आपकी शराब बच्चे को बना सकती है डिसऑर्डर का शिकार!
आधुनिक युग में महिलाएं जिस तरह से हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे-से-कंधा मिला कर चल रही हैं उसके चलते कुछ आदतों का अपना लेना चलन में शामिल होना माना जाता है. अक्सर महिलाएं भी स्मोकिंग और शराब को अपने लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लेती हैं. लेकिन इन आदतों के चलते महिलाओं को अपनी गर्भावस्था […]
आधुनिक युग में महिलाएं जिस तरह से हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे-से-कंधा मिला कर चल रही हैं उसके चलते कुछ आदतों का अपना लेना चलन में शामिल होना माना जाता है. अक्सर महिलाएं भी स्मोकिंग और शराब को अपने लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लेती हैं.
लेकिन इन आदतों के चलते महिलाओं को अपनी गर्भावस्था के समय हानिकारक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं. खास कर शराब के सेवन से महिलाओं के गर्भ में पलने वाले बच्चे के दिमाग पर और उसके स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है.
गर्भ के समय शराब लेना महिलाओं को और उनके बच्चे को गंभीर बिमारियों का शिकार बना सकता है. इन खतरनाक बिमारियों में से एक है ‘फेटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर’. आइए जाने इसके बारे में…
फेटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर
गर्भावस्था के दौरान थोड़ी-सी मात्रा में भी शराब गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचाती है. दरअसल, गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से, यह बच्चे के रक्त में मिल जाती है और वहां से प्लेसेंटा द्वारा बच्चे में. इसके बाद बच्चा फेटल अल्कोहल सिंड्रोम (एफएएस) का शिकार हो जाता है.
फेटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के कारण बच्चे में कई शारीरिक, मानसिक और व्यवहार से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. जिसमें बच्चों की आँखों का कम खुलना, जबड़ों का छोटा होना, जोड़ों और पैरों की परेशानियां उभर आती हैं.
इसके अलावा बच्चों का भार कम होने, लर्निग डिसऑर्डर, स्लीप डिसऑर्डर, मायोपिया, हाइपर एक्टिविटी आदि की समस्या भी दिखाई पड़ सकती है. दुखद बात यह हैं कि ये लक्षण अस्थायी नहीं होते, बल्कि यह जीवन भर बच्चे के व्यवहार और उसकी जीवनशैली में दिखाई पड़ते रहते हैं.
डॉक्टर्स का कहना है कि वो महिलाएं जो शराब पीती हैं और यदि वह गर्भवती होना चाहती हैं तो वह इस बारे में अच्छे से सोच लें और उसी के अनुसार अपनी प्लानिंग करें. सबसे पहले महिलाओं को अपनी गर्भवती होने से पूर्व ही शराब का सेवन करना बिलकुल बंद कर देना चाहिए. उसके बाद आने वाले 9 माह और उसके बाद बच्चे के जन्म के एक साल तक शराब से दूरी बना कर रखनी चाहिए. इससे न केवल महिलाएं बल्कि उनके नवजात को भी इन गंभीर बिमारियों से बचाया जा सकेगा.