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फास्ट फूड से मुकाबला करेगा स्लो फूड

नयी दिल्ली : फास्ट फूड के खिलाफ दुनियाभर में शुरू हुई जंग ने अब भारत में भी दस्तक दे दी है और इसकी शुरुआत कल से मेघालय की राजधानी शिलांग में एक स्लो फूड (पारंपरिक आहार) कार्यक्रम के आयोजन से होने जा रही है. आहार समुदायों के एक नेटवर्क द्वारा आयोजित ‘इंडीजीनस टेरा मेड्रे’ (आईटीएम-2015) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2015 1:49 PM

नयी दिल्ली : फास्ट फूड के खिलाफ दुनियाभर में शुरू हुई जंग ने अब भारत में भी दस्तक दे दी है और इसकी शुरुआत कल से मेघालय की राजधानी शिलांग में एक स्लो फूड (पारंपरिक आहार) कार्यक्रम के आयोजन से होने जा रही है. आहार समुदायों के एक नेटवर्क द्वारा आयोजित ‘इंडीजीनस टेरा मेड्रे’ (आईटीएम-2015) पांच दिन चलने वाले कार्यक्रम से पूर्व हाल में मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने यहां मेघालय हाउस में एक कार्यक्रम की मेजबानी की. टेरा मेड्रे का मतलब ‘मदर अर्थ’ है जो जैव संवर्धित आहार के विरोध, वहनीयता, जल अधिकारों और पारंपरिक आहार संस्कृतियों पर भूमंडलीकरण के प्रभाव जैसे विषयों पर केंद्रित सेमिनार करता है. इंटरनेशनल स्लो फूड मूवमेंट के संस्थापक कार्लो पेट्रिनी ने कहा, ‘बडे निगम हमारे आहार समुदाय को नष्ट कर रहे हैं. इसे बदलना चाहिए.

इसकी वजह से विभिन्न समुदायों से 50 करोड से ज्यादा लोग त्रस्त हैं.’ आईटीएम-2015 मेघालय के 41 गांवों की भागीदारी से आयोजित किया जा रहा है. संगमा ने कहा, ‘हमारे खुद के देश में बहुत से लोग मेघालय और शिलांग के बारे में नहीं जानते. इसलिए मैं कहता हूं कि आप यहां आएं और खुद के अनुभव सृजित करें. मेघालय और पूर्वोत्तर के पास देने के लिए बहुत कुछ है. आइये और इसे देखिए. कार्लोस ने हमें एक प्रेरणा दी कि मेघालय इस अत्यंत महत्वपूर्ण समारोह का आयोजन कर सकता है. अब वे हमारे भविष्य के दूत बनेंगे.’

जनजातियों के सम्मान में आयोजकों ने आयोजन को नया नाम ‘इंटरनेशनल मेइ-रामेव’ दिया है जिसका मतलब खासी भाषा में ‘धरती मां ‘ होता है. छोटे किसानों और आहार समुदायों के महत्व पर जोर देते हुए पेट्रिनी ने कहा, ‘यह समय है जब हम सब उनकी कही बातों को सुनें.’ उन्होंने कहा, ‘यह स्थानीय समुदाय है जो असल आधुनिकता का प्रतिनिधित्व करता है.’ उन्होंने कहा, ‘हम मेघालय मदद करने के लिए नहीं, बल्कि इन समुदायों से सीखने के लिए आ रहे हैं. क्योंकि इस भूमंडलीकृत दुनिया में विशिष्टताओं की तलाश करना महत्वपूर्ण है. उनके साथ हमारी मुलाकात किसी राजनीतिक बैठक से ज्यादा महत्वपूर्ण है.’

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