एक ताज़ा शोध में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्रोटीन को खोज निकाला है जो हार्ट अटैक के बाद ह्रदय की मांसपेशीयों की कमजोर और नष्ट हुई कोशिकाओं को फिर से बनाने में मदद करता है.
शोधकर्ताओं ने इसके लिए चूहों और सूअरों पर प्रयोग किया. जिसके परिणाम स्वरूप यह बात सामने आई कि चूहों और सूअरों के हृदय में यदि अधिक मात्रा में यह प्रोटीन रखा जाए तो चूहों और सुअरों में इससे न केवल हार्ट अटैक के बाद दिल के कामकाज में सुधार होता है बल्कि उनके बचने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है.
अगर पशुओं का इलाज इस प्रोटीन के पैच के साथ किया जाए तो चार से आठ सप्ताह के अंदर उनका हृदय सामान्य कामकाज करने की स्थिति में आ जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि शायद वर्ष 2017 तक इस तरह का परीक्षण मनुष्यों में भी करना संभव हो पाएगा.
इस प्रोटीन की पहचान फोलिस्टैटिन-लाइक 1 (एफएसटीएल1) के तौर पर की गई है. यह हृदय की मांसपेशीयों की कोशिकाओं के विभाजन की दर को बढ़ा देता है.
शोधकर्ताओं ने प्रोटीन का एक पैच तैयार कर उसे, प्रायोगिक तौर पर हार्ट अटैक से गुजरे चूहों और सुअरों के हृदयों की सतह पर रखा. एफएसटीएल1 प्रोटीन हृदय के अंदर पहले से ही मौजूद मांसपेशीयों की कोशिकाओं की विभाजन दर को तेज कर, क्षतिग्रस्त हृदय की मरम्मत के लिए प्रेरित करता है.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पिलर रूइज लोजानो ने कहा कि हृदय की मांसपेशियों का दौबारा बनना और उनका जख्मी होना, ये वह दो मुद्दे हैं जिनका हार्ट अटैक के वर्तमान इलाज में समाधान नहीं है. जिसकी वजह से कई मरीजों का हृदय सही तरीके से काम नहीं करता और वे दीर्घकालिक विकृति के शिकार हो जाते हैं.
जिसका परिणाम मौत होती है. कई मरीज पहले हार्ट अटैक के बाद बच जाते हैं. लेकिन क्षतिग्रस्त अंग और जख्म की वजह से रक्त शुद्ध करने में दिक्कत होती है. लगातार दबाव की वजह से जख्म बढ़ता जाता है और फिर हृदय काम करना ही बंद कर देता है.
इन तथ्यों को देखते हुए शोधकर्ताओं ने हार्ट अटैक से गुजर चुके चूहों और सुअरों पर एफएसटीएल1 प्रोटीन के पैच के साथ प्रयोग किया और सफल रहे.