बच्चे की पहली पाठशाला उसका घर होता है और माँ उसकी गुरु, पर कभी-कभी ऐसा भी होता है कि यही गुरु यानी माँ बच्चे के स्वभाव को समझ नहीं पाती और उसके चिड़चिड़ेपन को ‘गलत व्यवहार’ मान कर उसे इग्नोर करने लगती है. जिसका परिणाम, बच्चा या तो बहुत गुस्सा करने लगता है, मनमानी करता है या चुप हो जाता है. ऐसी परिस्थति से बचने के लिए जरूरी है बच्चे के स्वभाव को समझना, उसके चिड़चिड़ेपन के कारण को जानना.
कुछ बातें जिन्हें समझकर आप बच्चे के चिड़चिड़ेपन को जान पाएंगी:
– ऐसा कोई बदलाव जो बच्चे के लिए मुश्किल हो रहा हो जैसे- नए बच्चे का जन्म, घर बदलना, बच्चे के सोने की साइड का बदलना, प्लेग्रुप का शुरू होना या हो सकता है कुछ ऐसा जो उसे अचानक से अपनाने के लिए कहा गया हो.
– कई बार आपको पता नहीं होता लेकिन बच्चे आपकी परेशानी को समझ लेते हैं और तब अगर आप उन पर पूरा ध्यान नहीं देतीं तब उन्हें खीझ होने लगती है. अगर आप किसी परेशानी से गुजर रहीं हैं तो उसका गुस्सा बच्चे पर न उतारें या उस वजह से बच्चे के प्रति लापरवाही न करें. ऐसा करना आपके बच्चे को गुस्सैल बना सकता है.
– कभी-कभी बच्चे किसी चीज़ को पाने के लिए बिगड़ने लगते हैं और चाहते हैं कि जैसे आपने कभी पहले उसे मनाया था वैसे ही उस चीज़ को देकर उसे मना लें. जैसे- अक्सर बच्चे चॉकलेट या खिलौने के लिए बाजार में बिगड़ने लगते हैं.
– आपका बच्चा आपके साथ सोना चाहता है और इसके लिए कई बार बच्चे रात में उठ कर आपके पास आकर सो जाते हैं या बार-बार आपके कमरे के बाहर आकर आपको आवाज़ देते हैं. इस समय आपको बच्चे की भावनाओं को समझकर उसे ज्यादा केयर दिखाते हुए अपने साथ सुला लेना चाहिए. ये न सिर्फ बच्चे को बल्कि आपको भी सुकून भरी नींद देगा.
– दिन भर के बीच गुज़रे बच्चे के कठिन समय को याद करें, कहीं वो थका हुआ तो नहीं था, क्या उसे भूख लगी थी, किसी बात को लेकर क्या वह बहुत उत्साहित या बेसब्र था या फिर वो किसी बात से, किसी व्यक्ति से ऊबकर गुस्सा करने लगा हो. याद करिए और आगे के लिए इन सभी बातों का ध्यान रहिए.