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पेट रोगों को दूर करता है योग मुद्रासन

जिन लोगों को कब्ज, अपच आदि की समस्या रहती हो, उनके लिए योग मुद्रासन अत्यंत उपयोगी है. यह आसन रक्त संचार में सुधार लाता है. मन और शरीर को शिथिल करने में भी यह सर्वाधिक उत्तम आसन माना गया है. योग मुद्रासन पद्मासन समूह के अंतर्गत आनेवाले आसन हैं. इस समूह के आसनों को वैसे […]

जिन लोगों को कब्ज, अपच आदि की समस्या रहती हो, उनके लिए योग
मुद्रासन अत्यंत उपयोगी है. यह आसन रक्त संचार में सुधार लाता है. मन और शरीर को शिथिल करने में भी यह सर्वाधिक उत्तम आसन माना गया है.
योग मुद्रासन पद्मासन समूह के अंतर्गत आनेवाले आसन हैं. इस समूह के आसनों को वैसे लोगों को करना चाहिए, जो बिना किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या के लंबे समय तक पद्यासन में बैठ सकते हैं.
आसन की विधि : सर्वप्रथम जमीन के ऊपर किसी कमल या योग मैट के ऊपर पद्यासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें. अब सामान्य श्वास के साथ अपने पूरे शरीर को शांत और शिथिल बनाने का प्रयास करें. अब दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाएं और एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई को पकड़ने का प्रयास करें.
गहरी श्वास अंदर ले जाएं और श्वास को छोड़ते समय मेरुदंड को सीधा रखते हुए आगे की ओर झुकें. ललाट को जितना संभव हो, जमीन के निकट लायेंगे. अंतिम स्थिति में धीरे-धीरे एवं गहरी श्वास लेते हुए पूरे शरीर को शिथिल बनायेंगे. इस दौरान अपने पेट के ऊपर एड़ियों के दबाव के प्रति सजग बने रहेंगे.
इस स्थिति में जितनी देर आराम के साथ रह सकें, रहने का प्रयास करेंगे. इस शारीरिक स्थिति में आने के लिए अपनी पीठ, एड़ी या घुटने पर किसी भी प्रकार का जोर बिल्कुल नहीं लगायेंगे. अब धीरे-धीरे श्वास लेते हुए अपनी प्रारंभिक स्थित में आ जायेंगे. अब आप अपने पैरों की स्थिति में आ जायेंगे. अब आप अपने पैरों की स्थिति को आपस में बदल कर उसी अभ्यास को फिर से दुहराएं.
श्वास : इस अभ्यास के आरंभ में धीरे-धीरे लंबी और गहरी श्वास अंदर की तरफ लें. आगे की तरफ झुकना आरंभ करेंगे तो श्वास को बाहर छोड़ेंगे. अंतिम अवस्था में आपकी श्वास गहरी और धीमी होनी चाहिए. जब अभ्यास में अपने आरंभिक स्थिति में लौटते हैं, तो आप श्वास को अंदर की तरफ लेंगे.
अवधि : योग मुद्रासन के अभ्यास की अंतिम स्थिति में एक -दो मिनट तक रुकने का प्रयास करें. यदि इस अंतिम स्थिति में अधिक समय तक रहने में कोई कठिनाई महसूस हो, तो आसन को कम- से-कम तीन-चार बार आप दुहराएं.
सजगता : अभ्यास के दौरान अपनी सजगता पीठ, पेट या अपने श्वसन प्रक्रिया के ऊपर लगाये रखें. अध्यात्मिक स्तर पर अपनी सजगता ‘मणिपुर’ चक्र पर होनी चाहिए.
क्रम : योग मुद्रासन को करने के पहले अथवा बाद में पीछे झुकनेवाले आसन जैसे मत्स्यासन (पैरों को आगे फैला कर) उष्ट्रासन या भुजगांसन करना ज्यादा लाभकारी होगा.
सीमाएं : योग मुद्रासन का अभ्यास उन लोगों को नहीं करना चाहिए, जिनको आंख, हृदय या पीठ की गंभीर समस्या हो या जिनकी अभी हाल में कोई ऑपरेशन हुई हो या बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद के दिनों में यह आसन नहीं करना चाहिए.
आसन की तैयारी : योग मुद्रासन के लिए पद्मासन में बैठने के पूर्व पैरों को ढीला करना जरूरी है. यह अभ्यास उनलोगों के लिए भी उपयोगी है, जो पद्मासन में अधिक समय तक नहीं बैठ सकते और जिनके पैर अल्पावधि में जकड़ जाते हैं.
अर्ध तितली आसन और घुटना घुमानेवाले अभ्यासों से पैरों को लचीला बनाया जा सकता है, ताकि आप इस अभ्यास के लिए पद्मासन में आराम से बैठ सकें.

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