ब्लड डिसऑर्डर से भी हो सकता है ब्लड कैंसर
ब्लड कैंसर होने के नए कारणों का पता चला है. जिसके अनुसार यदि शुरुआत में ही ब्लड डिसऑर्डर के बारे में पता लगाया जा सके तो ब्लड कैंसर को ख़त्म किया जा सकता है. ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि ब्लड कैंसर से पहले खून में गड़बड़ी यानी ब्लड डिसऑर्डर होता है. अगर […]
ब्लड कैंसर होने के नए कारणों का पता चला है. जिसके अनुसार यदि शुरुआत में ही ब्लड डिसऑर्डर के बारे में पता लगाया जा सके तो ब्लड कैंसर को ख़त्म किया जा सकता है.
ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि ब्लड कैंसर से पहले खून में गड़बड़ी यानी ब्लड डिसऑर्डर होता है. अगर समय रहते डिसऑर्डर का पता लगा लिया जाए तो उसे कैंसर में तब्दील होने से रोका जा सकता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि खून में गड़बड़ी के लक्षण सामने नहीं आने के कारण ही ब्लड कैंसर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है.
इसके लिए एक शोध किया गया जिसमें कैंसर की शुरुआत वाले और कैंसर से पीड़ित लोगों के दो ग्रुप बनाए गए. इन दोनों ग्रुप के लोगों का अलग-अलग तरह से ब्लड टेस्ट किया गया जिसके बाद यह पाया गया कि जो लोग कैंसर की शुरुआत में हैं उनमें मौजूद ब्लड डिसऑर्डर ठीक किया जा सकता है लेकिन जो लोग कैंसर की स्टेज में हैं उनका ब्लड डिसऑर्डर बिगड़ चूका है.
शोध का निष्कर्ष कहता है कि जिन लोगों में मायलोमा (रक्त पैदा करने वाले बोन मैरो या अस्थि मजा में होने वाला कैंसर) पाया गया उनमें एमजीयूएस (मोनोक्लोनल गैमोपैथी ऑफ अनडिटरमाइंड सिग्निफिकेंस) की शिकायत पहले से मिली. जिसका इलाज संभव होता है.
ब्रिटेन के बरमिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ने कहा ‘इस एमजीयूएस के मायलोमा में परिवर्तित होने के लिए बहुत कम बदलाव की जरूरत होती है. आमतौर पर मायलोमा की सभी शिकायतें एमजीयूएस से ही विकसित होती हैं.’
विशेषज्ञों का दावा है कि एमजीयूएस को नियंत्रित करने से ब्लड कैंसर को रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए प्रारंभिक जाँच सबसे महत्वपूर्ण है.