16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जेनेटिक हो सकती है हाइपोथायरायडिज्म!

बच्चों में होने वाले थाइरोइड को हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है. जनसंख्या का लगभग 3% भाग हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित है. दुनिया भर में हाइपोथायरायडिज्म होने का सबसे बड़ा और आम कारण आयोडीन की कमी होना है. थायरोक्सिन हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) की कमी से बच्चों में बौनापन और वयस्कों में सबकटॅनेअस चरबी बढ़ जाती हैं. आयोडीन की कमी […]

बच्चों में होने वाले थाइरोइड को हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है. जनसंख्या का लगभग 3% भाग हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित है. दुनिया भर में हाइपोथायरायडिज्म होने का सबसे बड़ा और आम कारण आयोडीन की कमी होना है.

थायरोक्सिन हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) की कमी से बच्चों में बौनापन और वयस्कों में सबकटॅनेअस चरबी बढ़ जाती हैं. आयोडीन की कमी या थायराइड विफलता के कारण थकान, सुस्ती और हार्मोनल असंतुलन होता है. अगर उपचार न किया जाए तो यह बीमारी मायक्झोएडेमा का कारण बन सकती हैं, जिसमें त्वचा और ऊतकों में सूजन आ जाती हैं.

जिन व्यक्तियों में आयोडीन पर्याप्त मात्रा में होता है, उनमें हाइपोथायरायडिज्म अधिकतर हाशिमोटो थायरोडिटिस के कारण होता है, या थायरॉयड ग्रंथि की कमी के कारण या हाइपोथेलेमस या पीयूष ग्रंथि में से किसी एक के हॉर्मोन की कमी के कारण होता है.

हाइपोथायरायडिज्म प्रसव पश्चात थायरोडिटिस (postpartum thyroiditis) के परिणामस्वरूप भी हो सकता है, यह एक ऐसी स्थिति है जो लगभग 5% महिलाओं को बच्चे को जन्म देने के बाद एक वर्ष के भीतर प्रभावित करती है. पहली और प्राथमिक अवस्था में हाइपोथायरायडिज्म होता है. जिसके बाद या तो थायरॉयड अपनी सामान्य अवस्था में लौट जाता है या महिला में हाइपोथायरायडिज्म विकसित हो जाता है. वे महिलाएं जिनमें प्रसव पश्चात थायरोडिटिस से सम्बंधित हाइपोथायरायडिज्म होता है, ऐसी महिलाओं में प्रत्येक पांच में से एक महिला स्थायी रूप से हाइपोथायरायडिज्म का शिकार हो जाती है जिसे जिन्दगी भर इसके उपचार की जरुरत होती है.

हाइपोथायरायडिज्म कभी-कभी आनुवंशिकी के कारण भी होता है, कभी-कभी यह अलिंग गुणसूत्र (autosomal) पर अप्रभावी लक्षण (recessive) के रूप में उपस्थित होता है.

हालांकि आयोडीन थायरॉयड होर्मोंस के लिए एक सबस्ट्रेट है, इसके उच्च स्तर थायरॉयड ग्रंथि को भोजन में आयोडीन की मात्रा कम लेने को कहते हैं, जिससे हॉर्मोन बढ़ना कम हो जाता है.

बच्चों में दिखने वाले प्रारंभिक लक्षण

मांसपेशियों की धीमी गतिविधि और थकान का होना यानी बच्चा ज्यादा खेलता-कूदता नहीं है. अक्सर जल्दी थकने लगता है.

-सर्दी सहन न होना या ठंड के लिए बहुत अधिक संवेदनशीलता होना

-पीलापन

-शुष्क, खुजली वाली त्वचा

-वजन का बढ़ना, लम्बाई नहीं बढ़ना

-ठीक से खाना न खाना

-जीभ का मोटा होना

इसके लिए जन्म के समय ही बच्चे का थाइरोइड चेक जरुर कराएं. कई बार प्रारंभिक लक्षण नजर नही आते लेकिन बाद में लक्षण सामने आने लगते हैं. जिनमें…

-पढ़ाई में पिछाड़ना

-वजन बढ़ना और लम्बाई रुकना

-स्किन बहुत ज्यादा सूखना/ड्राई होना

-आवाज़ का मोटा होना

-आंखों के ऊपर-नीचे सूजन होना

इन लक्षणों के नजर आने के बाद जरुरी है की टेस्ट कराये जाए और दवाइयां शुरू की जाएं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें