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बच्चों के अवसाद का कारण बना फेसबुक

क्या आपके बच्चे फेसबुक को ज्यादा समय देते हैं? मोबाइल फोन या कंप्यूटर के जरिये लगातार कई घंटे सोशल साइट्स पर बिताते हैं? यदि हां, तो सावधान हो जाएं. फेसबुक और तमाम सोशल साइट्स आपके बढ़ते बच्चे को मानसिक रूप से बीमार बना रही हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि, लगातार अपने दोस्तों के साथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2015 11:25 PM

क्या आपके बच्चे फेसबुक को ज्यादा समय देते हैं? मोबाइल फोन या कंप्यूटर के जरिये लगातार कई घंटे सोशल साइट्स पर बिताते हैं? यदि हां, तो सावधान हो जाएं. फेसबुक और तमाम सोशल साइट्स आपके बढ़ते बच्चे को मानसिक रूप से बीमार बना रही हैं.

शोधकर्ताओं का कहना है कि, लगातार अपने दोस्तों के साथ संपर्क में बने रहने के लिए बच्चे रात भर जागते हैं. जिससे उन्हें चिंता और अवसाद हमेशा घेरे रहता है.

लम्बे समय तक मित्रों के बीच बने रहने के लिए इन्टनेट के जानकर बच्चे हाल ही के कुछ एक सालों में बड़ी तादात में फेसबुक से जुड़े हैं. यह बच्चों के लिए एक क्रेज़ के जैसा है जिसमें वह लगातार सोशल मीडिया से कनेक्ट रहना चाहते हैं. अक्सर रात भर जाग कर दोस्तों से चैट आदि करने के लिए बच्चे कई घंटे जागते हैं. इन आदतों के चलते बच्चे अक्सर चिढ़चिढ़े हो जाते हैं जो जल्द ही अवसाद का रूप ले लेता है.

अध्ययन बताता है कि 90% से ज्यादा किशोर जो सोशल मीडिया पर लगातार बने रहते हैं वह भावनात्मक परेशानियों से ग्रस्त पाए गए. यही परेशानियां बढ़ कर इनके युवा होने पर गंभीर मानसिक बीमारियों का रूप ले लेती हैं.

ग्लासगो यूनिवर्सिटी के डॉ. हीथर क्लेलैंड वुड्स का कहना है कि कम सोना, पूरी नींद न लेने जैसी आदतें यदि लंबे समय तक चलती रहतीं हैं तो यह किशोरावस्था में अवसाद और चिंता के भयंकर परिणाम दे सकती हैं.

डॉ. हीथर द्वारा किया गया अध्ययन मेनचेस्टर में हुई ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया गया जिसके अनुसार 467 किशोरों ने माना कि वह देर रात तक सोशल-मीडिया का उपयोग करते हैं. इन सोशल-मीडिया साइट्स में फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप का प्रयोग सर्वाधिक माना गया.

लगातार बढ़ते अवसाद और चिंता से एक बेहतर नींद की अवस्था में औसत रूप से 13.5% की कमी आई है जो लगातार सोशल-मीडिया पर बने रहने, रात के समय देर तक उपयोग करने और भावनात्मक रूप से जुड़ने के कारण हुआ है.

इसी अध्ययन से सम्बंधित पब्लिक हेल्थ इन कनाडा में हुए एक शोध में सोशल मीडिया और मानसिक परेशानियों में संबंध देखा गया. किशोर बच्चों पर किये गए इस शोध में पाया गया कि जो किशोर खराब मन:स्थिति के शिकार हैं वे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपना अधिक समय देते पाए गए.

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