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कौन है हम-सा…हमारे अन्दर ?

ये बात जान कर आप हैरान हो जाएंगे कि आपमें केवल माता-पिता के जींस ही नहीं, बल्कि वायरस, बैक्टिरिया और ये संभव है कि दूसरे इंसानों के जींस भी हो सकते हैं. यह सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है कि हमारा शरीर कई जीवों के मिश्रण जैसा है. हालिया हुए एक […]

ये बात जान कर आप हैरान हो जाएंगे कि आपमें केवल माता-पिता के जींस ही नहीं, बल्कि वायरस, बैक्टिरिया और ये संभव है कि दूसरे इंसानों के जींस भी हो सकते हैं. यह सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है कि हमारा शरीर कई जीवों के मिश्रण जैसा है.

हालिया हुए एक शोध के अनुसार जुड़वां बच्चे अक्सर एक जैसी हरकतें करते हैं जिसके पीछे उनके अन्दर एक-दूसरे का अंश मौजूद होना ही होता है.

यदि आप जुड़वां बच्चों में से एक हैं तो ये भी संभव कि आपके अंदर कुछ अंश अपने जुड़वां भाई या बहन के शरीर और दिमाग के भी हों. इससे आपकी गतिविधि भी प्रभावित हो सकती है.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेडूआ के पीटर क्रामर कहते हैं, "मनुष्य में केवल एक ही इंसान नहीं होता बल्कि वो सुपरआर्गेनिज़्म होता है. हमारे अंदर बड़ी संख्या में मानव और गैर इंसानी व्यक्तित्व नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं."

पेट के अंदर मौजूद रोगाणुओं से निकलने वाले न्यूरोट्रांसमीटर से कई बार हमारा मूड बदल जाता है. कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक इन रोगाणुओं से हमारी भूख भी प्रभावित होती है. यह साफ़ है कि हमारी गतिविधियां पूरी तरह से हमारी अपनी नहीं हैं. कई बार यह छोटे छोटे रोगाणुओं से तो कई बार यह दूसरे इंसाने की गतिविधियों से भी प्रभावित होती हैं.

विशेषज्ञ क्रामर बताते हैं कि कई बार कनज्वांइड ट्विन्सयानी शारीरिक तौर पर जुड़े हुए जुड़वां बच्चे दिमाग शेयर करते हैं लेकिन क्रामर के अनुसार आम जुड़वां बच्चों के अंग भी बिना साफ़ तौर पर दिखे जुड़े हो सकते हैं. इसी तरह कई बार गर्भावस्था के दौरान भी दो भ्रूण आपस में मिल जाते हैं.

यह लेख पर्सपेक्टिव्ज़ इन साइकोलॉजिकल साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

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