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रोम यात्रा : नयी दुनिया बनाने के परामर्श में लगे राष्ट्राध्यक्ष
– रोम से हरिवंश – रोम, ला’किला और क्विपिटो में दुनिया के भविष्य सुधारने, संवारने और बेहतर बनाने पर चर्चा हो रही है. यहां जी-8 और जी-5 के अतिरिक्त महत्वपूर्ण लोग जमा हैं. दुनिया के महत्वपूर्ण राष्ट्राध्यक्ष और संस्थाओं के लोग. यहां से निकलती खबरें मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं. हालांकि इन महत्वपूर्ण खबरों […]
– रोम से हरिवंश –
रोम, ला’किला और क्विपिटो में दुनिया के भविष्य सुधारने, संवारने और बेहतर बनाने पर चर्चा हो रही है. यहां जी-8 और जी-5 के अतिरिक्त महत्वपूर्ण लोग जमा हैं. दुनिया के महत्वपूर्ण राष्ट्राध्यक्ष और संस्थाओं के लोग. यहां से निकलती खबरें मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं. हालांकि इन महत्वपूर्ण खबरों में उल्लेखनीय तथ्य दब रहे हैं. ये तथ्य रोचक हैं, जानने योग्य और सीखने-सबक लेने की दृष्टि से महत्वपूर्ण.
नैतिक बनें!
इस शिखर सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण बयान आये हैं. खासतौर से लोभ, लाभ और नैतिक बनने को लेकर. एक चर्चा रही है कि बाजार और लोभ में, मुनाफे में और नैतिक चौहद्दी में, विकास की अवधारणा में अंतरविरोध है. पर, इस अर्थसंकट ने लोगों को नये सिरे से सोचने को मजबूर किया है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने जी-8 की बैठक के पहले ही दिन कहा कि मुक्त बाजार में नैतिकता का खास महत्व है. पर, उनसे भी अधिक साफ और जोर देकर कहा पोप ने. इस सम्मेलन के अवसर पर उनका बयान आया. उन्होंने पूंजीवाद की विफलता और भटकाव की बात की. कहा कि वित्तीय संकट ने इसे उजागर कर दिया है. उन्होंने निर्बाध पूंजीवाद (अलब्रिडल्ड कैपिटलिज्म) और अनियंत्रित बाजार की आलोचना की.
धन के बंटवारे पर भी जोर दिया. तीन दिनों बाद इस सम्मेलन के खत्म होने पर पोप, ओबामा से भी मिलेंगे. दरअसल इस अर्थसंकट ने व्यवस्था और ताकतवर लोगों के लोभ, लाभ और अनैतिक कामकाज को उजागर कर दिया है. मूल सवाल है कि व्यवस्था कोई भी हो, नैतिक मूल्य नहीं रहेंगे, तो वही होगा. साम्यवाद में भी सरकारी वर्ग का उदय और भ्रष्टाचार दुनिया ने देखा है.
दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों की ऐसी बातचीत सुन कर गांधी याद आते हैं. उन्होंने जीवन, परिवार, समाज, देश और दुनिया को चलाने, बेहतर बनाने के लिए मूल्यपरक राजनीति और नैतिक बंधनों की चर्चा की. आज दबी जुबान में यह चर्चा हो रही है. दुनिया को बेहतर बनाने के जो भी प्रयास हों, पर यह तो जड़ है. मूल सवाल है. अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि अर्थसंकट- मंदी से निकलने के लिए नैतिक आचार संहिता चाहिए.
39 देश, 10 संगठन
ग्रुप-8 सम्मेलन में कुछ और नये सदस्य शामिल होंगे? मूलत: ग्रुप-8 में अमेरिका, रूस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और कनाडा हैं. पर यहां ला’किला में 29 देशों के नेता मौजूद हैं.
10 अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं. इटली के प्रधानमंत्री सीलियो र्ब्लूस्कोनी के अनुसार तीन दिन के इस सम्मेलन में जो डेलीगेट और राष्ट्राध्यक्ष मौजूद हैं, वे विश्व अर्थव्यवस्था के 90 फीसदी हिस्से को चलाते हैं.
जी-8 के पुराने स्वरूप में जो आठ देश हैं, वे विश्व अर्थव्यवस्था के 50 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं. जर्मन चांसलर एंगेला मार्केल इस पक्ष में हैं कि यह जी-20 होना चाहिए. पर र्ब्लूस्कोनी कहते हैं कि प्रबंधन और प्रभावी बनाने की दृष्टि से जी-14 ही होना चाहिए. जी-14 में जी-8 देश हैं.
साथ में जी-5 चीन, भारत, मैक्सिको, ब्राजील, साउथ अफ्रीका हैं. इसमें इजिप्ट को भी रखा गया है. जी-20 बनाने में उन 14 देशों के साथ-साथ कोलंबिया, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और साउथ कोरिया हैं. 20वें देश के रूप में यूरोपीयन यूनियन के नाम की चर्चा है.
दिनांक : 10.07.2009
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