क्या सच में महिलाओं के लिए कैल्शियम जरुरी है? क्या ये उन्हें जल्दी कमजोर होने से बचाता है? क्या ये वास्तव में हड्डियों को मजबूत और फ्रैक्चर जल्दी ठीक करता है? क्या कैल्शियम के सप्लीमेंट कारगार हैं? ऐसे ही कई सवाल हैं जो अक्सर महिलाएं डॉक्टर्स से पूछा करती हैं और डॉक्टर भी इनके जवाब उसी तरह से देते हैं जिस तरह से महिलाएं सुनना चाहती हैं. एक रिपोर्ट ने इन सवालों का सही जवाब सामने रखा है.
हार्वर्ड वूमेंस हेल्थ वाच की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक आमधारणा के अनुसार हम जितना समझते हैं उतने कैल्शियम की आवश्यकता महिलाओं को नहीं होती लेकिन कम भी नहीं होती.
रोजाना कम-से-कम महिलाओं को 50मिलीग्राम और युवतियों को 1000 मिलीग्राम कैल्शियम एक दिन में लेना चाहिए और पचास साल से ऊपर की महिलाओं को 1200 मिलीग्राम प्रतिदिन के हिसाब से लेना चाहिए. इसके अलावा महिलाओं को अपनी आधी उम्र तक यानी पचास साल से पहले तक रोजाना चार से आठ घंटों के अन्तराल में एक गिलास दूध जरुर पीना चाहिए.
डेरी फूड के अलावा लिए जाने वाले फल और सब्जियां कैल्शियम के अच्छे सोर्स हो सकते हैं. इनमें ब्रोकली, अंजीर(फिग्स), संतरा, पालक, शलगम, भिन्डी, चुकंदर, पत्ता गोभ, हरी प्याज आदि शामिल हैं जिन्हें अपने आहार का मुख्य भाग बना कर कैल्शियम की कमी को दूर किया जा सकता है.
बचे सप्लीमेंट से…
रिपोट अनुसार, कैल्शियम लेने के लिए किसी भी सप्लीमेंट के अधिक प्रयोग से बचना चाहिए. अध्ययन कहता है कि सप्लीमेंट्स के इस्तेमाल से किडनी स्टोन होने का खतरा रहता है. जबकि डेरी सप्लीमेंट्स इस खतरे को कम करने में सहायक हैं.
एक अन्य शोध में यह बात सामने आई है कि यदि महिलाएं प्रतिदिन 1000मिलीग्राम से ज्यादा कैल्शियम सप्लीमेंट लेती हैं तो उन्हें हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है. अगर शरीर कैल्शियम को उचित मात्रा में ग्रहण नहीं कर पा रहा हो तब विटामिन डी को लेना ही उचित होगा. जिसके लिए दूध और धूप ही सही विकल्प होगें.
यह कैल्शियम लेने के विकल्प हो सकते हैं लेकिन सही यही होगा कि अपने खान-पान को इस तरह से व्यवस्थित किया जाए कि विकल्पों की आवश्यकता ही न पड़े.
कैल्शियम की दवाएं तभी ले जब डॉक्टर सलाह दे. किसी भी केमिस्ट से कैल्शियम की मीठी गोलियां भी बिना किसी परामर्श के लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.