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कंधे से मोबाइल का इस्तेमाल बना सकता है बीमार

मोबाइल फोन का बढ़ता प्रयोग यानी बढ़ती बीमारियां. मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ले कर इसके रख-रखाव तब आए दिन कोई ना कोई परेशानी सामने आती रहती है. अक्सर लोगों को देर रात तक इसे कान से लगाए देखा जा सकता है या कई घंटों तक लम्बी बातचीत करते हुए सुना जा सकता है. इसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2015 12:16 AM

मोबाइल फोन का बढ़ता प्रयोग यानी बढ़ती बीमारियां. मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ले कर इसके रख-रखाव तब आए दिन कोई ना कोई परेशानी सामने आती रहती है. अक्सर लोगों को देर रात तक इसे कान से लगाए देखा जा सकता है या कई घंटों तक लम्बी बातचीत करते हुए सुना जा सकता है.

इसी कड़ी में विशषज्ञों ने मोबाइल के बढ़ते प्रयोग से बच्चों-बड़ो सभी में पनप रही एक और बीमारी के प्रति सावधान रहने को कहा है.

हम सभी देखतें हैं कि मोबाइल फोन पर बातें करते हुए अक्सर बच्चे और बड़े कई दूसरे कामों में भी व्यस्त रहते हैं. इस समय लोग मोबाइल को कंधे और कानों के बीच पकड़ कर बातें करतें हैं. कुछ देर के लिए ठीक! लेकिन यदि इस अवस्था में लम्बी बातें की जाएं या झुक कर, तिरछा हो कर लगातार मोबाइल फोन इस्तेमाल किया जाए तो यह आने वाली गंभीर बिमारियों के लिए न्यौता भी सकता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि मोबाइल के अधिक प्रयोग से बच्चों में कंधे और रीढ़ से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती है.

मोबाइल फोन पर लगातार गर्दन झुकाए रहने से रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. इसी तरह कन्धों का सहारा लेकर बात करने से कान और कंधे की नसों में अत्यधिक खिचाव उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है.

विशेषज्ञों के अनुसार, आज के समय में बच्चे रोजाना औसतन चार घंटे मोबाइल पर बिताते हैं. यानी साल में औसतन 1,400 घंटे बच्चे मोबाइल देखने की कोशिश में सिर झुकाए रहते हैं. इससे बच्चों को सिर दर्द और गर्दन मुड़ने की स्थायी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

इस बीमारी को विशेषज्ञों ने टेक्स्ट नेकका नाम दिया है. वह कहतें हैं कि यह समस्या कई बार इतनी गंभीर हो जाती है कि इससे छुटकारा पाने के लिए ऑपरेशन करना पड़ता है. इस आदत से बच्चों के दिमाग की स्टेम कोशिकाएं भी प्रभावित हो सकती हैं. इसके अलावा इससे कुछ हार्मोनल दुष्प्रभाव भी होने की आशंका रहती है.

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