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शादी-ब्याह के लिए बच्चों पर न डालें दबाव

पिछली बार दो युवतियों के इमेल सामने रखे थे. दोनों ने विवाह के बाद हुए धोखे के बारे में बताया था. जब प्रेम विवाह के बाद तकलीफ मिलती है, तो माता-पिता, घरवाले कहते हैं कि तुमने अपनी मरजी से विवाह किया. अब जो हो, तुम जानो, मगर माता-पिता द्वारा तय हुए विवाह में धोखा मिले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 18, 2015 6:37 AM

पिछली बार दो युवतियों के इमेल सामने रखे थे. दोनों ने विवाह के बाद हुए धोखे के बारे में बताया था. जब प्रेम विवाह के बाद तकलीफ मिलती है, तो माता-पिता, घरवाले कहते हैं कि तुमने अपनी मरजी से विवाह किया.

अब जो हो, तुम जानो, मगर माता-पिता द्वारा तय हुए विवाह में धोखा मिले तो क्या कहा जाये! जब पेरेंट्स से चूक हो सकती है, तो बच्चे तो बच्चे हैं. जब अनुभवी आंखे धोखा खा जाती हैं, तो बच्चे तो अपरिपक्व हैं. इसीलिए बच्चों को बार-बार समझाया जाता है कि विवाह अपनी पढ़ाई खत्म करके तब करें जब वे निर्णय लेने में सक्षम हों. अब वह युवती क्या करे? उसकी कोई गलती नहीं थी.

उसने माता-पिता की मरजी से विवाह किया मगर उसे धोखा मिला. माता-पिता को चाहिए, जब तक लड़के की ठीक से छानबीन न कर लें, विवाह न करें. यह आपकी बेटी की जिंदगी का सवाल है. अगर बेटी को कोई भी परेशानी हुई, तो आपको कष्ट होगा ही, मगर उसका तो जीवन ही बरबाद हो जायेगा. सबसे महत्वपूर्ण बात विवाह के लिए पेरेंट्स को बच्चों पर दबाव नहीं डालना चाहिए. अगर बच्चे आवाज नहीं उठाते या इमोशनली ब्लैकमेल होते हैं, तो पेरेंट्स यह गुमान न करें कि बच्चे हमारी बात नहीं टालते. इसे अनुशासन और सम्मान भी न समङों.

सम्मान दिल से होता है, भय से नहीं. भावनात्मक रूप से दबाव डाल कर कोई काम नहीं करवाना चाहिए. यह बात बच्चों और बड़ों के लिए दोनों के लिए लागू होती है. जैसे शादी के बाद उस लड़के ने लड़की से कह दिया कि मैंने दबाव में शादी की. तुम्हें मेरे पेरेंट्स लाये हैं, वही जानें. वे माता-पिता जिन्होंने दवाब डाल कर विवाह करवाया, उन्होंने भी कह दिया कि यह पति-पत्नी के बीच की बात है. अब आप बताइए कि वह बेटी कहां जाये, क्या करे? उसने पेरेंट्स की मरजी से शादी करके कौन-सा गुनाह किया? उसका जीवन तो बरबाद हो गया.

लड़के के पेरेंट्स ने सोचा होगा कि शादी के बाद उनका बेटा दूसरी लड़की को भूल जायेगा, मगर ऐसा नहीं हुआ. ठीक से छानबीन न करने की गलती की सजा वह लड़की भुगत रही है. सभी माता-पिता से गुजारिश है कि अपने बच्चों के विवाह में अतिरिक्त सावधानी बरतें. सभी देख-सुन कर ही विवाह करते हैं. फिर भी गलती होती है, तो इसके लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी.

गांव-घर, ऑफिस जाकर लड़के-लड़कियों के बारे में पता करना होगा. आखिर आपके बच्चों की पूरी जिंदगी का प्रश्न है. दूसरे मेल के मुताबिक लड़की ने प्रेम विवाह किया, मगर उसे भी धोखा मिला. माता-पिता ने समझाया भी था कि लड़का ठीक नहीं है, अभी पढ़ाई का समय है, लेकिन वह नहीं मानी और घर से हजारों रुपये लेकर भाग कर शादी की.

आप बेटियों को समझना होगा कि जो माता-पिता आपको पालते हैं, आपके लिए जीते हैं, आपकी भलाई चाहते हैं, आपकी वजह से कभी भी उनका सिर नीचा नहीं होना चाहिए. पल भर में जन्म देनेवाले कैसे पराये हो सकते हैं! कोई मां बेटी से नहीं कहती कि घर से भाग कर शादी करो, न ही बच्चों को गलत शिक्षा देती है. माता-पिता कभी बच्चों का अहित नहीं चाहते. प्यार करना बुरा नहीं है, मगर जब तक आपकी पढ़ाई पूरी नहीं होती, कैरियर नहीं बनता, तब तक विवाह करने का फैसला किसी भी सूरत में उचित नहीं है.

आपका लक्ष्य केवल कैरियर होना चाहिए. अगर प्यार है, तब तो कैरियर और ज्यादा बेहतर करने की वजह भी आपके पास है. बच्चों को समझना होगा, केवल प्यार से जीवन नहीं चलता. अपने पैरों पर खड़े होना आपकी प्रायोरिटी होनी चाहिए. प्यार जिंदगी को खूबसूरत बनाता है, मगर जरूरतें नहीं पूरी करता. जीना है तो आपको कमाना ही पड़ेगा. उसके लिए पढ़ना होगा.

बेरोजगारी में तो आजकल पत्नी-बच्चे भी ज्यादा दिन साथ नहीं देते. तानें अलग देते हैं. भविष्य बनाने के समय इन बातों में उलझ गये तो समय और रु पया दोनों बरबाद होगा. रुपया तो फिर भी कमा सकते हैं, मगर बीता समय दोबारा नहीं आता. उस लड़की ने भी पढ़ने की उम्र में विवाह किया, वह भी घर से भाग कर. जिस मां ने जन्म दिया उसी की परवरिश पर उंगली उठाई गयी. लड़की ने अपनी मरजी से विवाह किया था, इसलिए माता-पिता ने उसकी सहायता करने से इनकार कर दिया. वहीं दूसरी तरफ जिस बेटी ने अपने माता-पिता की मरजी से विवाह किया था, उसे घर का पूरा सपोर्ट मिल रहा है.

माता-पिता कितना भी नाराज क्यों न हों, फिर भी बच्चों को तकलीफ में नहीं देख पाते. कहावत है न- ‘‘पूत कपूत होत है, माता कुमाता न होत’’. लड़की ने तो अपने पेरेंट्स के सम्मान के बारे में नहीं सोचा, मगर परेशानहाल वापस आने पर न चाहते हुए भी मां-पिता ने उसका साथ दिया. इसलिए कच्ची उम्र में प्यार और विवाह में मत पड़िए. आपका कैरियर अच्छा होगा, तो आप सबको बेहतर जीवनसाथी मिलेगा. अगर प्यार है, तो भी इंतजार करिए कि क्या यह प्यार आपके कैरियर बनने तक बरकरार रहता है या समय के साथ खत्म हो जाता है.

बच्चो, ऐसा कोई काम मत करो जिससे गैरों के साथ परिवारजन भी आपकी मां को यह कह कर कोसें कि कैसे संस्कार दिये हैं. बेटियों से सवाल है, जो लड़का कमा कर खिला नहीं सकता, खर्चे नहीं उठा सकता, जो आपको घर से रु पये चुराने, जेवरात लेकर भागने या दहेज के लिए मजबूर करे, जो आपके रु पयों पर ऐश करे, जो खुद सक्षम नहीं है, क्या उस पर विश्वास करना चाहिए?

इसका जवाब आप स्वयं को दें. आपका कैरियर बहुत जरूरी है. आप अपने पैरों पर खड़ी हैं, तो किसी पर निर्भर रहने या दया की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसलिए पहले स्वयं को मजबूत बनाएं.

(क्रमश:)

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