Loading election data...

रोम यात्रा : भविष्य में भारत-चीन का रोल!

– क्यूपिटो (रोम) से हरिवंश – आज जी-8 व जी-5 सम्मेलन का अंतिम दिन था. 1500 विदेशी डेलीगेट इसमें शामिल हुए. दुनिया के कोने-कोने से मीडिया के लोग. पिछले तीन सप्ताह से 1000 से अधिक मजदूरों ने दिन-रात काम किया. खटा ताकि सुव्यवस्था हो सके. नये लॉन. ताजा पौधे, घास और सुरुचिपूर्ण फर्नीचर. दुनिया के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2015 11:18 AM
– क्यूपिटो (रोम) से हरिवंश –
आज जी-8 व जी-5 सम्मेलन का अंतिम दिन था. 1500 विदेशी डेलीगेट इसमें शामिल हुए. दुनिया के कोने-कोने से मीडिया के लोग. पिछले तीन सप्ताह से 1000 से अधिक मजदूरों ने दिन-रात काम किया. खटा ताकि सुव्यवस्था हो सके. नये लॉन. ताजा पौधे, घास और सुरुचिपूर्ण फर्नीचर. दुनिया के ताकतवर राष्ट्राध्यक्ष और महत्वपूर्ण लोग बहुत सुख-सुविधा और विलासिता से नहीं रहे.
जी-8 की वेबसाइट पर इसका खास उल्लेख है. स्पष्ट है कि आर्थिक मंदी ने नये सिरे से सोचने पर मजबूर किया है. साथ ही राष्ट्राध्यक्ष और महत्वपूर्ण लोगों की कथनी-करनी में एका का संदेश भी दुनिया को देना है. अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरह नहीं कि उनके सीइओ घूमते चार्टर्ड प्लेन से हैं, पर कंपनी को दिवालिया बना रहे हैं. उधर सरकार से (करदाताओं के पैसे) आर्थिक मदद ले रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी नैतिक राजनीति की बात होने लगी है.
सम्मेलन सफल हुआ या विफल, यह चर्चा होती रहेगी, पर भारत दुनिया के आकर्षण का केंद्र बन रहा है. भारत दुनिया के संपन्न देशों में से कब होगा? सम्मेलन की पृष्ठभूमि में पश्चिम की मीडिया में यह चर्चा का विषय रहा.
भारत कब संपन्न देश होगा?
वित्तीय संकट से उबरने के बाद दुनिया कैसी होगी? विशेषज्ञ कहते हैं, यह चीन और भारत पर निर्भर है. चीन का विकास तेज रफ्तार से होगा, इस पर आर्थिक विशेषज्ञ एकमत हैं. पर भारत? मार्टिन डल्फ हाल ही में भारत से लौटे हैं.
सेंटेनिएल ग्रुप फॉर इमर्जिंग मार्केट्स फोरम द्वारा तैयार रपट के कार्यक्रम में भाग ले कर लौटे हैं. इस रिपोर्ट में उल्लेख है कि संपन्न देश बनने के लिए भारत को क्या करना होगा? अभी भारत को लंबी दूरी तय करनी है. पर पिछले 30 वर्षों के संकेत स्पष्ट करते हैं कि भारत का संपन्न देश बनना असंभव नहीं है.
एक पीढ़ी में भारत का जीडीपी 230 फीसदी बढ़ा है. चार फीसदी प्रतिवर्ष की रफ्तार से. चीन इसी अवधि में प्रतिवर्ष 8.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा. जीडीपी में 1090 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. पर भारत के आगे बढ़ने के तीन आशापूर्ण संकेत हैं, विशेषज्ञों की नजर में.
(1) आर्थिक विकास को बचत और निवेश से बढ़ावा.(2) भारत का ग्लोबल बनना (3) भारतीय लोकतंत्र का चमत्कार, जहां इस बार जाति, धर्म से ऊपर उठ कर लोगों ने मनमोहन सिंह की बेहतर छवि, कांपीटेंस (योग्यता) में आस्था व्यक्त की.
इस रिपोर्ट के अनुसार एक पीढ़ी तक भारत को सालाना 10 फीसदी प्रतिवर्ष की रफ्तार से बढ़ना होगा. चीन पिछले 30 वर्षों से ऐसा कर रहा है. इसलिए भारत को चार मोरचों पर काम करना होगा. आर्थिक ठहराव न आये. शांति का माहौल बना रहे. युद्ध-तनाव न हो. खुली अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ायें. और अंतिम तथ्य कि अंदरूनी तनाव, विवाद का हल ढूंढ़े. सामाजिक समरसता हो.
कंपटीटीव इकोनॉमी बने. भ्रष्टाचार पर अंकुश. शिक्षा व्यवस्था का पुनउर्द्धार. तकनीकी विकास को बढ़ावा दे. सार यह कि भारत को महाशक्ति बनना है, संपन्न देश बनना है, तो उसकी कुंजी है ईमानदार राजनीतिज्ञों के हाथ. जो इफीशिएंट सरकार चला सकते हों, यह दुनिया के विशेषज्ञ कह रहे हैं.
बड़ों की बातचीत और व्यवस्था
जी-8 के राष्ट्राध्यक्ष मिलें, बातचीत करें, पर किसी को भनक न लगे? यह व्यवस्था कैसे हुई? एक बार वर्ष 2006 में सेंट पीट्सबर्ग में यह बैठक हुई. तब एक माइक्रोफोन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की गोपनीय बातचीत को रिकार्ड किया. वह लीक हो गयी.
इस कारण इस बार रिकार्डिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी. न इन बड़े नेताओं के बीच हुई बातचीत को नोट करने की व्यवस्था थी. हर एक राष्ट्राध्यक्ष को महज एक सहायक साथ रखने की व्यवस्था थी. इसे ‘ शेरपा’ कहा जाता था, वही बाहर बैठे अपने लोगों से डिजिटल पेन से राय-मशविरा कर सकता था.
दिनांक : 11.07.2009

Next Article

Exit mobile version