता प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका) में हो रही है. 18 अक्तूबर 2011 को.
बारसिलिया घोषणापत्र ने विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक त्रिपक्षीय आयोग भी बनाया है. यह आयोग हर वर्ष एक साथ बैठता है.
वर्ष 2011 की इस बैठक का खास महत्व है. ये तीनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य हैं. संयुक्त राष्ट्रसंघ में चल रहे सवालों-मुद्दों पर इब्सा के देशों ने रणनीतिक सहयोग का रुख अपनाया है. आपस में तालमेल बना कर काम किया है.
इस तरह इब्सा दुनिया के तीन महाद्वीपों के तीन उभरते बड़े देशों का महत्वपूर्ण मंच है. इस मंच के काम और सहयोग का असर दुनिया पर पड़नेवाला है.
दिनांक : 18.10.2011

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