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आपके बच्चे से मेरा बच्चा बेहतर है!

अपने बच्चे को बेहतर और दूसरों के बच्चे को कमतर बतानेवालों की बातों का बच्चों पर असर न होने दें.कुछ पड़ोसियों के दिमाग में हमेशा प्रतिद्वंद्विता ही रहती है. वे पहले किसी दौर में आपसे प्रतियोगिता करते हैं और फिर बच्चों में भी प्रतियोगिता की भावना पैदा करने की कोशिश करते हैं. – दरअसल, ऐसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 16, 2015 12:45 AM
अपने बच्चे को बेहतर और दूसरों के बच्चे को कमतर बतानेवालों की बातों का बच्चों पर असर न होने दें.कुछ पड़ोसियों के दिमाग में हमेशा प्रतिद्वंद्विता ही रहती है. वे पहले किसी दौर में आपसे प्रतियोगिता करते हैं और फिर बच्चों में भी प्रतियोगिता की भावना पैदा करने की कोशिश करते हैं.
– दरअसल, ऐसे पड़ोसी आत्ममुग्धता का शिकार होते हैं. हमेशा उन्हें दुनिया की हर चीज में अपने बच्चे सर्वश्रेष्ठ दिखते हैं और वे दूसरे बच्चों को कमतर बताने लगते हैं. ऐसी बातों से उनका तो कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन आपके और आपके बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए आप ऐसी बातों को खास तवज्जो न दें.
– मुमकिन है कि आपके पड़ोसी अपने बच्चे को महंगे स्कूल में पढ़ा रहे हों. बच्चे को भी तमाम महंगी चीजें दे रहे हों और आपको सुना-सुना कर जलाने की कोशिश कर रहे हों, ऐसे में आप अगर उनकी बातें सुन कर दुखी रहने लगें, तो आपके वे पड़ोसी अपने मकसद में कामयाब हो जायेंगे. ऐसे में नुकसान आपका ही होगा.
– आप किसी दूसरे को देख कर अपने बच्चे को अव्वल या ऑलराउंडर बनाने की कोशिश न करें. हर बच्चे की अपनी क्षमता होती है और वे उसी के अनुसार विकास करेंगे
– बच्चे की खूबी पहचानें और उसे ही निखारने की कोशिश करें.पड़ोस के बच्चों की देखा-देखी और पड़ोसी को जवाब देने के लिए अपने बच्चे का इस्तेमाल न करें और न ही उन्हें तंग करें.
– कोशिश करें कि जब पड़ोसी ऐसी बातें कर रहे हों, तो उन पर यह जाहिर न होने दें कि उन्हें आपकी बातें बुरी लग रही हैं. हमेशा हंस कर उनकी बातों का सामना करें.

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