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तलाक के बाद भी बनी रहे दोस्ती

भारतीय समाज में पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है फिर भले ही यह रिश्ता प्रेम, सहयोग, जिम्मेदारियों और अपनत्व से खाली ही क्यों न हो. हमारे यहाँ रिश्तों को निभाने से ज्यादा उन्हें ढ़ोना सीखाया जाता है और यही तलाक की बढ़ती वजह बन जाता है. पिछले कुछ सालों से लगातार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 3, 2015 8:42 PM

भारतीय समाज में पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है फिर भले ही यह रिश्ता प्रेम, सहयोग, जिम्मेदारियों और अपनत्व से खाली ही क्यों न हो. हमारे यहाँ रिश्तों को निभाने से ज्यादा उन्हें ढ़ोना सीखाया जाता है और यही तलाक की बढ़ती वजह बन जाता है. पिछले कुछ सालों से लगातार तलाक बढ़ते जा रहें हैं और साथ ही विवाह सम्बन्धी क़ानूनी मामले भी.

भारतीय लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर पाते कि तलाक लेने से ज़िन्दगी खत्म नही होती बल्कि जिंदगी जीने का एक और मोका मिल जाता है. अक्सर देखा जाता है कि तलाक लेने के लिए पति-पत्नी एक दूसरे पर इल्जाम लगाते हैं और कोर्ट तक मामला ले जाते हैं. इस बीच उनके बच्चों पर इसका कितना नकारात्मक असर पड़ता है यह वह दोनों नहीं समझना चाहते. कितना बेहतर हो यदि तलाक भी पति-पत्नी के आपसी इच्छा से हो और उनके बच्चे भी उनके अलगाव से प्रभावित न हों.

ऐसा होना तभी संभव है जब तलाक दोनों की समझ से हो और दोनों ही बच्चों का ख्याल रखने की जिम्मदारी लें. तलाक के बाद भी आप अपने बीच एक रिश्ता रख सकते हैं जो आपके बच्चों को अकेलपन और चिढ़चिढ़ेपन से बचाएगा.

बॉलीवुड की कई जानीमानी हस्तियों ने तलाक लिया और फिर भी दोस्त रहते हुए अपने बच्चों की परवरिश की. इसमें हृतिक रोशन हों या कोंकणा सेन. सभी अपने तलाक के बाद दोस्त रहते हुए बच्चों की देखभाल करते हैं.

तलाक के बाद दोस्त रहना आप को भी मानसिक रूप से सबल बनाता है. अचानक तलाक होना, अलगाव होना व्यक्ति को तोड़ देता है लेकिन तलाक के बाद भी दोस्त बन कर एक-दूसरे से मिलना आपको मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है. अकेलापन और अवसाद ऐसी दोस्ती में नहीं पनपता.

तलाक, रिश्तों का टूटता, अलगाव और प्रेम से अलग होना व्यक्ति के सबसे मुश्किल समय होते हैं. ऐसे में यदि आप एक-दूसरे से मित्रता बनाए रखते हैं तो, हो सकता है आप फिर एक हो सकें. ये भी न हो तो कम-से-कम एक-दूसरे की समझ से अपनी आगे की ज़िन्दगी को दोबारा शुरू कर सकतें हैं.

इन रिश्तों में सबसे जरुरी हैं समझ का होना. जब तक आप दोनों ही आपसी समझ का सहारा नही लेंगे तक तक शादीनुमा रिश्ते को ढ़ोते रहेंगे. जिस दिन आपने एक दूसरे की इच्छाओं का सम्मान कर लिया उस दिन आप दोस्त हो जाएंगे. और हाँ, विशेषज्ञ भी यही कहते हैं कि एक अधूरी शादी से अच्छा तलाक है.

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