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उफ! यह जोड़ों का दर्द

डॉ एसएस झा (हड्डी रोग विशेषज्ञ) निदेशक, महावीर वात्सल्य हॉस्पिटल पटना किसी भी जोड़ में यदि दर्द हो और उससे उसका मूवमेंट प्रभावित हो, तो यह समस्या आर्थराइटिस कहलाती है. मूवमेंट जोड़ में इन्फ्लेमेशन के कारण प्रभावित होता है. इन्फ्लेमेशन दो प्रकार का होता है. पहला संक्रमण के कारण, जिसमें बुखार हो सकता है. दूसरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2015 5:22 AM

डॉ एसएस झा

(हड्डी रोग विशेषज्ञ)

निदेशक, महावीर वात्सल्य हॉस्पिटल

पटना

किसी भी जोड़ में यदि दर्द हो और उससे उसका मूवमेंट प्रभावित हो, तो यह समस्या आर्थराइटिस कहलाती है. मूवमेंट जोड़ में इन्फ्लेमेशन के कारण प्रभावित होता है. इन्फ्लेमेशन दो प्रकार का होता है. पहला संक्रमण के कारण, जिसमें बुखार हो सकता है. दूसरा आर्थराइटिसवाले इन्फलेमेशन में आमतौर पर बुखार नहीं होता है. वैसे तो आर्थराइटिस के कई प्रकार हैं, लेकिन मुख्य रूप से तीन प्रकार हैं- ऑस्टियो, रूमेटॉइड और सोरायटिक आर्थराइटिस. सबसे अधिक ऑस्टियो आर्थराइटिस और उसके बाद रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के मामले देखने को मिलते हैं.
सबके लक्षण अलग-अलग
आर्थराइटिस या गठिया के अलग-अलग प्रकारों के अनुसार लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं. गठिया एक या एक से अधिक जोड़ को एक साथ प्रभावित करता है. जो जोड़ बायीं तरफ का प्रभावित होता है, वही दायीं तरफ का भी प्रभावित होता है. दोनों एक साथ या आगे पीछे प्रभावित हो सकते हैं. इस तरह का गठिया मुख्य रूप से हाथ और पैर को प्रभावित करता है. एक अन्य प्रकार का गठिया मुख्य रूप से गरदन और कमर को प्रभावित करता है. इसे सीरो निगेटिव स्पॉन्डिलो आर्थोपैथी कहते हैं. यह कई बीमारियों के साथ भी होता है.
जैसे-पेट खराब होने के बाद दो-चार दिन में एक-एक करके जोड़ों में अकड़न और दर्द की शिकायत शुरू हो सकती है. यह पेट से जुड़ा हुआ गठिया है. कभी बिना कारण घुटनों में दर्द होकर उसमें सूजन आ जाती है. यह रिएक्टिव आर्थराइटिस है. इस प्रकार के गठिया में सबसे कॉमन एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस है. इसमें दर्द कमर से शुरू होकर गरदन की ओर बढ़ता है या कभी-कभी उल्टा भी होता है. यह रीढ़ को प्रभावित करने के बाद कंधे या कूल्हे के जोड़ अर्थात् रूट ज्वाइंट्स को प्रभावित करता है. सोरायसिस त्वचा रोग है, लेकिन इसमें जोड़ भी प्रभावित होते हैं. इसे सोरायटिक आर्थराइटिस कहते हैं.
कौन-सा टेस्ट कराएं
इस रोग की पुष्टि के लिए रूमेटॉइड फैक्टर टेस्ट होता है. इसके पॉजिटिव होने पर उसे सीरो पॉजिटिव कहते हैं. इसका अर्थ है कि रोगी को रूमेटॉइड आर्थराइटिस है. यदि यह सीरो निगेटिव आता है, तो यह जरूरी नहीं है कि यदि बायां हाथ प्रभावित हुआ हो, तो दाहिना हाथ भी प्रभावित होगा. यदि एक ही जोड़ प्रभावित होता है, तो यह टीबी का लक्षण हो सकता है. यदि टेस्ट से रोग की पुष्टि नहीं हो पा रही हो, तो इसे गठिया मान कर ही इलाज किया जाता है, क्योंकि टीबी में मरीज कुछ समय तक सर्वाइव कर सकता है. लेकिन गठिया हो जाये, तो हड्डियां अकड़ जाती हैं और सामान्य नहीं हो पाती हैं.

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