क्या भीड़ आपको डराती है?

क्या छोटी जगह में भीड़ देख कर आप पसीना-पसीना हो जातें हैं या घबरा कर भागने लगते हैं? क्या आप घर के कमरे में अकेले रहने से या बंद हो जाने के विचार से डरते हैं? यदि इन सवालों का जवाब हां है तो आप क्लौस्ट्रफ़ोबिया से ग्रस्त हैं. क्लौस्ट्रफ़ोबिया कम जगह में घुटन होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2015 2:36 AM
क्या छोटी जगह में भीड़ देख कर आप पसीना-पसीना हो जातें हैं या घबरा कर भागने लगते हैं? क्या आप घर के कमरे में अकेले रहने से या बंद हो जाने के विचार से डरते हैं? यदि इन सवालों का जवाब हां है तो आप क्लौस्ट्रफ़ोबिया से ग्रस्त हैं.
क्लौस्ट्रफ़ोबिया कम जगह में घुटन होने और खुद को असहज महसूस करने का डर है. इसे एंग्जायटी डिसऑर्डर में रखा जाता है. क्लौस्ट्रफ़ोबिया का परिणाम पैनिक अटैक होता है. इसका अटैक कई बार घुटन से, तंग गले तक पहने हुए कपड़ों से, बंद खिडकियों से या सफोकेशन से भी होता है.
अध्ययन कहता है कि हर जगह इसके 5 से 7% तक बीमार लोग पाए जाते हैं. जिनमे से बहुत कम का ही इलाज हो पाता है.
क्लौस्ट्रफ़ोबिया से पीड़ित व्यक्ति जब सफोकेशन और प्रतिबंध जैसे ख्याल हर बात पर महसूस करने लगे तब क्लौस्ट्रफ़ोबिया को पहचाना जा सकता है.
पुरुषों की अपेक्षा यह बीमारी महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है. महिलाएं अधिक चिंतित और सोच विचार में डूबी रहती हैं जो उन्हें इस बीमारी के करीब ले जाता है.

क्लौस्ट्रफ़ोबिया रोगियों के शारीरिक लक्षण
धडकनों का तेज़ हो जाना. साथ ही ब्लडप्रेशर बढ़ जाना

साँस फूलने लगना, घुटन महसूस होना.

सीने में जकड़न और दर्द महसूस होना

चक्कर आना, सर घूमना

बेचैनी, तेज़ पसीना, कांपना और हाथ-पैरों का सुन्न महसूस होना

क्लौस्ट्रफ़ोबिया पिछले दर्दनाक अनुभव की वजह से होने वाला रोग माना जाता है. जबकि कई मामलों में यह सही होता है.
अधिकतर क्लौस्ट्रफ़ोबिया व्यक्ति के सिमित दायरे तक रहने और अनुवांशिक कारणों के कारण भी इस बीमारी के होने के लक्षण दिखते हैं.
शोध कहते हैं कि व्यक्ति के मस्तिष्क का एक भाग जो सोच और मानसिक गतिविधियों को नियंत्रित करता है, क्लौस्ट्रफ़ोबिया मस्तिष्क के उसी भाग का रोग कहा जाता है.
क्लौस्ट्रफ़ोबिया में व्यक्ति का खास ख्याल रखा जाता है. दवाइयों के साथ व्यक्ति को खुले वातावरण में अपनों के साथ रखना जरुरी होता है.

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