विश्वभर में कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है. आज विश्वभर में सबसे ज्यादा मरीज इसकी चपेट में हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि इस रोग का पता देर से लग पाता है और तब तक मरीज कैंसर की गंभीर स्टेज पर पहुँच चुका होता है.
कैंसर पहचान की दिशा में शोधकर्ताओं ने अभूतपूर्व सफलता का दावा किया है. शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया है जिसकी सहायता से सिर्फ दो दिन में कैंसर के मूल स्रोत और प्रकार की पहचान की जा सकेगी.
आमतौर पर कई मामलों में डॉक्टर्स कैंसर की पुष्टि तो करते हैं लेकिन उसके मूल स्रोतों का पता नहीं लगा पाते हैं. जिन मरीजों में कैंसर के मुख्य कारण का पता नहीं लग पाता, उन्हें इलाज शुरू करने के लिए कई तरह की जटिल जांचों से गुजरना पड़ता है. जिसके चलते कैंसर नासूर बनता जाता है. इस तरह के मामलों में इलाज देरी से शुरू हो पाने के कारण मरीज कैंसर से लड़ नहीं पाता. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए विज्ञानिकों ने एक खास प्रोग्राम तैयार किया है.
टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने बायोप्सी के आंकड़ों के आधार पर एक खास किस्म का कंप्यूटर एल्गोरिदम तैयार किया है. इस कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से 85% मामलों में कैंसर के प्रकार का सही पता लगाना संभव हो सकेगा.
ट्यूमर ट्रेसर नाम का यह प्रोग्राम मरीजों से जुटाए गए कैंसर ऊतकों के डीएनए म्यूटेशन के विश्लेषण पर काम करता है. इस प्रोग्राम को हजारों ऐसे मरीजों पर आजमाया गया है, जिनमें ट्यूमर की पहचान पहले से हो चुकी थी.
इन मामलों में कंप्यूटर प्रोग्राम से प्राप्त नतीजे बेहद सटीक साबित हुए. अगली कड़ी में इस प्रक्रिया का अज्ञात मामलों में परीक्षण किया जाना है. उम्मीद की जा रही है कि यह प्रोग्राम अन्य दूसरी जटिल बिमारियों की जाँच के भी काम आएगा.