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बिजी लाइफस्टाइल के चलते माता-पिता दोनों के पास इतना समय नहीं होता कि वह अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकें. लेकिन फिर भी माँ अपने बच्चों का हर तरह से ख्याल रखने की पूरी कोशिश करती है. माँ न सिर्फ बच्चों की देखभाल करती है बल्कि उनके सकारात्मक विकास में अपनी महत्वपूर्ण […]

बिजी लाइफस्टाइल के चलते माता-पिता दोनों के पास इतना समय नहीं होता कि वह अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकें. लेकिन फिर भी माँ अपने बच्चों का हर तरह से ख्याल रखने की पूरी कोशिश करती है. माँ न सिर्फ बच्चों की देखभाल करती है बल्कि उनके सकारात्मक विकास में अपनी महत्वपूर्ण भी निभाती है.

बच्चों का स्वभाव पल-पल में बदलता रहता है. कभी वो ज्यादा खुश होते हैं तो कभी बहुत उदास. इसके कई कारण हो सकतें है लेकिन माँ बच्चों के हर छोटे-से-छोटे हाव-भाव को अच्छे से पहचान लेती है. बच्चे के पैदा होने के बाद घर का कोई भी दूसरा सदस्य बच्चे के भावों को इतना नहीं पहचान पाता जितना माँ पहचानती है.

स्कूल की बातें बच्चों से पूछना, उनके दोस्तों के बारे में जानना, घर और बाहर की पसंद और नापसंद को पूछना आदि माँ के सामान्य व्यवहार में शामिल होता है.

कई बार घर और बाहर की जिम्मेदारियों में ताल-मेल बैठाने के चलते माँ भी थक जाती है और शायद तब बच्चों के प्रति लापरवाह भी हो जाती है! बढ़ते बच्चों को माता-पिता दोनों का साथ चाहिए होता है पर माँ का लगाव और माँ का प्यार बढ़ते बच्चों को उनकी बढ़ती समस्याओं में महत्वपूर्ण सहारा होता है.

काम के बढ़ते दबाव के बाद में माएं कुछ बातों का ध्यान रखते हुए बच्चे के उतने ही करीब बनी रह सकती हैं जितना बच्चा हमेशा से चाहता है.

कुछ बातें ध्यान रखें…

-पूरी फैमिली साथ में खाना खाए. सुबह का नाश्ता और रात का डिनर साथ लें. इससे आपको बच्चों के साथ जुडने का मौका मिलेगा और बच्चों से उन्के दिनभर का ब्यौरा भी लिया जा सकता है. इस बीच बातचीत हल्की और मजेदार रखिए. यह स्वस्थ लाइफस्टाइल के लिहाज से भी अच्छा समय होता है.

-शायद ऐसा हमेशा न हो पाए पर जब भी मौका मिले, बच्चो के स्कूल होमवर्क में उसकी हैल्प करें और टाइम गुजारें. इससे आप उनकी पढाई की गतिविधि से भी जुडी रहेंगी और बच्चों की दिलचस्पी बनाने में सहायता मिलेगी. पढाई में स्कूल के प्रति उनकी सोच भी बेहतर होगी. इसके अलावा इससे उसका आत्मविश्वास और नैतिक बल बढेगा.

-समय मिलने पर जल्दी घर आ कर बच्चों को सरप्राइज दें और उन्हें कहीं घुमाने ले जाएं. या उनके साथ वीडियों गेम, बोर्ड गेम और पजल आदि खेले, उन्हें अच्छा लगेगा.

-छुट्टी वाले दिन बच्चों के अनुसार प्लान बनाए और पिकनिक आदि पर जाएं. वहां बच्चों से बातें करें, खेलें और उनके मन की बात जानने की कोशिश करें. इसी बहाने बच्चों का मन टटोलें और उनकी हिचक, असमंजस सोच को दूर करने की कोशिश करें.

-सबसे जरुरी, सुनिश्चित करें कि आप जो क्वालिटी टाइम प्लान कर रही हैं, वह नियतिम रूप से सम्पन्न हो. ताकि बच्चे आपके प्यार और साथ को रोज पा सकें.

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