हर बार दर्द होने पर यदि आप दावा लेते हैं तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है. वैसे तो कुदरत ने मानव को सहनशीलता भी दी है लेकिन कुछ लोग थोड़े से दर्द में भी चीख पड़ते हैं और जल्द ही दावा लेने लगते हैं. सहनशीलता के बाद का स्तर ही कहता है कि दावा ली जाए लेकिन यदि हर बार आप इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे और लगातार दवाएं ले रहें तो सावधान हो जाएं. कहीं पैन किलर आपको किल न कर दे.
वैज्ञानिकों का मानना है कि दर्द निवारक दावा लेने वालों में से 30% लोगों को पहली बार जब दिल का दौरा पड़ने और एक साल में दौबारा दिल का दौरा पड़ने पर ज्यादातर को मौत का खतरा रहता है.
हर बार पैन किलर लेने से दिल की बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है. एस्परिन और इबूप्रोफेन का प्रयोग बेहद खतरनाक है. कई मामलों में किडनी और लीवर दोनों के डेमेज होने का डर रहता है.
विशेषज्ञों की माने तो इन दवाओं का सेवन करने से दिल की धड़कने अनियंत्रित होने का खतरा 40% तक बढ़ जाता है. इसके अलावा बिना परामर्श के इन दवाओं के सेवन से अल्सर, किडनी डेमेज और रक्तस्राव होने जैसे गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं. खांसी और जुकाम में खाए जाने वाली दवाओं से हार्ट अटैक होने की संभावनाएं होती हैं.
डॉक्टर्स का कहना है कि इन सभी संभावनाओं से बचने के लिए जब तक हो सके दर्द सहन करें. हालत ज्यादा बिगड़ने पर ही दावा लें. अच्छा होगा की किसी भी दर्दनिवारक को लेने से पहले एक बार डॉ से परामर्श जरुर ले लें. ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, दिल और किडनी के मरीजों को कभी भी पैन किलर अपने डॉक्टर से पूछे बिना नहीं लेनी चाहिए.
खाली पेट कभी भी कोई पैन किलर न लें. खाली पेट पैन किलर लेने से ये सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करती हैं. कोई भी दर्द-निवारक कम या ज्यादा नुकसानदायक नहीं होती. इसलिए यह कह कर ‘कुछ नहीं होगा’ दवाओं को खाली पेट और बिना परामर्श के नहीं लेनी चाहिए.