विटामिन डी शरीर की अति-आवश्यक जरूरत है. इसकी कमी के कारण डायबिटीज और उससे जुड़े कई रोग हो सकते हैं. यही नहीं, विटामिन डी की कमी से ह्रदय रोग से लेकर कैंसर जैसी जटिल बीमारियां होने की संभावनाएं होती हैं.
विटामिन डी कई उत्पादकों में पाया जाता है जिनमें प्राकर्तिक साधनों सहित, पशु-आधारित उत्पादों जैसे-मछली और मछली के तेल में भी पाया जाता है.
विटामिन डी हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ कैल्शियम को संशोषित कर उन्हें बाहरी चोटों से बचाता है. इसके अलावा इम्यून सिस्टम को स्वस्थ बनाए रखता है.
विटामिन डी की कमी से हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है.
महिलाओं के अलावा नवजात शिशुओं में, छोटे बच्चों में, बढ़ती उम्र की लड़कियों में और बुजुर्गों को विटामिन डी की अधिक आवश्यकता होती है.
यूके डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ के अनुसार-
•रोजाना 5 माइक्रोग्राम विटामिन डी किशोरों के लिए आवश्यक है.
•5 साल तक के बच्चों के लिए रोजाना 7 माइक्रोग्राम विटामिन डी
•प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को रोजाना 10माइक्रोग्राम विटामिन डी
•बुजुर्गों को रोजाना 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी लेनी चाहिए.
एक नई रिसर्च अनुसार, विटामिन डी डिप्रेशन से लड़ने में मददगार है. साथ ही यह सर्दी-जुकाम को दुरुस्त करने में मदद करती है. विटामिन डी लेने के लिए सबसे कारगर उपाय है धूप सेकना/धूप लेना. इसके बाद आहार में फिश, मशरूम, दूध, अंडा, ऑलिव ऑइल, संतरे का जूस, सप्लीमेंट दवाएं शामिल की जा सकती हैं.
*दवाएं डॉक्टर के परामर्श के बिना कभी न लें.