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डर के समय चीखना क्यों स्वाभाविक है?

हॉरर फिल्म देखते हुए, अचानक खुद के ही एहसास से आप चीखने लगते हैं और फिर डर कर चादर में मुंह छिपा लेते हैं. ऐसा होना स्वाभाविक है लेकिन आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? दरअसल, डरावने सीरियल और फिल्में देखते हुए डर जाना और चीख निकाल जाना इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति खुद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 3, 2015 1:41 AM

हॉरर फिल्म देखते हुए, अचानक खुद के ही एहसास से आप चीखने लगते हैं और फिर डर कर चादर में मुंह छिपा लेते हैं. ऐसा होना स्वाभाविक है लेकिन आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है?

दरअसल, डरावने सीरियल और फिल्में देखते हुए डर जाना और चीख निकाल जाना इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति खुद को फिल्म की घटनाओं में शरीक मानने लगता है.

इस बात को मद्देनजर रखते हुए वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अलग-अलग तरीके से किए जाने वाले हमले के दौरान शरीर में किस तरह के बदलाव होते हैं. चीख सुनने पर हम सतर्क क्यों हो जाते हैं और जिन लोगों को अपने ऊपर हमला होने का भय लगातार सताता है, उनकी इस चिंता को कम करने के लिए क्या उपाय किये जा सकते हैं?

अमेरिकी केमिकल सोसायटी ने इस सिलसिले में एक शोध के अंतर्गत, एक वीडियो जारी किया है. जिसमें व्यक्ति के ऊपर होने वाले हमले से शरीर, खास तौर से दिमाग में होने वाले रासायनिक बदलावों को पता लगाने की कोशिश की गई है.

विशेषज्ञों के अनुसार किसी तरह के जानलेवा खतरे पर दिमाग के सतर्क हो जाने, इससे बचने की कोशिश करने और इस दौरान शारीरिक और मनोवैज्ञानिक बदलाव को तो समझा जा सकता है. लेकिन तभी यदि हमला करने वाला तेज हथियार जैसे- कुल्हाड़ी से हत्या करने की कोशिश करे तब क्या होता है?

विशेषज्ञों ने बताया कि अचानक ऐसा होने पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं होती हैं. आम तौर पर दिमाग सुन्न हो जाता है क्योंकि दिमाग के अलग-अलग हिस्से एकसाथ सक्रिय हो जाते हैं. अगर हमलावर पकड़ लेता है तो गहरा दर्द होने लगता है.

इस दौरान दिल की धड़कनें तेज होने के साथ ही दिमाग का वह हिस्सा तुरत सक्रिय हो जाता है जो हमें अलर्ट करता है. उस दौरान बचाव के लिए शरीर की हर तरह की ऊर्जा एक-साथ कोशिश करती है और व्यक्ति चीखने लगता है.

न्यूयार्क के सिटी विश्वविद्यालय के इस अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने चूहों पर कुछ प्रयोग किए और इस आधार पर कहा है कि जिन्हें ज्यादा डर लगता है उनके लिए हल्दी बहुत काम की चीज है.

मनोवैज्ञानिक ग्लैन शैफ के अनुसार, हल्दी डर वाली यादों को दूर करने में सहायक है.

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