ताकि बना रहे आपसी विश्वास
यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि विश्वास पैदा करने के लिए एक-दूसरे को जानना ज़रूरी है. एक-दूसरे को जानने के लिए एक-दूसरे के साथ रहना, एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करना ज़रूरी है. दूसरे के साथ जितना ज़्यादा समय आप गुज़ारेंगे उतना ही बेहतर तरीके से आप उसे जान पाएँगे और उतना ही अधिक […]
यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि विश्वास पैदा करने के लिए एक-दूसरे को जानना ज़रूरी है. एक-दूसरे को जानने के लिए एक-दूसरे के साथ रहना, एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करना ज़रूरी है. दूसरे के साथ जितना ज़्यादा समय आप गुज़ारेंगे उतना ही बेहतर तरीके से आप उसे जान पाएँगे और उतना ही अधिक आप उस पर विश्वास भी कर सकेंगे. लेकिन आजकल लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय नहीं बिताते. उन्हें जानने-समझने का उनके पास वक़्त ही नहीं होता. इसका नतीजा यह होता है कि उनके बीच आपसी विश्वास विकसित नहीं हो पाता!
यह स्थिति वाकई बड़ी दुखद है क्योंकि इस दुनिया में पहले ही ऐसी हालत है कि किसी पर विश्वास करना बड़ा मुश्किल होता जा रहा है! आपके परिवार के सदस्य ही सबसे भरोसेमंद हो सकते हैं, जिन पर विश्वास करना सबसे आसान हो सकता है. लेकिन भारत में, और उससे ज़्यादा पश्चिम में, लोगों ने आजकल वास्तव में एक परिवार की तरह रहना ही छोड़ दिया है. कारण कुछ भी हो, अब लोग आपस में एक-दूसरे के करीब नहीं हैं. वर्तमान में दुनिया भर में पाई जाने वाली बहुत सी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण भी अविश्वास ही है.
जब आप किसी पर विश्वास करते हैं तो आप सुकून के साथ रह सकते हैं. वह आपको दैनिक जीवन में शांति प्रदान करता है और मुश्किल परिस्थितियों में आपको मानसिक सहारा भी देता है. भले ही आर्थिक स्थिति इतनी बुरी न हो कि भाई से पैसे मांगने की ज़रुरत पड़े, फिर भी आपको पता होता है कि वह आपके पीछे खड़ा है और ज़रुरत होगी तो उससे उधार लिया जा सकता है. आपको पता होता है कि अपने पुरुष-मित्र के साथ बिगाड़ होने पर अपना साझा फ़्लैट छोड़कर आप कुछ दिनों के लिए अपने माता-पिता के पास जाकर रह सकती हैं. आप जानती हैं कि आप, मौका पड़ने पर, अपनी बहन के पास उसकी व्यावसायिक सलाह लेने जा सकती हैं, जो वकील, डॉक्टर, खाना बनाने वाली या माँ, कुछ भी हो सकती है. लेकिन आप नहीं जा सकतीं, क्योंकि दोनों के बीच परस्पर विश्वास नहीं है!
हमारे समाज में यह समस्या गहराई तक जड़ जमाए बैठी है. यह इतनी गहरी है कि ज़्यादातर लोग इसके नतीजों को वास्तविक समस्या मानने के लिए ही तैयार नहीं होंगे. वे समझते हैं कि जो स्थिति पैदा हुई है वह क्यों पैदा हुई है. क्योंकि वे खुद भी विश्वास नहीं करते.
विश्वास जगाएं
-आपसी रिश्तों में विश्वास जागने के लिए एक दूसरे को समय देना शुरू करें.
-समस्याओं को सुने और समझें.
-अच्छे समय में यदि साथ न भी दे पाए पर दुःख के समय साथ होने की कोशिश करें.
-अपने साथी को विश्वास दिलाएं कि आप उनकी परवाह करते हैं. इसके लिए आप अपने व्यवहार में बदलाव लाए. जैसे- साथी के साथ डिनर करें, उनके पसंदीदा फूल उन्हें गिफ्ट करें और कभी उन्हें अचानक ऑफिस लेने जाएं या दिन में उन्हें कॉल कर के उनका हाल पूछें.
-रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए ज़िम्मेदारी लेना सीखें जिससे आपका साथी आप पर यकीन करना शुरू करें.
-प्यार दर्शायें, साथी की, अपने रिश्ते की जरूरत का एक दूसरे को एहसास दिलाएं.