हाल ही में यूनाइटेड किंगडम, आईटीवी समाचार प्रस्तोता चार्लेन व्हाइट का कोलन कैंसर के कारण देहांत हो गया. मात्र 47 वर्ष की आयु में पहली ब्लैक समाचार प्रस्तोता महिला, कोलन कैंसर की अनभिज्ञता के चलते इस दुनिया से चली गईं. उनकी बेटी का कहना है कि, माँ अपने बोवेल कैंसर यानी कोलन कैंसर को पहचान नहीं पाई जिसकी वजह से वो इस दुनिया में नहीं रही.
इसी तरह ज्यादातर मामलों में मरीज कोलन कैंसर के लक्षणों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देता है. इससे कैंसर फैलकर लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाता है, जो खतरनाक होता है. आइए जाने क्या है कोलन कैंसर.
असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि जब कोलन, रेक्टल या दोनों में ही फैलती हैं, तो इस फैलाव को कोलन कैंसर कहते हैं. इसे कोलोरेक्टल, बोवेल, रेक्टल कैंसर भी कहा जाता है. कोलन कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है.
अनियमित, अनियंत्रित खान-पान और लाइफस्टाइल कोलन कैंसर होने का मुख्य कारण है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कोलन कैंसर ज्यादा होता है. जो महिलाएं फाइबर वाले आहार कम लेती हैं उनमें कोलन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
कोलन कैंसर के लक्षण
–डायरिया होने से कोलन कैंसर की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. या कह सकते हैं कि डायरिया होना इसका प्रमुख लक्षण है.
–लंबे समय तक कब्ज की समय बनी रहने से कोलन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है.
-मल में खून आना.
-खुल कर पेट साफ़ न होना.
-बिना किसी रोग अथवा वजह के शरीर में खून की कमी हो जाना.
-खाना न पचना यानी अपच होना.
-वजन का लगातार घटते जाना.
-पेट के निचले हिस्से में दर्द बने रहना.
-अत्यधिक थकान महसूस होना.
-लगातार उल्टी होना.
कोलन कैंसर होने की संभावनाएं
-20 में से 1 व्यक्ति को कोलन कैंसर होने का खतरा होता है.
-बढ़ती उम्र के साथ इस कैंसर के होने का खतरा बढ़ता जाता है.
-आहार में कम फाइबर लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कैंसर के विकसित होने का खतरा हो सकता है.
-50 वर्ष की आयु तक कैंसर का पता चलना आवश्यक है अन्यथा इसका इलाज असंभव है.
– घर में यदि किसी को कोलन कैंसर हुआ हो तो अन्य को भी कोलन कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.
-स्मोकिंग और एल्कोहल का सेवन करने वालों को भी कोलन कैंसर होने का खतरा होता है.
कोलन कैंसर की पहचान कैसे करें
मल में खून आने पर कोलन कैंसर की तुरंत पहचान की जा सकती है. स्क्रीनिंग के जरिए डॉक्टर इसकी पहचान कर सकते हैं. कोलनस्कोपी और सिटी स्कैन के जरिए कोलन कैंसर की पहचान की जा सकती है. इसके ट्रीटमेंट का एकमात्र तरीका सर्जरी ही है. कीमोथेरपी से इसका साइज कम करने के बाद सर्जरी की जाती है. अगर कैंसर सेल लीवर तक फैल जाते हैं तो रोगी को रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन ट्रीटमेंट दिया जाता है.
कोलन कैंसर का इलाज तब तक ही संभव है जब वह आंतों तक ही रहे. बेहतर होगा कि शुरूआती लक्षणों को भांप कर तुरंत इसका इलाज शुरू कर दिया जाए.