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रिश्तों में जलन कैसी!

ईर्ष्या मानव के स्वभाव का हिस्सा है इसलिए कई बार न चाहते हुए भी दोस्तों में, भाई-बहनों में, साथ काम करते लोगों के बीच थोड़ा बहुत ईर्ष्या का भाव आना सामान्य बात है. लेकिन जब यह ईर्ष्या दुश्मनी में बदलने लगे तो अपने संबंधों को टटोलना चाहिए. सगे रिश्तों में ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता का भाव […]

ईर्ष्या मानव के स्वभाव का हिस्सा है इसलिए कई बार न चाहते हुए भी दोस्तों में, भाई-बहनों में, साथ काम करते लोगों के बीच थोड़ा बहुत ईर्ष्या का भाव आना सामान्य बात है. लेकिन जब यह ईर्ष्या दुश्मनी में बदलने लगे तो अपने संबंधों को टटोलना चाहिए.

सगे रिश्तों में ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता का भाव यानी एकदूसरे से बेहतर करने की प्रतिस्पर्धा या होड़, जिसे सिबलिंग जेलेसी कहते हैं, में कुछ गलत नहीं, लेकिन जब यही प्रतिस्पर्धा उग्र रूप धारण कर ईर्ष्या में परिवर्तित हो जाती है और भाईबहन एकदूसरे का काम बिगाड़ने और एक-दूसरे को नीचा दिखाने के मौके तलाशने लगते हैं, तब यह निश्चित रूप से चिंता का विषय बन जाता है.
इसी तरह दोस्तों और सहकर्मियों के बीच बढ़ती जलन, ईर्ष्या न सिर्फ माहौल को खराब करती है बल्कि मानसिक कष्ट भी पहुंचती है. कोई भी छोटी सी बात की बहस कब गंभीर लड़ाई का रूप ले लेती है पता ही नहीं चलता और ये सब जलन के कारण!

दोस्तों के बीच अच्छी जॉब, अच्छे जीवनसाथी और फाइनेंसियल स्टेटस को लेकर अक्सर जलन की भावना पैदा हो जाती है. जो कई सालों के रिश्तों को पल में दांव पर लगा देता है. महिलाओं के बीच इस तरह के मसले अक्सर होतें हैं. फिर वो अच्छे फॅमिली बैकग्राउंड की वजह से हो या कैरियर की वजह से.
रिश्तों में जलन और ईर्ष्या का होना व्यक्ति की मानसिक अशांति का सबसे बड़ा कारण है. इससे रिश्ते बिगड़ते ही नहीं बल्कि खत्म भी हो जाते हैं. बेहतर होगा कि अपने मनमुटाव को हकीकत के आईने में देखने की कोशिश करें और जलन जैसी अव्यवहारिक बातों को मन से निकाल दें.


ऐसे बचाएं रिश्तों को…


-प्रतिस्पर्धा को कार्यस्थल तक ही रखें. निजी जीवन में रिश्तों को सहजता से लें.

-कभी आपसी मनमुटाव होने पर भी एक दुसरे पर भड़कने से बचें. कोशिश करें कि कुछ देर बात बात की जाए.

-बात बिगड़ने पर, खुद से बात बनाने का भी प्रयास करें.

-रिश्तों को पहले अहमियत दें फिर काम को. यदि आपको लगे भी कि आपका दोस्त या रिश्तेदार आपसे जलता है तब भी आप अपनी तरफ से उसे इस बात का यकीन दिलाएं कि आप के लिए किसी भी चीज़ से बढ़ कर आपका आपसी रिश्ता है.

-एक दूसरे की सफलताओं पर बधाई दें न की मुंह बनाए. अक्सर लोग यही करतें हैं पर ये गलत है.

-मेहनत का फल रंग लाता है और ये सभी पर लागू होता है. इस बात को ध्यान में रखें.

-आपस में तुलना न करें. हम व्यक्ति अपने समर्थ के अनुसार कार्य करता है. कोई भी एक जैसा कभी नही हो सकता इसलिए एक दूसरे के प्रयासों की तारीफ करें न की कमजोर पड़ने पर ताने दें या चिढ़ाएं.

-विचारों में एक जैसा होना जरुरी नहीं लेकिन ये भी जरुरी नहीं कि आपके विचार नही मिलते इसलिए आप दोस्त नही हो सकते और इस वजह से भी आप एक दूसरे से ईर्ष्या का भाव रखें.

जलन और ईर्ष्या अस्थाई भाव हैं लेकिन सम्बन्ध स्थाई. बेहतर होगा यदि आप स्थाई भाव को समझ कर अस्थाई समस्याओं को दूर कर सकें क्योंकि यही हर रिश्ते को मजबूत बनाता है.

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